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8 साल से इंसाफ का इंतजार कर रहे उत्तराखंड की 'निर्भया' के घरवाले, हरियाणा में हुई थी दरिंदगी - Kiran Negi awaits justice

दिल्ली के द्वारका में साल 2012 में एक युवती को किडनैप किया गया था. उसके बाद हरियाणा ले जाकर उसके साथ दरिंदगी की गई थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने 2014 में तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुना दी है. अब मामला सुप्रीम कोर्ट में जाकर लटक गया है.

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Published : Dec 17, 2020, 4:39 PM IST

Updated : Dec 17, 2020, 4:51 PM IST

दिल्ली: निर्भया के चारों दोषियों को फांसी हो चुकी है, लेकिन दिल्ली में रहने वाली उत्तराखंड की 'निर्भया' को करीब आठ साल से इंसाफ का इंतजार है. द्वारका में 9 फरवरी 2012 को पड़ोस के ही रहने वाले तीन युवकों ने पीड़िता को किडनैप कर उसके साथ दरिंदगी की थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने उन तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुना दी है, लेकिन अब मामला सुप्रीम कोर्ट में लटका हुआ है.

तीनों आरोपी तिहाड़ जेल में बंद हैं. पीड़िता के परिजनों का कहना है कि उनकी बेटी को भी निर्भया की तरह इंसाफ चाहिए और उन तीनों दरिंदों को जल्द से जल्द फांसी दी जाए. दरिंदों को फांसी की सजा दिलाने की मांग को लेकर पिछले 8 सालों से लड़की के गरीब माता-पिता हर उस दर पर जा रहे हैं, जहां से भी उन्हें इंसाफ की उम्मीद दिखाई देती है. बीते 25 नवंबर को परिजनों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी मुलाकात करते हुए दोषियों को जल्द फांसी देने की मांग की थी.

8 साल से इंसाफ का इंतजार.

19 साल की छात्रा के साथ हुई थी दरिंदगी

रोजनाा की तरह 9 फरवरी 2012 को भी 'निर्भया' अपने काम पर जाने के लिए घर से निकली थी, लेकिन उस दिन वो देर शाम तक घर नहीं लौटी. परिजनों ने उसकी काफी तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं लगा. बहुत खोजने के बाद इतनी सूचना जरूर मिली कि कुछ लोग एक लड़की को गाड़ी में डालकर दिल्ली से बाहर ले जाते हुए दिखाई दिए हैं.

पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू की तो दो दिन बाद यानी 16 फरवरी को लड़की का शव हरियाणा में गन्ने के एक खेत में मिला था. उसके साथ जो क्रूरता की गई थी वो दिल्ली की निर्भया से भी भयावह थी. परिजनों की मानें तो उत्तराखंड की निर्भया को आरोपियों के किसी जानवर की तरह नोंचा गया था. उसे न सिर्फ मारा पीटा गया था, बल्कि तीन दिनों तक लगातार उसके साथ गैंगरेप हुआ था. यही नहीं, उसकी आंखों में तेजाब डाल दिया गया था, उसके नाजुक अंगों से शराब की बोतल मिली थी. पानी गर्म करके उसके शरीर को दाग दिया गया था. तीन दिनों तक हैवानियत करने के बाद उसे सरसों के खेत में फेंक कर चले गए.

पढ़ेंः आरुषि निशंक ग्लोबल वाटर वुमेन इंटरप्रेन्योर पुरस्कार से सम्मानित

निर्भया से 10 महीने पहले हुई थी घटना

ईटीवी भारत की टीम से बातचीत में पीड़िता के पिता ने बताया कि निर्भया मामले में 8 साल की लंबी लड़ाई के बाद आरोपियों को फांसी पर लटका दिया गया. लेकिन उसी साल 10 महीने पहले फरवरी में उनकी बेटी के साथ हैवानियत हुई थी. हमने पुलिस और प्रशासन के सामने गुहार लगाई. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. जिसके 3 दिन बाद बेटी अधमरी हालत में एक खेत में मिली. यदि पुलिस उसी दिन कार्रवाई करती तो आज हमारी बेटी जिंदा होती.

कोर्ट से मिली फांसी की सजा

2014 में हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों को सुनाई थी. पीड़िता के पिता ने बताया कि साल 2014 में मामले में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा आरोपियों को फांसी पर लटकाए जाने की सजा सुना दी गई. लेकिन हाईकोर्ट के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और फिर लटक गया. मामले में तीन आरोपी जो इस वक्त तिहाड़ जेल में बंद है, लेकिन फांसी के तख्ते से अभी दूर है.

निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले में तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई, जिसके बाद परिवार को यह लगा कि अब उनकी बेटी को इंसाफ मिल सकेगा. लेकिन उनके लिए न्याय की किरण अब भी धुंधली नजर आ रही है. इस दौरान तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार ने पीड़ित परिवार को मात्र एक लाख रुपए का मुआवजा देकर सांत्वना देने की भी कोशिश की.

जंतर-मंतर पर भी दिया था धरना

अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए बुजुर्ग माता-पिता जंतर-मंतर पर धरने पर भी बैठे. पीड़िता के पिता का कहना था कि उस दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भाषण भी चल रहा था और दूसरी तरफ राहुल गांधी की बैठक हो रही थी. लेकिन दोनों नेताओं ने उनकी तरफ देखा भी नहीं.

वहीं, पीड़िता की मां ने कहा कि हमारे देश का कानून बेहद लचीला है. इंसाफ का इंतजार करते-करते 9 साल बीत चुके हैं. लेकिन हमारा कानून केवल गुनहगारों को पनाह देता है, उनके अधिकारों की रक्षा करता है. जो पीड़ित हैं वह जिंदगी भर इंसाफ का इंतजार करते रह जाते हैं. महिलाएं आज भी हमारे समाज में सुरक्षित नहीं है. माता-पिता कब तक अपनी बेटियों को छुपा कर रखेंगे. परिवार ने कहा कि आज केवल हम यही चाहते हैं कि जिस तरीके से निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाया गया है. ठीक उसी तरह हमारी बेटी के भी तीनों आरोपियों को जल्द से जल्द फांसी पर लटकाया जाए.

पढ़ेंः बांग्लादेश के साथ द्विपक्षीय वार्ता, PM बोले- साझेदारी बढ़ी, कारोबारी रिश्ते मजबूत हुए

सीएम के मीडिया सलाहकार चलाया कैंपन

पहाड़ की इस बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए उस वक्त न तो कैंडल मार्च हुआ, न धरने प्रदर्शन, न उस तरह से सोशल मीडिया पर आवाज उठी और न ही टीआरपी की दौड़ में शामिल टीवी चैनलों की डिबेट का ये खबर हिस्सा बन पाई.

जैसे ही इस घटनाक्रम की जानकारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सलाहकार रमेश भट्ट को मिली, उन्होंने तत्काल इस मामले की जानकारी मुख्यमंत्री को दी और सोशल मीडिया पर एक कैंपेन भी शुरू किया. इसी सिलसिले में रमेश भट्ट ने पीड़ित परिवार से संपर्क किया और 24 घंटे के अंदर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिलवाने की पेशकश भी की. बुधवार को पीड़िता परिवार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिला. देहरादून पहुंचे पीड़िता परिवार ने ईटीवी भारत के साथ भी अपना दर्द बयां किया.

बेटी को याद कर मां की आंखें भर आई

अपनी बेटी को याद करते हुये सिसकती हुई मां ने बताया कि उन्हें आज भी ऐसा लगता है कि उनकी बेटी सुबह उठकर उन्हें आवाज लगाएगी और कहेगी कि, 'मां खाना बनाकर मेरा टिफिन पैक करो मुझे जल्दी निकलना है.' आज भी शाम को कई बार यह एहसास होता है कि बेटी दरवाजे पर आई है. आंखों में आंसू लिए उनकी मां कैमरे के सामने हाथ जोड़कर बस यही कहती है कि जबतक उनकी बेटी के दोषियों को सजा नहीं मिल जाती तबतक उनका जीवन किसी नर्क से कम नहीं है. मां को लगता है कि अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के संज्ञान में यह मामला आया है तो उन्हें जरुर इंसाफ मिलेगा.

पढ़ेंः पुलिस भर्ती बार-बार टालने से बेरोजगार संघ नाराज, वन मंत्री को भी दी चेतावनी

पिता को भी सीएम से उम्मीद

जिस बेटी को देखकर कभी पिता को हौसला मिलता था, आज वो पिता अपने आप को टूटा हुआ महसूस करते हैं. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए निर्भया के पिता ने कहा कि उनकी होनहार बेटी भले ही इस दुनिया में नहीं है, लेकिन अभी भी उनकी तस्वीर को देखकर उन्हें यह एहसास होता है कि वह उन्हें हिम्मत दे रही है. आज नहीं तो कल उनकी बेटी के साथ जिसने भी गलत काम किया है वह फांसी के फंदे पर जरूर लटकेंगे. शायद यही कारण है कि पिता-माता आज भी उस हर व्यक्ति से मिलते है जिससे उन्हें इंसाफ मिलने की उम्मीद है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी माता-पिता से यह वादा किया है कि सरकार निर्भया की लीगल तौर पर पूरी सहायता करेगी ताकि आरोपियों को जल्द से जल्द फांसी हो सके.

