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शौच मुक्त गांव की स्याह हकीकत आई सामने, जानकर हैरान रह जाएंगे आप - खुले में शौच मुक्त

शौच मुक्त गांवों की स्याह हकीकत सामने आने से साफ जाहिर है कि अधिकारी किस तरह फाइलों पर योजना को पूरा दिखाकर सरकार की आंखों धूल झोंक रहे हैं.

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खुले में शौच मुक्त
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Published : Jan 13, 2020, 9:20 PM IST

ऋषिकेश: ग्राम सभा गढ़ी मयचक को खुले में शौच मुक्त करने का दावा खोखला नजर आ रहा है. कुछ ग्रामीणों का आरोप है कि गांव में अभी भी करीब सौ जरूरतमंद परिवार हैं. उनको सरकारी योजना से शौचालय नहीं मिल पाए. कई निर्धन परिवार ऐसे हैं जो आज भी खुले में शौच जाने पर मजबूर हैं. लेकिन ये बेहद चौंकानी वाली बात है गांव में लगा बोर्ड. जिसमें साफ लिखा है कि 2017 में ही गांव खुले में शौच मुक्त हो गया था.

फाइलों में ही गांव खुले में शौच मुक्त हुए

यहां बात हो रही है ऋषिकेश के पास ग्राम सभा गढ़ी मयचक श्यामपुर की. यहां बोक्सा जनजाति के सैकड़ों परिवार ऐसे हैं जिन्होंने पूर्व प्रधान पर आरोप लगाया है कि किसी भी सरकारी योजना का लाभ उन्हें नहीं मिल पाया. ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. सैकड़ों परिवार ऐसे हैं, जिन्हें सरकारी योजना के अंतर्गत किसी भी प्रकार का शौचालय नहीं मिला. ये लोग झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं, जो भारी बारिश में अक्सर टपकती है. इन सबके अलावा यहां सबसे बड़ा झूठ जो बोला गया वो ये है कि इस गांव को 2017 में ही खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया.

पढ़ें- जवान राजेंद्र सिंह नेगी की वापसी के लिए परिजनों से सरकार के लगाई गुहार, सीएम ने गृह मंत्री शाह से की बात

इस बारे में जब सीडीओ अपूर्वा पांडेय ने बात की गई तो उन्होंने कहा कि कुछ ग्रामीणों ने शिकायत की थी कि उनके यहां शौचालय नहीं बनवाया गया है. ग्रामीणों की शिकायतों को गंभीरता से लिया गया है. यह भी देखा जाएगा कि आखिर यह गांव छूट कैसे गया और यहां के लोगों को इसका लाभ क्यों नहीं मिला.

ऋषिकेश: ग्राम सभा गढ़ी मयचक को खुले में शौच मुक्त करने का दावा खोखला नजर आ रहा है. कुछ ग्रामीणों का आरोप है कि गांव में अभी भी करीब सौ जरूरतमंद परिवार हैं. उनको सरकारी योजना से शौचालय नहीं मिल पाए. कई निर्धन परिवार ऐसे हैं जो आज भी खुले में शौच जाने पर मजबूर हैं. लेकिन ये बेहद चौंकानी वाली बात है गांव में लगा बोर्ड. जिसमें साफ लिखा है कि 2017 में ही गांव खुले में शौच मुक्त हो गया था.

फाइलों में ही गांव खुले में शौच मुक्त हुए

यहां बात हो रही है ऋषिकेश के पास ग्राम सभा गढ़ी मयचक श्यामपुर की. यहां बोक्सा जनजाति के सैकड़ों परिवार ऐसे हैं जिन्होंने पूर्व प्रधान पर आरोप लगाया है कि किसी भी सरकारी योजना का लाभ उन्हें नहीं मिल पाया. ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. सैकड़ों परिवार ऐसे हैं, जिन्हें सरकारी योजना के अंतर्गत किसी भी प्रकार का शौचालय नहीं मिला. ये लोग झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं, जो भारी बारिश में अक्सर टपकती है. इन सबके अलावा यहां सबसे बड़ा झूठ जो बोला गया वो ये है कि इस गांव को 2017 में ही खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया.

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इस बारे में जब सीडीओ अपूर्वा पांडेय ने बात की गई तो उन्होंने कहा कि कुछ ग्रामीणों ने शिकायत की थी कि उनके यहां शौचालय नहीं बनवाया गया है. ग्रामीणों की शिकायतों को गंभीरता से लिया गया है. यह भी देखा जाएगा कि आखिर यह गांव छूट कैसे गया और यहां के लोगों को इसका लाभ क्यों नहीं मिला.

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Folder name--Shauchalay
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ऋषिकेश--ऋषिकेश के पास ग्राम सभा गढ़ी मयचक में खुले में शौच मुक्त होने का दावा खोखला नजर आ रहा है । कुछ ग्रामीणों का आरोप है कि लगभग सौ परिवार ऐसे है जो काफी जरूरतमंद है बावजूद उनको सरकारी योजना से शौचालय नहीं मिल पाए । कई निर्धन परिवार ऐसे है जो आज भी खुले में शौच जाने पर मजबूर है । वहीं गांव में लगा बोर्ड दर्शा रहा है कि 2017 में ही गांव खुले में शौच मुक्त हो गया है।


Body:वी/ओ--ऋषिकेश के पास ग्राम सभा गढ़ी मयचक श्यामपुर में बोक्शा जनजाति के सैकड़ों परिवार ऐसे है जिन्होंने पूर्व प्रधान पर आरोप लगाया है कि किसी भी सरकारी योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पाया है । ग्रामीण आज भी खुले में शौच  जाने पर मजबूर है। सैकड़ों परिवार ऐसे है कि जिनके लिए सरकारी योजना के अंतर्गत किसी भी प्रकार का शौचालय बन कर नहीं मिला । वहीं भरी बरसात में टपकते हुए झोपड़ों पर रहने को मजबूर है । वहीं गांव में ऐसा भी बोर्ड देखने को मिल रहा है जिसमें दर्शाया गया है कि 2017 के अंत तक पूरा गांव खुले में शौच मुक्त हो गया है।


Conclusion:वी/ओ--आज निरीक्षण करने पंहुची सीडीओ अपूर्वा पाण्डेय ने बताया कि कुछ ग्रामीण शौचालय न मिलने की शिकायत लेकर पंहुचे थे उनकी शिकायतों को ध्यान में रखते हुए पूरे मामले की गंभीरता से जांच की जाएगी,यह भी देखा जाएगा कि आखिर यह गांव छूट कैसे गया और यहां के लोगों को इसका लाभ क्यों नही मिला।

बाईट--ग्रामीण
बाईट--ग्रामीण
बाईट--ग्रामीन
बाईट--अपूर्वा पाण्डेय(सीडीओ,देहरादून)
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