ETV Bharat / state

फिर सुर्खियों में लौटा उत्तराखंड का चर्चित तेल बिल घोटाला, जानिए कब क्या-क्या हुआ - उत्तराखंड टैक्सी घोटाला

Fake Fuel Bill Scam Uttarakhand नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई के बाद उत्तराखंड का तेल बिल घोटाला एक बार फिर चर्चा में आ गया है. 2009 से 2013 के बीच हुए इस घोटाले में कई सीएमओ और सीएमएस आरोपों के घेरे में हैं. कार्रवाई के तहत ट्रेवल एजेंसी पर मुकदमा भी दर्ज किया गया लेकिन फिर यूटर्न ले लिया गया. तब से मामला शांत ही है.

oil bill scam
तेल बिल घोटाला
author img

By

Published : Aug 17, 2023, 8:28 PM IST

Updated : Aug 18, 2023, 12:29 PM IST

देहरादूनः अक्सर चर्चाओं में रहने वाला उत्तराखंड का स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर अपने चर्चित तेल बिल घोटाले को लेकर चर्चाओं में आ गया है. साल 2009 से 2013 के बीच फर्जी बिलों के आधार पर किए गए करोड़ों रुपए के भुगतान को लेकर दायर याचिकाओं पर बुधवार को नैनीताल हाईकोर्ट ने सुनवाई की. साथ ही कोर्ट ने तेल घोटाले में शामिल मंत्रियों और अधिकारियों पर अबतक क्या कार्रवाई की गई है, इस संबंध में अगले एक हफ्ते के भीतर शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं.

जानिए क्या है चर्चित तेल बिल घोटाला: दरअसल, उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा तेल घोटाला साल 2009 से 2013 के बीच का है. उस दौरान करीब एक करोड़ 38 लाख रुपए टैक्सियों के तेल बिल के रूप में भुगतान किया गया था. मिली जानकारी के मुताबिक, उस दौरान मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से दिए गए आदेशों पर ही चुनाव में टैक्सियां संचालित की गई थी. जिसका भुगतान स्वास्थ्य विभाग ने किया था. घोटाले की बात सामने आने के बाद साल 2014 में तत्कालीन डायरेक्टर डॉ ललित मोहन गुसाईं के नेतृत्व में बनाई गई कमेटी ने पूरे मामले की जांच की थी.

डीजी हेल्थ ने की उच्चस्तरीय जांच की संस्तुति: जांच में पता चला कि देहरादून, उधमसिंह नगर, हरिद्वार और टिहरी के सीएमओ ऑफिस के साथ ही बड़े हॉस्पिटलों के फर्जी तेल बिलों के भुगतान के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से आदेश कराए गए. मामले में ट्रेवल एजेंसी समेत 13 नए और पुराने सीएमएस, सीएमओ भी कार्रवाई की जद में आ गए थे. हालांकि, उस दौरान तत्कालिन स्वास्थ्य महानिदेशक ने शासन को जांच रिपोर्ट सौंप दी थी. साथ ही इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच करने की भी संस्तुति की गई थी.
ये भी पढ़ेंः फर्जी तेल बिल घोटाला मामला: हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई हुई?

मंत्री ने FIR से लिया यूटर्न: यह पूरा मामला मुख्यमंत्री कार्यालय और स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़ा होने के चलते तत्कालिन स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने संबंधित ट्रेवल एजेंसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश भी दिए थे. लेकिन उस दौरान मंत्री ने मुकदमा दर्ज करने के निर्देश से यू टर्न ले लिया और न्याय विभाग से सुझाव मांगा था. दरअसल, शासन, विभागीय और ऑडिटर स्तर पर हुई मामले की जांच में भी घोटाले की पुष्टि हुई थी. साथ ही इस मामले पर चारों जिलों में एफआईआर तक दर्ज करा दी गई. बावजूद इसके तेल घोटाले में संलिप्त लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी.

