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दशहरे के मौके पर खुले परशुराम मंदिर के कपाट, भक्तों का लगा तांता - Parashuram Temple in Bohri Village

आज दशहरे के मौके पर प्राचीन परशुराम मंदिर के कपाट खोले गये.

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दशहरे के मौके पर खुले परशुराम मंदिर के कपाट
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Published : Oct 25, 2020, 5:24 PM IST

विकासनगर: जौनसार बावर कालसी ब्लॉक के बोहरी गांव स्थित प्राचीन परशुराम मंदिर के कपाट दशहरा पर्व पर भक्तों के लिए खोले गये. क्षेत्र के लोगों ने इस मंदिर में माथा टेककर सुख समृद्धि की कामना की.

दशहरे के पर्व के मौके पर लोगों ने परशुराम मंदिर में पूजा अर्चना कर जन कल्याण की कामना की. साथ ही देश विदेश में फैली कोरोना महामारी के खात्मे को लेकर भी मन्नतें मांगी गई. इस दौरान मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन किया गया.

दशहरे के मौके पर खुले परशुराम मंदिर के कपाट

पढ़ें- विजयदशमी आज, जानें क्यों मनाया जाता है दशहरा का पर्व

बोहरी गांव स्थित परशुराम मंदिर के कपाट खुलने के बाद मंदिर के पुजारी ने विधि पूर्वक हवन पूजन कर भगवान परशुराम की स्तुति की. पौराणिक मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु भू-लोक को छोड़कर पाताल लोक में चले गये थे. जिसके बाद वह देवोत्थान एकादशी को धरती पर जन कल्याण के लिए वापस लौटे.दशमी के दिन लोगों ने मंदिर में हवन पूजन कर सुख-समृद्धि की कामना की.

पढ़ें- ऋषिकेश: NSA अजीत डोभाल ने परिवार संग की गंगा आरती

मंदिर के पुजारी गुलाब सिंह ने बताया कि विष्णु अवतार परशुराम शयन मुद्रा के उपरांत विजयदशमी के दिन आज भूलोक पर लौटे थे. परशुराम देवता को भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से एक माना जाता है. इस मंदिर में हवन कुंड की विभूति लगाने से मात्र ही लोगों के कष्ट दूर हो जाते हैं.

पढ़ें- आगामी 15 और 16 नवंबर को बंद होंगे गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट

इस मंदिर में हवन कुंड की विभूति लगाने मात्र से ही लोगों के कष्ट दूर हो जाते हैं. निसंतान दंपत्ति के लिए भगवान परशुराम के मंदिर से दंपति को चावल के दाने अवतरित रूप में दिए जाते हैं. मान्यता है कि जिससे नव दंपति को संतान प्राप्ति होती है. परशुराम मंदिर बोहरी गांव के पुजारी गुलाब सिंह बताते हैं कि इस मंदिर में लोगों की आस्था लोगों को यहां खींच लाती है. यहां आने वाली हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है. जिस कारण से परशुराम मंदिर के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.

विकासनगर: जौनसार बावर कालसी ब्लॉक के बोहरी गांव स्थित प्राचीन परशुराम मंदिर के कपाट दशहरा पर्व पर भक्तों के लिए खोले गये. क्षेत्र के लोगों ने इस मंदिर में माथा टेककर सुख समृद्धि की कामना की.

दशहरे के पर्व के मौके पर लोगों ने परशुराम मंदिर में पूजा अर्चना कर जन कल्याण की कामना की. साथ ही देश विदेश में फैली कोरोना महामारी के खात्मे को लेकर भी मन्नतें मांगी गई. इस दौरान मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन किया गया.

दशहरे के मौके पर खुले परशुराम मंदिर के कपाट

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बोहरी गांव स्थित परशुराम मंदिर के कपाट खुलने के बाद मंदिर के पुजारी ने विधि पूर्वक हवन पूजन कर भगवान परशुराम की स्तुति की. पौराणिक मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु भू-लोक को छोड़कर पाताल लोक में चले गये थे. जिसके बाद वह देवोत्थान एकादशी को धरती पर जन कल्याण के लिए वापस लौटे.दशमी के दिन लोगों ने मंदिर में हवन पूजन कर सुख-समृद्धि की कामना की.

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मंदिर के पुजारी गुलाब सिंह ने बताया कि विष्णु अवतार परशुराम शयन मुद्रा के उपरांत विजयदशमी के दिन आज भूलोक पर लौटे थे. परशुराम देवता को भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से एक माना जाता है. इस मंदिर में हवन कुंड की विभूति लगाने से मात्र ही लोगों के कष्ट दूर हो जाते हैं.

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इस मंदिर में हवन कुंड की विभूति लगाने मात्र से ही लोगों के कष्ट दूर हो जाते हैं. निसंतान दंपत्ति के लिए भगवान परशुराम के मंदिर से दंपति को चावल के दाने अवतरित रूप में दिए जाते हैं. मान्यता है कि जिससे नव दंपति को संतान प्राप्ति होती है. परशुराम मंदिर बोहरी गांव के पुजारी गुलाब सिंह बताते हैं कि इस मंदिर में लोगों की आस्था लोगों को यहां खींच लाती है. यहां आने वाली हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है. जिस कारण से परशुराम मंदिर के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.

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