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सरकार पर दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के अपमान का आरोप, विपक्ष ने सुनाई खरी-खोटी

विधानसभा सत्र के पहले दिन विपक्ष ने सरकार पर सत्ता पक्ष के दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के अपमान का आरोप लगाया है.

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Published : Dec 21, 2020, 4:21 PM IST

Updated : Dec 21, 2020, 9:26 PM IST

देहरादूनः विधानसभा सत्र के पहले दिन विपक्ष ने सरकार पर सत्ता पक्ष के दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के अपमान का आरोप लगाया है. विपक्ष के विधायकों ने कहा कि सरकार की तरफ से परंपरा के विपरीत जाकर निधन के निवेश के साथ-साथ अनुपूरक बजट लाया गया, जो कि दिवंगत आत्मा का अपमान है. साथ ही उन्होंने कहा कि संसदीय परंपराओं को लेकर आज एक बार फिर से प्रकाश पंत को सदन में याद किया गया.

बता दें कि, सदन के पहले दिन विपक्ष के विधायकों ने दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के अपमान को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है. एक तरफ जहां दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के निधन पर सत्ता पक्ष की ओर से अपनी संवेदनाएं व्यक्त की गई तो वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष का कहना है कि यह सरकार के मगरमच्छ के आंसू हैं. विपक्ष ने आरोप लगाया कि, सुरेंद्र सिंह जीना हमारे बीच के एक होनहार विधायक थे और उनके निधन के बावजूद भी सरकार द्वारा निधन के निर्देश के साथ-साथ अनुपूरक बजट को सदन के पटल पर रखा गया, जो कि दिवंगत आत्मा का अपमान है.

राजकीय सम्मान से नहीं की गई जीना की अंतेयष्टि- फर्त्याल

सदन से बाहर आकर विपक्ष के विधायक काजी निजामुद्दीन और उपनेता प्रतिपक्ष करण मेहरा ने मीडिया को बताया कि, सदन के भीतर सत्तापक्ष के विधायक पूरन फर्त्याल ने ही दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के निधन के अपमान को लेकर सरकार को आईना दिखाने का काम किया है. कांग्रेस के विधायकों द्वारा जानकारी दी गई कि, सदन के भीतर पूरन फर्त्याल ने जीना के अंत्येष्टि को राजकीय सम्मान के साथ ना किए जाने पर गहरा दुःख व्यक्त किया है.

बीजेपी विधायक पूरन फर्त्याल द्वारा सदन में जानकारी दी गई थी कि, सुरेंद्र सिंह जीना की अंतिम कोविड-19 नेगेटिव थी. जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार सामान्य प्रक्रिया के तहत किया गया. लेकिन इसके बावजूद भी सरकार द्वारा उन्हें अपमानित करते हुए उन्हें राजकीय सम्मान के साथ विदा नहीं किया गया, जो कि पहली दफा राज्य में हुआ है. विपक्ष के विधायकों ने पूर्व के कई घटनाक्रमों का हवाला देते हुए कहा कि राजकीय सम्मान पूर्व विधायकों को भी दिया जाता है, लेकिन इसके बावजूद भी सरकार द्वारा वर्तमान विधायक का राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि ना करके अपमान किया है.

ये भी पढ़ेंः शीतकालीन सत्र से पहले विधायकों ने किया योग, आचार्य बालकृष्ण ने सिखाए फिट रहने के गुर

आज पंत बहुत याद आए- विपक्ष

विपक्ष के विधायकों ने सदन से बाहर आकर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि, आज सदन की परंपरागत कार्यवाही को देखते हुए उन्हें प्रकाश पंत बेहद याद आए. विपक्ष के विधायक काजी निजामुद्दीन और उपनेता प्रतिपक्ष करण मेहरा ने कहा कि, सत्ता इस समय अनुभवहीन लोगों के हाथ में है. संसदीय कार्य में महारत रखने वाले प्रकाश पंत अगर आज जीवित होते तो, इस तरह से निधन के निर्देश के साथ-साथ अनुपूरक बजट को पेश नहीं किया गया होता. विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार को न जाने किस बात की जल्दी है. वह अनुपूरक बजट लाना चाहती है, साथ ही विपक्ष ने यह भी कहा कि सदन के समय को बढ़ाने को लेकर वह पूरी तरह से कोशिश करेंगे.

सरकार ने विपक्ष को दिया जवाब

वहीं विपक्ष के आरोपों का संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिश ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि सदन में कोई परंपरा नहीं तोड़ी गई. साथ ही उन्होंने सुरेंद्र सिंह जीना की अंतिम कोविड रिपोर्ट के मामले पर भी जांच की बात कही है. उन्होंने विपक्ष के तमाम आरोपों को सिरे से खारिज किया.

उन्होंने कहा कि लोकसभा में ऐसा कई बार हुआ है जब निधन के निदेश के साथ-साथ बजट भी पेश किया गया. अलग-अलग राज्यों की विधानसभा में कई तरह के नियम है. इसके अलावा सत्तापक्ष के विधायक द्वारा ही दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना की अंतिम कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आने पर भी राजकीय सम्मान ना दिए जाने के विषय को संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने स्वीकारते हुए कहा कि इस विषय पर जांच की जाएगी.

