देहरादून: अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना से जुड़े फर्जीवाड़े में एक और अस्पताल पर कार्रवाई की गई है. राज्य स्वास्थ्य अभिकरण ने जनपद उधम सिंह नगर के जसपुर मेट्रो हॉस्पिटल की सूची बद्धता समाप्त कर दी है. अस्पताल पर करीब 4 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है, जिसे सात दिन के भीतर राज्य स्वास्थ्य अभिकरण में जमा करना होगा.
आम लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं देने के मकसद से शुरू की गई अटल आयुष्मान योजना फर्जीवाड़ों में घिर गई है. प्रदेशभर से योजना के तहत फर्जीवाड़ों के तमाम मामले सामने आ रहे हैं. जिसके बाद ऐसे अस्पतालों पर कड़ी कार्रवाई भी की जा रही है. इसी कड़ी में राज्य स्वास्थ्य अभिकरण ने जनपद उधम सिंह नगर के जसपुर मेट्रो हॉस्पिटल की सूची बद्धता समाप्त कर दी है.
अस्पताल पर 4,17,300 रुपये का जुर्माना लगाया है. जिसे सात दिन के भीतर राज्य स्वास्थ्य अभिकरण में जमा करना होगा अन्यथा अस्पताल के खिलाफ वसूली की कार्रवाई की जाएगी. यही नहीं धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज और आपराधिक षडयंत्र आदि के संबंध में अस्पताल के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की कार्रवाई अलग से की जा रही है.
अस्पताल की ओर से किया गया ये हेरफेर
अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत न केवल 26 मरीजों की सर्जरी/उपचार अस्पताल ने बिना प्री-ऑथराइजेशन के कर दिया बल्कि मरीजों को डिस्चार्ज करने के बाद प्री-ऑथराइजेश की पहल की गई. इसके अलावा 15 मरीजों को निःशुल्क इलाज देने के बजाए अस्पताल ने उनसे पैसे लिए. जांच, दवा व सर्जरी के लिए अवैध रूप से शुल्क लिया गया. इनका क्लेम भी प्रस्तुत कर दिया.
जांच में सामने आया कि सूची बद्धता की तिथि से 16 अप्रैल 2019 तक अस्पताल में 67 मरीजों का इलाज किया गया. जिसमें 41 मामले रेफरल के आधार पर नियोजित केस के रूप में भर्ती किए गए. इनमें 18 मरीज सीएचसी जसपुर से रेफरल स्लिप पर मेट्रो अस्पताल का नाम अंकित कर रेफर किया गया था. कई रेफरल स्लिप पर अस्पताल के डॉक्टरों के नाम तक अंकित किए गए थे. यही नहीं दो मरीजों के मेट्रो अस्पताल में भर्ती होने के बाद सीएचसी जसपुर से रेफरल स्लिप प्राप्त की गई. 26 मरीजों को अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती होना दिखाया गया. जबकि जांच में पता लगा कि ये केस इमरजेंसी के नहीं थे, बल्कि रेफरल से बचने के लिए इन्हें इमरजेंसी केस दिखाया गया.
पढ़ें- ईंट भट्टा मालिकों और कर्मचारियों का प्रदर्शन, ARTO पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
अस्पताल द्वारा प्रस्तुत 67 मामलों में पैथोलॉजी रिपोर्ट पर किसी भी डॉक्टर के हस्ताक्षर अंकित नहीं हैं. सभी जांच इन-हाउस करवाई गई हैं. वहीं, पित्ताशय में सूजन व पथरी के एक मामले में मरीज की डिस्चार्ज स्लिप व ऑपरेशन नोट्स में भर्ती की तिथि अलग-अलग अंकित की गई थी.
इस मामले में अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के निदेशक/प्रशासन डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि अस्पताल पर 7 आरोप थे, जिस पर उसे नोटिस भेजा गया. लेकिन पर्याप्त समय दिए जाने के बाद भी अस्पताल ने इसका उत्तर नहीं दिया. जिस पर मामले का एक पक्षीय निस्तारण किया गया. अस्पताल पर सभी आरोप पूर्ण रूप से सिद्ध हुए हैं.
उत्तराखंड में अब तक करीब 14 अस्पतालों को फर्जीवाड़ों के तहत पकड़ा जा चुका है और उन पर भारी जुर्माना भी लगाया गया है. जिसे काफी हद तक निजी अस्पतालों की अवैधानिक काम करने के हौसले को तोड़ा जा सका है.