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8 किमी दूर डोली के सहारे मरीज को पहुंचाया अस्पताल, ग्रामीण ने पूछा- 'क्या हम लोकतंत्र का हिस्सा नहीं'

चकराता के उदांवा गांव के एक व्यक्ति की तबीयत खराब हो गई. ग्रामीणों ने 8 किमी पैदल डंडी कंडी के सहारे मरीज को अस्पताल पहुंचाया. मरीज को ले जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो को फेसबुक पर अपलोड करने वाले ग्रामीण ने सरकार से पूछा है कि क्या हम इस लोकतंत्र का हिस्सा नहीं हैं.

Jaunsar Bawar
जौनसार बावर
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Published : Jul 15, 2022, 4:24 PM IST

Updated : Jul 15, 2022, 5:22 PM IST

विकासनगर/चकराताः देहरादून का जौनसार बावर जनजातीय का आधा क्षेत्र आज भी सड़क से नहीं जुड़ पाया है. इसकी कीमत वहां के लोगों को भारी परेशानी या फिर मौत से चुकानी पड़ती है. ऐसे में ही जौनसार बावर के उदांवा गांव का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें गांव के कुछ लोग मरीज को डंडी कंडी के सहारे मरीज को अस्पताल पहुंचाने की जद्दोजहद में लगे हैं.

जानकारी के मुताबिक, वीडियो उदांवा गांव के मुन्ना सिंह चौहान ने फेसबुक पर अपलोड किया और गांव को सड़क से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, चकराता विधायक प्रीतम सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष मधु चौहान समेत कई जनप्रतिनिधियों को टेग किया है. उन्होंने वीडियो के साथ अपना दर्द बयां करते हुए जनप्रतिनिधियों से विनती भी की है. उन्होंने लिखा कि 'कैसे बयां करूं यह हालात हैं हमारे गांव ग्राम उदांवा खत भरम के, आज हमारे सियाणा के बेटे का स्वास्थ्य सही नहीं है और चलने में असमर्थ हैं. गांव वालों को उनको डंडी कंडी में उठाकर ले जाना पड़ रहा है.

8 किमी दूर डोली के सहारे मरीज को पहुंचाया अस्पताल.

वहीं, पहली बार ऐसा नहीं हुआ है. पहले भी कई बीमार लोगों मरीजों को इस तरह से उठाकर 8 किमी दूर डंडी कंडी के सहारे ले जाना पड़ा है. ऐसे में हमारे गांव से कुछ लोगों का आधे रास्ते में भी निधन हुआ है, क्योंकि उदांवा में आज भी रोड नहीं है. हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि सरकार क्या हम इस लोकतंत्र का हिस्सा नहीं हैं. 1947 में देश आजाद हुआ और 2022 चल रहा है. लेकिन आज तक उदांवा गांव में रोड नहीं बन पाई है. जबकि, कई गांव सड़क से जुड़ चुके हैं, लेकिन हम नहीं जुड़ पाए हैं. इतने सालों से हम अपनी बात सरकार तक व शासन प्रशासन तक रख रहे हैं, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है'.

आगे उन्होंने कहा कि 'देश के प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में कहा था 2019 तक प्रत्येक गांव में रोड होनी चाहिए, उसके बदले कोई भी भाग लिया जाए और वहां जितने पेड़ काट रहे हैं, उतने लगाए जाएं. हम तो सब चीज के लिए तैयार हैं, जमीन देने को भी. लेकिन आज तक रोड क्यों नहीं बनी. मैं उत्तराखंड सरकार से एवं माननीय मुख्यमंत्री से निवेदन करता हूं, हमारी रोड को लेकर त्वतरित कार्रवाई हो.
ये भी पढ़ेंः पहाड़ की पीड़ा: मार्ग खराब होने से बीमार महिला को डोली से पहुंचाया अस्पताल

आप सभी महसूस कीजिए इतनी दूर से हमारा गांव आज तक कैसे अपना आवागमन सुख दुख में आना-जाना कैसे करते होंगे. हमारी इतने सालों की गंभीर समस्या के प्रति सरकार संज्ञान ले, जब तक प्रत्येक गांव को रोड से जोड़ा जा रहा है जुड़ भी चुके हैं, फिर हमें लेकर ही सरकार क्यों संवेदनशील नहीं है. हमारा पूरा गांव उत्तराखंड सरकार व शासन प्रशासन से निवेदन करता है कि हमारी रोड को लेकर त्वतरित कार्रवाई हो, नहीं तो हम समझ जाएंगे हम इस लोकतंत्र का हिस्सा नहीं है'.

