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सचिवालय से नीलाम हुईं अफसरों की शान की सवारी एंबेसडर कार, कभी आम से खास की थी पहली पसंद

एक जमाना था जब शहर से लेकर गांव में फर्राटे से सड़कों पर दौड़ती एंबेसडर कार नजर आती थी. 1960 से लेकर 1990 के दौर में राजनेता और अफसशाही की पहली पसंद एंबेसडर कार ही थी. लेकिन बदलते दौर के साथ एंबेसडर कारों की जगह दूसरी आधुनिक कारों ने ले ली है. इसी कारण शनिवार को दून सचिवालय से डेढ़ दर्जनों एंबेसडर कारों को कबाड़ में नीलाम कर दिया गया.

एम्बेसडर कार
एंबेसडर कार
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Published : Apr 3, 2022, 10:24 AM IST

Updated : Apr 3, 2022, 11:32 AM IST

देहरादून: भारत में करीब 5 दशक तक एंबेसडर कार राजनेताओं से लेकर आम आदमी की पसंद हुआ करती थी. लेकिन बदलते दौर के साथ सरकारी महकमों से एंबेसडर कार दूर होती जा रही है. ऐसा ही नजारा शनिवार को उत्तराखंड सचिवालय के बाहर सड़क पर देखने को मिला, जहां करीब डेढ़ दर्जन एंबेसडर कारों को रिटायर्ड कर कबाड़ में नीलामी के लिए खड़ा कर दिया गया.

बदलते समय के साथ अब राजनेता हो या सरकारी महकमा के अधिकारी, सभी नई गाड़ियों में सवारी करना पसंद करते हैं. लेकिन एक जमाना था जब अधिकारियों की पहली पंसद एंबेसडर कार हुआ करती थी. लेकिन अब उसकी जगह नई लग्जरी गाड़ियों ने ले ली है. यही कारण है कि शनिवार को उत्तराखंड सचिवालय में खराब हो चुकी करीब 18 एंबेसडर कारों को बाहर निकालकर सड़क पर खड़ा कर दिया गया और उसके बाद इन्हें कबाड़ में नीलामी के लिए भेज दिया गया. उस समय जो भी इन कारों को देख रहा था, वह चर्चा किए बिना नहीं रह पाया.

ये भी पढ़ेंः लिटरेचर फेस्टिवल: हाथों- हाथ बिकी DGP की 'खाकी में इंसान' बुक, बदली जनता की पुलिस के प्रति सोच

बता दें कि 5 दशक तक राजनेताओं और अधिकारियों की पहली पसंद रही एंबेसडर कार को 1958 में हिंदुस्तान मोटर्स ने लॉन्च किया था. लांचिंग के समय इस कार की कीमत 14 हजार रुपये रखी गई थी, जो कि उस दौर की सबसे महंगी कार थी. 1958 में 1489 CC की यह कार सबसे बेहतरीन कार हुआ करती थी. इस कार की अंतिम समय पर कीमत 4 लाख से 6 लाख तक पहुंच गई थी. एक समय था जब देश में 16 प्रतिशत एंबेसडर कार ही खरीदी जाती थी. लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में नई तकनीक और सुविधाजनक कारों के आ जाने के बाद यह कार अपना प्रभुत्व खोती हुई नजर आई.

देहरादून: भारत में करीब 5 दशक तक एंबेसडर कार राजनेताओं से लेकर आम आदमी की पसंद हुआ करती थी. लेकिन बदलते दौर के साथ सरकारी महकमों से एंबेसडर कार दूर होती जा रही है. ऐसा ही नजारा शनिवार को उत्तराखंड सचिवालय के बाहर सड़क पर देखने को मिला, जहां करीब डेढ़ दर्जन एंबेसडर कारों को रिटायर्ड कर कबाड़ में नीलामी के लिए खड़ा कर दिया गया.

बदलते समय के साथ अब राजनेता हो या सरकारी महकमा के अधिकारी, सभी नई गाड़ियों में सवारी करना पसंद करते हैं. लेकिन एक जमाना था जब अधिकारियों की पहली पंसद एंबेसडर कार हुआ करती थी. लेकिन अब उसकी जगह नई लग्जरी गाड़ियों ने ले ली है. यही कारण है कि शनिवार को उत्तराखंड सचिवालय में खराब हो चुकी करीब 18 एंबेसडर कारों को बाहर निकालकर सड़क पर खड़ा कर दिया गया और उसके बाद इन्हें कबाड़ में नीलामी के लिए भेज दिया गया. उस समय जो भी इन कारों को देख रहा था, वह चर्चा किए बिना नहीं रह पाया.

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बता दें कि 5 दशक तक राजनेताओं और अधिकारियों की पहली पसंद रही एंबेसडर कार को 1958 में हिंदुस्तान मोटर्स ने लॉन्च किया था. लांचिंग के समय इस कार की कीमत 14 हजार रुपये रखी गई थी, जो कि उस दौर की सबसे महंगी कार थी. 1958 में 1489 CC की यह कार सबसे बेहतरीन कार हुआ करती थी. इस कार की अंतिम समय पर कीमत 4 लाख से 6 लाख तक पहुंच गई थी. एक समय था जब देश में 16 प्रतिशत एंबेसडर कार ही खरीदी जाती थी. लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में नई तकनीक और सुविधाजनक कारों के आ जाने के बाद यह कार अपना प्रभुत्व खोती हुई नजर आई.

Last Updated : Apr 3, 2022, 11:32 AM IST
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