दिल्ली: निर्भया के चारों दोषियों को फांसी हो चुकी है, लेकिन दिल्ली में रहने वाली उत्तराखंड की 'निर्भया' को करीब आठ साल से इंसाफ का इंतजार है. द्वारका में 9 फरवरी 2012 को पड़ोस के ही रहने वाले तीन युवकों ने पीड़िता को किडनैप कर उसके साथ दरिंदगी की थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने उन तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुना दी है, लेकिन अब मामला सुप्रीम कोर्ट में लटका हुआ है.

तीनों आरोपी तिहाड़ जेल में बंद हैं. पीड़िता के परिजनों का कहना है कि उनकी बेटी को भी निर्भया की तरह इंसाफ चाहिए और उन तीनों दरिंदों को जल्द से जल्द फांसी दी जाए. दरिंदों को फांसी की सजा दिलाने की मांग को लेकर पिछले 8 सालों से लड़की के गरीब माता-पिता हर उस दर पर जा रहे हैं, जहां से भी उन्हें इंसाफ की उम्मीद दिखाई देती है. बीते 25 नवंबर को परिजनों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी मुलाकात करते हुए दोषियों को जल्द फांसी देने की मांग की थी.

8 साल से इंसाफ का इंतजार.

19 साल की छात्रा के साथ हुई थी दरिंदगी

रोजनाा की तरह 9 फरवरी 2012 को भी 'निर्भया' अपने काम पर जाने के लिए घर से निकली थी, लेकिन उस दिन वो देर शाम तक घर नहीं लौटी. परिजनों ने उसकी काफी तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं लगा. बहुत खोजने के बाद इतनी सूचना जरूर मिली कि कुछ लोग एक लड़की को गाड़ी में डालकर दिल्ली से बाहर ले जाते हुए दिखाई दिए हैं.

पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू की तो दो दिन बाद यानी 16 फरवरी को लड़की का शव हरियाणा में गन्ने के एक खेत में मिला था. उसके साथ जो क्रूरता की गई थी वो दिल्ली की निर्भया से भी भयावह थी. परिजनों की मानें तो उत्तराखंड की निर्भया को आरोपियों के किसी जानवर की तरह नोंचा गया था. उसे न सिर्फ मारा पीटा गया था, बल्कि तीन दिनों तक लगातार उसके साथ गैंगरेप हुआ था. यही नहीं, उसकी आंखों में तेजाब डाल दिया गया था, उसके नाजुक अंगों से शराब की बोतल मिली थी. पानी गर्म करके उसके शरीर को दाग दिया गया था. तीन दिनों तक हैवानियत करने के बाद उसे सरसों के खेत में फेंक कर चले गए.

पढ़ेंः आरुषि निशंक ग्लोबल वाटर वुमेन इंटरप्रेन्योर पुरस्कार से सम्मानित

निर्भया से 10 महीने पहले हुई थी घटना

ईटीवी भारत की टीम से बातचीत में पीड़िता के पिता ने बताया कि निर्भया मामले में 8 साल की लंबी लड़ाई के बाद आरोपियों को फांसी पर लटका दिया गया. लेकिन उसी साल 10 महीने पहले फरवरी में उनकी बेटी के साथ हैवानियत हुई थी. हमने पुलिस और प्रशासन के सामने गुहार लगाई. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. जिसके 3 दिन बाद बेटी अधमरी हालत में एक खेत में मिली. यदि पुलिस उसी दिन कार्रवाई करती तो आज हमारी बेटी जिंदा होती.

कोर्ट से मिली फांसी की सजा

2014 में हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों को सुनाई थी. पीड़िता के पिता ने बताया कि साल 2014 में मामले में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा आरोपियों को फांसी पर लटकाए जाने की सजा सुना दी गई. लेकिन हाईकोर्ट के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और फिर लटक गया. मामले में तीन आरोपी जो इस वक्त तिहाड़ जेल में बंद है, लेकिन फांसी के तख्ते से अभी दूर है.

निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले में तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई, जिसके बाद परिवार को यह लगा कि अब उनकी बेटी को इंसाफ मिल सकेगा. लेकिन उनके लिए न्याय की किरण अब भी धुंधली नजर आ रही है. इस दौरान तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार ने पीड़ित परिवार को मात्र एक लाख रुपए का मुआवजा देकर सांत्वना देने की भी कोशिश की.