उन्होंने लिखा कि 'विधानसभा चुनाव में हमारे गांव कोई भी प्रतिनिधि प्रचार के लिए नहीं आए, क्योंकि पैदल जाना होता. परंतु गांव के सभी नागरिकों ने वोट दिया जो बाहर थे वह भी गांव वोट देने आए, ताकि लोकतंत्र मजबूत हो. लेकिन हमारी अभिव्यक्ति और हमारी मूलभूत सुविधाओं को लेकर सरकार से निवेदन करते हैं कि हमारे लिए रोड की जल्द से जल्द कार्रवाई करें.

विकासनगर/चकराताः देहरादून का जौनसार बावर जनजातीय का आधा क्षेत्र आज भी सड़क से नहीं जुड़ पाया है. इसकी कीमत वहां के लोगों को भारी परेशानी या फिर मौत से चुकानी पड़ती है. ऐसे में ही जौनसार बावर के उदांवा गांव का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें गांव के कुछ लोग मरीज को डंडी कंडी के सहारे मरीज को अस्पताल पहुंचाने की जद्दोजहद में लगे हैं.

जानकारी के मुताबिक, वीडियो उदांवा गांव के मुन्ना सिंह चौहान ने फेसबुक पर अपलोड किया और गांव को सड़क से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, चकराता विधायक प्रीतम सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष मधु चौहान समेत कई जनप्रतिनिधियों को टेग किया है. उन्होंने वीडियो के साथ अपना दर्द बयां करते हुए जनप्रतिनिधियों से विनती भी की है. उन्होंने लिखा कि 'कैसे बयां करूं यह हालात हैं हमारे गांव ग्राम उदांवा खत भरम के, आज हमारे सियाणा के बेटे का स्वास्थ्य सही नहीं है और चलने में असमर्थ हैं. गांव वालों को उनको डंडी कंडी में उठाकर ले जाना पड़ रहा है.

8 किमी दूर डोली के सहारे मरीज को पहुंचाया अस्पताल.

वहीं, पहली बार ऐसा नहीं हुआ है. पहले भी कई बीमार लोगों मरीजों को इस तरह से उठाकर 8 किमी दूर डंडी कंडी के सहारे ले जाना पड़ा है. ऐसे में हमारे गांव से कुछ लोगों का आधे रास्ते में भी निधन हुआ है, क्योंकि उदांवा में आज भी रोड नहीं है. हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि सरकार क्या हम इस लोकतंत्र का हिस्सा नहीं हैं. 1947 में देश आजाद हुआ और 2022 चल रहा है. लेकिन आज तक उदांवा गांव में रोड नहीं बन पाई है. जबकि, कई गांव सड़क से जुड़ चुके हैं, लेकिन हम नहीं जुड़ पाए हैं. इतने सालों से हम अपनी बात सरकार तक व शासन प्रशासन तक रख रहे हैं, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है'.

आगे उन्होंने कहा कि 'देश के प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में कहा था 2019 तक प्रत्येक गांव में रोड होनी चाहिए, उसके बदले कोई भी भाग लिया जाए और वहां जितने पेड़ काट रहे हैं, उतने लगाए जाएं. हम तो सब चीज के लिए तैयार हैं, जमीन देने को भी. लेकिन आज तक रोड क्यों नहीं बनी. मैं उत्तराखंड सरकार से एवं माननीय मुख्यमंत्री से निवेदन करता हूं, हमारी रोड को लेकर त्वतरित कार्रवाई हो.
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आप सभी महसूस कीजिए इतनी दूर से हमारा गांव आज तक कैसे अपना आवागमन सुख दुख में आना-जाना कैसे करते होंगे. हमारी इतने सालों की गंभीर समस्या के प्रति सरकार संज्ञान ले, जब तक प्रत्येक गांव को रोड से जोड़ा जा रहा है जुड़ भी चुके हैं, फिर हमें लेकर ही सरकार क्यों संवेदनशील नहीं है. हमारा पूरा गांव उत्तराखंड सरकार व शासन प्रशासन से निवेदन करता है कि हमारी रोड को लेकर त्वतरित कार्रवाई हो, नहीं तो हम समझ जाएंगे हम इस लोकतंत्र का हिस्सा नहीं है'.

उन्होंने लिखा कि 'विधानसभा चुनाव में हमारे गांव कोई भी प्रतिनिधि प्रचार के लिए नहीं आए, क्योंकि पैदल जाना होता. परंतु गांव के सभी नागरिकों ने वोट दिया जो बाहर थे वह भी गांव वोट देने आए, ताकि लोकतंत्र मजबूत हो. लेकिन हमारी अभिव्यक्ति और हमारी मूलभूत सुविधाओं को लेकर सरकार से निवेदन करते हैं कि हमारे लिए रोड की जल्द से जल्द कार्रवाई करें.

Last Updated : Jul 15, 2022, 5:22 PM IST
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