देहरादून: कांग्रेस नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने कुमाऊं विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं. नैथानी ने कुमाऊं विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति नियुक्त किए जाने की मांग की है. पूर्व शिक्षा मंत्री नैथानी ने कहा कि कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डीके नौटियाल इस्तीफा देकर चले गए, क्योंकि वर्तमान सरकार ने उन्हें परेशान करते हुए गवर्नर हाउस से दबाव बनाया था.
यही कारण है कि दबाव के चलते उन्हें इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा. एक प्रक्रिया के तहत वाइस चांसलर की गैरमौजूदगी में यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ प्रोफेसर को कार्यवाहक वीसी की जिम्मेदारी सौंपी जाती है, लेकिन कुमाऊं विश्वविद्यालय में ऐसा नहीं किया गया.
इसके ठीक उलट आगरा के प्रो. केएस राणा को कुमाऊं विश्वविद्यालय का कार्यवाहक कुलपति का चार्ज सौंप दिया गया. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के जिस कुमाऊं विवि में विद्वान और बुद्धिजीवी लोगों ने उत्कृष्ट कार्य किए हैं वहां जो हो रहा है उसे कांग्रेस बर्दाश्त नहीं करेगी.
नैथानी का कहना है कि सिलेक्शन कमेटी के तहत वाइस चांसलर की चयन प्रक्रिया हो चुकी है, लेकिन आज तक उस कमेटी का निर्णय नहीं आया है. ऐसे में गवर्नर हाउस में वो निर्णय क्यों दबाया जा रहा है, वह समझ से परे है.
दरअसल मंत्री प्रसाद नैथानी का कहना है कि कुछ समय पहले ही प्रोफेसर डीके नौटियाल को दबाव के चलते इस्तीफा देना पड़ा था. ऐसे में सरकार को चाहिए था कि स्थायी कुलपति को नियुक्ति के लिए चयन समिति का गठन करके कुलपति तैनात किया जाए.
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मगर राज्य सरकार ने कुमाऊं विश्वविद्यालय के सीनियर प्रोफेसर को कार्यवाहक कुलपति बनाने की बजाए बाहरी व्यक्ति को कुलपति बना दिया. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि जो धनराशि केंद्र सरकार ने निर्गत नहीं की चाहे वह रमसा या अन्य केंद्र पोषित योजनाओं की हो, उस धनराशि को तत्काल प्रदेश को रिलीज किया जाए.