देहरादूनः विधानसभा सत्र के पहले दिन विपक्ष ने सरकार पर सत्ता पक्ष के दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के अपमान का आरोप लगाया है. विपक्ष के विधायकों ने कहा कि सरकार की तरफ से परंपरा के विपरीत जाकर निधन के निवेश के साथ-साथ अनुपूरक बजट लाया गया, जो कि दिवंगत आत्मा का अपमान है. साथ ही उन्होंने कहा कि संसदीय परंपराओं को लेकर आज एक बार फिर से प्रकाश पंत को सदन में याद किया गया.

बता दें कि, सदन के पहले दिन विपक्ष के विधायकों ने दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के अपमान को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है. एक तरफ जहां दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के निधन पर सत्ता पक्ष की ओर से अपनी संवेदनाएं व्यक्त की गई तो वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष का कहना है कि यह सरकार के मगरमच्छ के आंसू हैं. विपक्ष ने आरोप लगाया कि, सुरेंद्र सिंह जीना हमारे बीच के एक होनहार विधायक थे और उनके निधन के बावजूद भी सरकार द्वारा निधन के निर्देश के साथ-साथ अनुपूरक बजट को सदन के पटल पर रखा गया, जो कि दिवंगत आत्मा का अपमान है.

राजकीय सम्मान से नहीं की गई जीना की अंतेयष्टि- फर्त्याल

सदन से बाहर आकर विपक्ष के विधायक काजी निजामुद्दीन और उपनेता प्रतिपक्ष करण मेहरा ने मीडिया को बताया कि, सदन के भीतर सत्तापक्ष के विधायक पूरन फर्त्याल ने ही दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के निधन के अपमान को लेकर सरकार को आईना दिखाने का काम किया है. कांग्रेस के विधायकों द्वारा जानकारी दी गई कि, सदन के भीतर पूरन फर्त्याल ने जीना के अंत्येष्टि को राजकीय सम्मान के साथ ना किए जाने पर गहरा दुःख व्यक्त किया है.

बीजेपी विधायक पूरन फर्त्याल द्वारा सदन में जानकारी दी गई थी कि, सुरेंद्र सिंह जीना की अंतिम कोविड-19 नेगेटिव थी. जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार सामान्य प्रक्रिया के तहत किया गया. लेकिन इसके बावजूद भी सरकार द्वारा उन्हें अपमानित करते हुए उन्हें राजकीय सम्मान के साथ विदा नहीं किया गया, जो कि पहली दफा राज्य में हुआ है. विपक्ष के विधायकों ने पूर्व के कई घटनाक्रमों का हवाला देते हुए कहा कि राजकीय सम्मान पूर्व विधायकों को भी दिया जाता है, लेकिन इसके बावजूद भी सरकार द्वारा वर्तमान विधायक का राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि ना करके अपमान किया है.

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आज पंत बहुत याद आए- विपक्ष

विपक्ष के विधायकों ने सदन से बाहर आकर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि, आज सदन की परंपरागत कार्यवाही को देखते हुए उन्हें प्रकाश पंत बेहद याद आए. विपक्ष के विधायक काजी निजामुद्दीन और उपनेता प्रतिपक्ष करण मेहरा ने कहा कि, सत्ता इस समय अनुभवहीन लोगों के हाथ में है. संसदीय कार्य में महारत रखने वाले प्रकाश पंत अगर आज जीवित होते तो, इस तरह से निधन के निर्देश के साथ-साथ अनुपूरक बजट को पेश नहीं किया गया होता. विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार को न जाने किस बात की जल्दी है. वह अनुपूरक बजट लाना चाहती है, साथ ही विपक्ष ने यह भी कहा कि सदन के समय को बढ़ाने को लेकर वह पूरी तरह से कोशिश करेंगे.

सरकार ने विपक्ष को दिया जवाब

वहीं विपक्ष के आरोपों का संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिश ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि सदन में कोई परंपरा नहीं तोड़ी गई. साथ ही उन्होंने सुरेंद्र सिंह जीना की अंतिम कोविड रिपोर्ट के मामले पर भी जांच की बात कही है. उन्होंने विपक्ष के तमाम आरोपों को सिरे से खारिज किया.

उन्होंने कहा कि लोकसभा में ऐसा कई बार हुआ है जब निधन के निदेश के साथ-साथ बजट भी पेश किया गया. अलग-अलग राज्यों की विधानसभा में कई तरह के नियम है. इसके अलावा सत्तापक्ष के विधायक द्वारा ही दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना की अंतिम कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आने पर भी राजकीय सम्मान ना दिए जाने के विषय को संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने स्वीकारते हुए कहा कि इस विषय पर जांच की जाएगी.

Last Updated : Dec 21, 2020, 9:26 PM IST
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