देहरादून: उत्तराखंड में विपक्षी दलों का डबल वार भाजपा सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर देगा. एक तरफ महंगाई की मार से जूझ रही जनता को विपक्ष सरकार के खिलाफ खड़ा करेगा तो बेरोजगार युवाओं का गुस्सा भी भाजपा के लिए सत्ता को दूर कर देगा. खास बात यह है कि विपक्ष के इन मुद्दों को सरकार के ही एक विभाग के आंकड़े मजबूती दे रहे हैं. ऐसे में उत्तराखंड में महंगाई और बेरोजगारी दोनों ही जनता के लिए मुसीबत बन गयी है.
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक है, लिहाजा सत्ताधारी दल अपने विकास कार्य के गुणगान को प्रचार-प्रसार के जरिए जनता के बीच ले जाने की कोशिश कर रहा है. उधर, विपक्ष भी आम लोगों से जुड़े मुद्दों पर हाथ आजमा कर सत्ता की चाबी पाने की कोशिश में है. भाजपा सरकार के लिए परेशानी यह है कि विपक्ष के पास जो दो बड़े हथियार हैं, वह न केवल धामी सरकार के खिलाफ जनता के आक्रोश को बढ़ाने वाले हैं, बल्कि विपक्ष के लिए इन हथियारों के जरिए सत्ता तक पहुंचना भी कुछ आसान हो सकता है.
एक तरफ घर की रसोई से जुड़ा होने के कारण यह मुद्दा सीधे महिलाओं से जुड़ा है, तो वहीं रोजगार का मुद्दा युवाओं को भाजपा सरकार के खिलाफ लामबंद कर सकता है. पहले ये जानिये कि राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय ने उत्तराखंड को लेकर बेरोजगारी और महंगाई को लेकर किस तरह के आंकड़े पेश किये हैं.
राष्ट्रीय सांख्यिकीय संगठन (एनएसओ) की तरफ से 2020 में करवाए गए सर्वे से साफ होता है कि उत्तराखंड बेरोजगारी के मामले में बेहद खराब स्थिति में है. खास तौर पर कोरोना के चलते क़रीब 26.8 फीसदी लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा है. स्थिति यह है कि अक्टूबर 2020 में बेरोजगारी दर 11.6 फीसदी रही है, जो कि बीते साल 2019 के तुलना में 2.3% ज्यादा रही.
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इस तरह देश के 22 राज्यों में उत्तराखंड बेरोजगारी में 9वें स्थान पर रहा. महंगाई को लेकर भी प्रदेश के हालात कुछ खास अच्छे नहीं रहे. यूं तो देशभर में पेट्रोल-डीजल समेत तमाम चीजों में महंगाई बढ़ती हुई दिखाई दी लेकिन राज्य स्तर पर आकलन करें तो उत्तराखंड महंगाई दर में भी 22 राज्यों में से 10वें स्थान पर रहा. प्रदेश में महंगाई दर 5.38% रही है. हालांकि, पहाड़ी राज्यों के रूप में देखे तो पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश से यह महंगाई दर कुछ कम है. हिमाचल प्रदेश में 6.99% महंगाई दर है.