समय के साथ शांत हुआ मामला: साल 2015 में यह मामला काफी चर्चाओं में रहा. तमाम स्तर पर जांच होने के बाद, उस दौरान इस पूरे मामले की एक और जांच कराने का मामला सामने आया. लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, मामला शांत होता चला गया. हालांकि, इस घोटाले को लेकर नैनीताल में तमाम याचिका दायर की गई, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ. हां इतना जरूर है कि याचिकाओं की सुनवाई के दौरान मामला कुछ दिनों के लिए चर्चाओ में आता रहा. लेकिन फिर शांत होता रहा. लेकिन अब नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार से अगले एक हफ्ते के भीतर तेल घोटाले में की गई कार्रवाई के संबंध में शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं.

देहरादूनः अक्सर चर्चाओं में रहने वाला उत्तराखंड का स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर अपने चर्चित तेल बिल घोटाले को लेकर चर्चाओं में आ गया है. साल 2009 से 2013 के बीच फर्जी बिलों के आधार पर किए गए करोड़ों रुपए के भुगतान को लेकर दायर याचिकाओं पर बुधवार को नैनीताल हाईकोर्ट ने सुनवाई की. साथ ही कोर्ट ने तेल घोटाले में शामिल मंत्रियों और अधिकारियों पर अबतक क्या कार्रवाई की गई है, इस संबंध में अगले एक हफ्ते के भीतर शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं.

जानिए क्या है चर्चित तेल बिल घोटाला: दरअसल, उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा तेल घोटाला साल 2009 से 2013 के बीच का है. उस दौरान करीब एक करोड़ 38 लाख रुपए टैक्सियों के तेल बिल के रूप में भुगतान किया गया था. मिली जानकारी के मुताबिक, उस दौरान मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से दिए गए आदेशों पर ही चुनाव में टैक्सियां संचालित की गई थी. जिसका भुगतान स्वास्थ्य विभाग ने किया था. घोटाले की बात सामने आने के बाद साल 2014 में तत्कालीन डायरेक्टर डॉ ललित मोहन गुसाईं के नेतृत्व में बनाई गई कमेटी ने पूरे मामले की जांच की थी.

डीजी हेल्थ ने की उच्चस्तरीय जांच की संस्तुति: जांच में पता चला कि देहरादून, उधमसिंह नगर, हरिद्वार और टिहरी के सीएमओ ऑफिस के साथ ही बड़े हॉस्पिटलों के फर्जी तेल बिलों के भुगतान के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से आदेश कराए गए. मामले में ट्रेवल एजेंसी समेत 13 नए और पुराने सीएमएस, सीएमओ भी कार्रवाई की जद में आ गए थे. हालांकि, उस दौरान तत्कालिन स्वास्थ्य महानिदेशक ने शासन को जांच रिपोर्ट सौंप दी थी. साथ ही इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच करने की भी संस्तुति की गई थी.
ये भी पढ़ेंः फर्जी तेल बिल घोटाला मामला: हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई हुई?

मंत्री ने FIR से लिया यूटर्न: यह पूरा मामला मुख्यमंत्री कार्यालय और स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़ा होने के चलते तत्कालिन स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने संबंधित ट्रेवल एजेंसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश भी दिए थे. लेकिन उस दौरान मंत्री ने मुकदमा दर्ज करने के निर्देश से यू टर्न ले लिया और न्याय विभाग से सुझाव मांगा था. दरअसल, शासन, विभागीय और ऑडिटर स्तर पर हुई मामले की जांच में भी घोटाले की पुष्टि हुई थी. साथ ही इस मामले पर चारों जिलों में एफआईआर तक दर्ज करा दी गई. बावजूद इसके तेल घोटाले में संलिप्त लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी.

समय के साथ शांत हुआ मामला: साल 2015 में यह मामला काफी चर्चाओं में रहा. तमाम स्तर पर जांच होने के बाद, उस दौरान इस पूरे मामले की एक और जांच कराने का मामला सामने आया. लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, मामला शांत होता चला गया. हालांकि, इस घोटाले को लेकर नैनीताल में तमाम याचिका दायर की गई, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ. हां इतना जरूर है कि याचिकाओं की सुनवाई के दौरान मामला कुछ दिनों के लिए चर्चाओ में आता रहा. लेकिन फिर शांत होता रहा. लेकिन अब नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार से अगले एक हफ्ते के भीतर तेल घोटाले में की गई कार्रवाई के संबंध में शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं.

Last Updated : Aug 18, 2023, 12:29 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.