जंतर-मंतर पर भी दिया था धरना

अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए बुजुर्ग माता-पिता जंतर-मंतर पर धरने पर भी बैठे. पीड़िता के पिता का कहना था कि उस दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भाषण भी चल रहा था और दूसरी तरफ राहुल गांधी की बैठक हो रही थी. लेकिन दोनों नेताओं ने उनकी तरफ देखा भी नहीं.

वहीं, पीड़िता की मां ने कहा कि हमारे देश का कानून बेहद लचीला है. इंसाफ का इंतजार करते-करते 9 साल बीत चुके हैं. लेकिन हमारा कानून केवल गुनहगारों को पनाह देता है, उनके अधिकारों की रक्षा करता है. जो पीड़ित हैं वह जिंदगी भर इंसाफ का इंतजार करते रह जाते हैं. महिलाएं आज भी हमारे समाज में सुरक्षित नहीं है. माता-पिता कब तक अपनी बेटियों को छुपा कर रखेंगे. परिवार ने कहा कि आज केवल हम यही चाहते हैं कि जिस तरीके से निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाया गया है. ठीक उसी तरह हमारी बेटी के भी तीनों आरोपियों को जल्द से जल्द फांसी पर लटकाया जाए.

पढ़ेंः बांग्लादेश के साथ द्विपक्षीय वार्ता, PM बोले- साझेदारी बढ़ी, कारोबारी रिश्ते मजबूत हुए

सीएम के मीडिया सलाहकार चलाया कैंपन

पहाड़ की इस बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए उस वक्त न तो कैंडल मार्च हुआ, न धरने प्रदर्शन, न उस तरह से सोशल मीडिया पर आवाज उठी और न ही टीआरपी की दौड़ में शामिल टीवी चैनलों की डिबेट का ये खबर हिस्सा बन पाई.

जैसे ही इस घटनाक्रम की जानकारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सलाहकार रमेश भट्ट को मिली, उन्होंने तत्काल इस मामले की जानकारी मुख्यमंत्री को दी और सोशल मीडिया पर एक कैंपेन भी शुरू किया. इसी सिलसिले में रमेश भट्ट ने पीड़ित परिवार से संपर्क किया और 24 घंटे के अंदर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिलवाने की पेशकश भी की. बुधवार को पीड़िता परिवार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिला. देहरादून पहुंचे पीड़िता परिवार ने ईटीवी भारत के साथ भी अपना दर्द बयां किया.

बेटी को याद कर मां की आंखें भर आई

अपनी बेटी को याद करते हुये सिसकती हुई मां ने बताया कि उन्हें आज भी ऐसा लगता है कि उनकी बेटी सुबह उठकर उन्हें आवाज लगाएगी और कहेगी कि, 'मां खाना बनाकर मेरा टिफिन पैक करो मुझे जल्दी निकलना है.' आज भी शाम को कई बार यह एहसास होता है कि बेटी दरवाजे पर आई है. आंखों में आंसू लिए उनकी मां कैमरे के सामने हाथ जोड़कर बस यही कहती है कि जबतक उनकी बेटी के दोषियों को सजा नहीं मिल जाती तबतक उनका जीवन किसी नर्क से कम नहीं है. मां को लगता है कि अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के संज्ञान में यह मामला आया है तो उन्हें जरुर इंसाफ मिलेगा.

पढ़ेंः पुलिस भर्ती बार-बार टालने से बेरोजगार संघ नाराज, वन मंत्री को भी दी चेतावनी

पिता को भी सीएम से उम्मीद

जिस बेटी को देखकर कभी पिता को हौसला मिलता था, आज वो पिता अपने आप को टूटा हुआ महसूस करते हैं. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए निर्भया के पिता ने कहा कि उनकी होनहार बेटी भले ही इस दुनिया में नहीं है, लेकिन अभी भी उनकी तस्वीर को देखकर उन्हें यह एहसास होता है कि वह उन्हें हिम्मत दे रही है. आज नहीं तो कल उनकी बेटी के साथ जिसने भी गलत काम किया है वह फांसी के फंदे पर जरूर लटकेंगे. शायद यही कारण है कि पिता-माता आज भी उस हर व्यक्ति से मिलते है जिससे उन्हें इंसाफ मिलने की उम्मीद है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी माता-पिता से यह वादा किया है कि सरकार निर्भया की लीगल तौर पर पूरी सहायता करेगी ताकि आरोपियों को जल्द से जल्द फांसी हो सके.

Last Updated : Dec 17, 2020, 4:51 PM IST
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