देहरादून: देश में हर घर तक नल पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में जल जीवन मिशन के तहत जिस योजना का जिक्र किया था, वो योजना उत्तराखंड में अफसरों की आंकड़ों की हेराफेरी में फंस गई है. हालत यह हैं कि अफसरों ने इस योजना को पलीता लगाने में कोर कसर नहीं छोड़ी. अधिकारियों ने बिना जल स्त्रोत के सर्वे और लाइन बिछाये ही कई घरों तक नल का कनेक्शन पहुंचा दिया है.
उत्तराखंड में जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल की योजना को पलीता लगाने के मामले ने सरकार की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है. प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन योजना की घोषणा की थी. लेकिन ये योजना जून 2020 से शुरू हुई, उम्मीद थी कि इस योजना से उत्तराखंड के दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों तक पानी की कमी को दूर होगा. लेकिन अफसरों ने इस योजना में ऐसी धांधली की है, जिसे सुनकर किसी के भी पांव के नीचे से जमीन खिसक जाएगी.
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दरअसल, प्रधानमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को सफल साबित करने के लिए आंकड़ों की ऐसी हेराफेरी की गई कि भारत सरकार भी इस काम को तेजी से करने के लिए उत्तराखंड के जल निगम से जुड़े अधिकारियों को सम्मानित कर देता है.
जी हां, अधिकारियों ने बिना पानी के ही लोगों के घरों में नल लगवा दिए. यानी जिस योजना के लिए पहले जल स्रोत का सर्वे होना चाहिए, इसके बाद योजना की स्वीकृति के साथ ही लाइन एबीसी चाहिए थी, उसमें अफसरों ने पहले कनेक्शन दे दिये. इतना ही नहीं इसमेंं घरों पर नल भी पहुंचा दिये गये. सोचिए कि अफसरों ने एक ऐसा ताना-बाना बुना की घर घर में नल लगने का आंकड़ा भी तैयार कर लिया और लोगों के घर में पानी पहुंचा भी नहीं.
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बहरहाल, इस मामले को खुद पेयजल मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने खोला. इसकी शिकायत मुख्यमंत्री दरबार तक भी कर दी. अब पेयजल मंत्री बिशन सिंह चुफाल कहते हैं कि फिलहाल इस योजना में नए कनेक्शन देने की प्रक्रिया को पूरी तरह से रोक दिया गया है. जिन योजनाओं में जहां नल लगे हैं वहां पर पेयजल लाइनें बिछाने के लिए और जल स्त्रोत पर सर्वे का काम भी शुरू करने के निर्देश दे दिए गए हैं.