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Oak Tasar Silk Production: उत्तराखंड में ओक टसर सिल्क के उत्पादन की कवायद शुरू, यहां हुआ प्लांटेशन

देश की आजादी के बाद उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में रेशम को लेकर थोड़ा बहुत काम जरूर किया गया, लेकिन पहाड़ों पर बहुतायत मात्रा में होने वाले बांज के पेड़ से निकलने वाले टसर सिल्क की संभावना को कभी खोजा ही नहीं गया. ईटीवी भारत ने उत्तराखंड में टसर सिल्क की क्या संभावनाएं हैं? उत्तराखंड में इसकी कितनी सामर्थ्य है. साथ ही उत्पादन की दृष्टि से क्या किया जा सकता है? इसको लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी.

Oak Tasar Silk Production
उत्तराखंड में ओक टसर सिल्क का यहां हुआ प्लांटेशन
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Published : Mar 14, 2023, 10:49 AM IST

Updated : Mar 14, 2023, 12:48 PM IST

उत्तराखंड में ओक टसर सिल्क के उत्पादन की कवायद शुरू

देहरादून: उत्तराखंड में बांज के वृक्ष से उत्पादित होने वाले टसर सिल्क को लेकर कवायद शुरू कर दी गई है. इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर उत्तराखंड के 5 सीमांत पर्वतीय ब्लॉकों में टसर सिल्क को लेकर प्लान्टेशन कर रही हैं.

अंग्रजों के समय से मिली पहचान: उत्तराखंड में बहुतायत मात्रा में पाए जाने वाले बांज के वृक्ष से टसर सिल्क की संभावनाओं को अंग्रेजों ने 18वीं सदी में ही पहचान लिया था. यही वजह है कि अंग्रेजों ने उस समय उत्तराखंड को टसर सिल्क उत्पादन के क्षेत्र में विश्व का सबसे बड़ा हब बताया था. यही नहीं अंग्रेजों ने उस समय उत्तर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र में आने वाले उत्तराखंड के इलाके में रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए देहरादून को रेशम का बड़ा केंद्र बनाया और रेशम माजरी की भी स्थापना की थी.

ओक टसर के प्लांटेशन का काम शुरू: बहरहाल लंबे समय तक उत्तराखंड के ओक टसर को नजरअंदाजी का सामना करने के बाद अब आखिरकार कुछ कवायद शुरू जरूर की गई है. इसको लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर तकरीबन 28 करोड़ की लागत से उत्तराखंड में ओक टसर को लेकर काम शुरू कर रही हैं. इसमें केंद्रीय रेशम बोर्ड ने कोविड-19 महामारी के बाद उत्तराखंड के पांच सीमांत पर्वतीय ब्लॉकों में ओक टसर के प्लांटेशन की कवायद शुरू की है.
यह भी पढ़ें : Cabinet Decision: आंदोलनकारियों को 10% क्षैतिज आरक्षण बिल के प्रस्ताव को मंजूरी, विधायक निधि बढ़कर हुई 5 करोड़

इन जगहों पर होगा उत्पादन: उत्तराखंड रेशम बोर्ड के अध्यक्ष आनंद यादव ने बताया कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़, बागेश्वर, चकराता, जोशीमठ, उत्तरकाशी के पांच सीमांत और पर्वतीय ब्लॉकों में तकरीबन 300 हेक्टेयर में ओक टसर का प्लांटेशन किया जा चुका है. वहीं अब दूसरे चरण में ओक टसर के उत्पादन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

उत्तराखंड में ओक टसर सिल्क के उत्पादन की कवायद शुरू

देहरादून: उत्तराखंड में बांज के वृक्ष से उत्पादित होने वाले टसर सिल्क को लेकर कवायद शुरू कर दी गई है. इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर उत्तराखंड के 5 सीमांत पर्वतीय ब्लॉकों में टसर सिल्क को लेकर प्लान्टेशन कर रही हैं.

अंग्रजों के समय से मिली पहचान: उत्तराखंड में बहुतायत मात्रा में पाए जाने वाले बांज के वृक्ष से टसर सिल्क की संभावनाओं को अंग्रेजों ने 18वीं सदी में ही पहचान लिया था. यही वजह है कि अंग्रेजों ने उस समय उत्तराखंड को टसर सिल्क उत्पादन के क्षेत्र में विश्व का सबसे बड़ा हब बताया था. यही नहीं अंग्रेजों ने उस समय उत्तर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र में आने वाले उत्तराखंड के इलाके में रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए देहरादून को रेशम का बड़ा केंद्र बनाया और रेशम माजरी की भी स्थापना की थी.

ओक टसर के प्लांटेशन का काम शुरू: बहरहाल लंबे समय तक उत्तराखंड के ओक टसर को नजरअंदाजी का सामना करने के बाद अब आखिरकार कुछ कवायद शुरू जरूर की गई है. इसको लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर तकरीबन 28 करोड़ की लागत से उत्तराखंड में ओक टसर को लेकर काम शुरू कर रही हैं. इसमें केंद्रीय रेशम बोर्ड ने कोविड-19 महामारी के बाद उत्तराखंड के पांच सीमांत पर्वतीय ब्लॉकों में ओक टसर के प्लांटेशन की कवायद शुरू की है.
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इन जगहों पर होगा उत्पादन: उत्तराखंड रेशम बोर्ड के अध्यक्ष आनंद यादव ने बताया कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़, बागेश्वर, चकराता, जोशीमठ, उत्तरकाशी के पांच सीमांत और पर्वतीय ब्लॉकों में तकरीबन 300 हेक्टेयर में ओक टसर का प्लांटेशन किया जा चुका है. वहीं अब दूसरे चरण में ओक टसर के उत्पादन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

Last Updated : Mar 14, 2023, 12:48 PM IST
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