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भिखारियों की पनाहगाह बनती जा रही है देवभूमि, जानिए क्यों? - उत्तराखंड समाचार

भिखारियों को देवभूमि आकर्षित करने लगी है.जिनकी संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है. जहां 2011 में संख्या 3320 थी. इसमें 2374 पुरुष और 700 महिलाओं समेत करीब 274 बच्चे शामिल है.

Dehradun
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Published : Apr 24, 2019, 3:20 PM IST

Updated : Apr 25, 2019, 1:15 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू होने में कुछ ही दिन शेष रह गए हैं. ऐसे में भिखारियों को देवभूमि आकर्षित करने लगी है और ऐसे हो भी क्यों ना. क्योंकि भिक्षावृति में लगे लोगों का जुड़ाव धार्मिक श्रद्धा को लेकर नहीं, बल्कि विशुद्ध कमाई से जुड़ा है. उत्तराखंड के तीज त्यौहारों और बड़े धार्मिक आयोजनों से भिखारियों के उस कनेक्शन को समझना जरूरी है. जिसके बारे मे आमतौर पर चर्चा नहीं की जाती.

भिखारियों की पनाहगाह बनती जा रही है देवभूमि
पर्यटन प्रदेश उत्तराखंड तीर्थाटन के लिहाज से भी एक बड़ा केंद्र है. जहां हजारों-लाखों श्रद्धालु देश और विदेशों से आते हैं. राज्य में श्रद्धालुओं और यात्रियों का आना तब और भी बढ़ जाता है जब देवभूमि में धार्मिक लिहाज से कोई बड़ा आयोजन होता है. खासतौर पर कुंभ और चार धाम यात्रा. ये प्रदेश के बड़े धार्मिक आयोजन हैं. जब लाखों की संख्या में श्रद्धालु उत्तराखंड का रुख करते हैं. बस यही विशेषता भिखारियों के लिए उत्तराखंड को बाकी राज्यों से अलहदा कर देती है.

पढ़ें: चारधाम यात्रा के लिए खास तैयारी, दुर्घटना होते ही अब फौरन मिलेगी जानकारी

दरअसल, भिक्षावृत्ति में लगे लोगों को एक ही जगह पर ज्यादा से ज्यादा यात्री मिलने से उनकी कमाई बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है और इसी उम्मीद को लेकर उत्तराखंड में चार धाम यात्रा या कुंभ जैसे आयोजन होते ही भिखारियों की संख्या में भी कई गुना इजाफा हो जाता है.

वहीं, इस मामले पर डीजी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार कहते हैं कि राज्य में तमाम आयोजनों के दौरान भिखारियों की संख्या एकाएक बढ़ जाती है. जिसको लेकर पुलिस निगाह बनाए हुई है.

पढ़ें: ऐसे कैसे शुरू होगी चारधाम यात्रा: धूल भरी सड़कें, रास्तों में गड्ढे

उत्तराखंड में भिखारियों से जुड़े आंकड़े
भारत सरकार के सामाजिक न्याय विभाग के आंकड़े बताते हैं कि उत्तराखंड में भिखारियों की साल दर साल बढ़ रही है. 2011 में संख्या 3320 थी. इसमें 2374 पुरुष और 700 महिलाओं समेत करीब 274 बच्चे शामिल है. देश में कुल 413760 भिखारी चिन्हित किए गए हैं. एक आकलन के अनुसार सामान्य रूप से एक भिखारी हर दिन करीब ₹200 कमाता है. यह कमाई चार धाम यात्रा या बड़े धार्मिक आयोजनों में 2 से 3 गुना तक बढ़ जाती है.

यूं तो उत्तराखंड उन 20 राज्यों में शामिल है. जहां भिक्षावृत्ति को प्रतिबंधित कर इस पर विशेष कानून लागू किया गया है. उत्तराखंड ने 2017 में ही उत्तर प्रदेश भिक्षावृत्ति प्रतिषेध अधिनियम 1975 अपना लिया था. लेकिन इसके बावजूद उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों और धार्मिक आयोजनों के दौरान संबंधित क्षेत्रों में भिखारियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.

पढ़ें: अक्षय कुमार के साथ इंटरव्यू में बोले मोदी, 'आज भी पैसे भेजती हैं मां'

हालांकि, इस मामले में हाईकोर्ट भी 2017 में गंभीरता से लेते हुए भिक्षावृत्ति रोकने के लिए शासन को निर्देश जारी कर चुका है. इसको लेकर अब जल्द ही उत्तराखंड पुलिस ने भिक्षावृत्ति में लगे बच्चों का डीएनए टेस्ट कराने का भी मन बनाया है, ताकि भिक्षावृत्ति में लगे बच्चों की पहचान की जा सके और बच्चों को उनके परिजनों को सुपुर्द कर भविष्य के लिए कठोर रूप से निर्देशित भी किया जा सके.

देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू होने में कुछ ही दिन शेष रह गए हैं. ऐसे में भिखारियों को देवभूमि आकर्षित करने लगी है और ऐसे हो भी क्यों ना. क्योंकि भिक्षावृति में लगे लोगों का जुड़ाव धार्मिक श्रद्धा को लेकर नहीं, बल्कि विशुद्ध कमाई से जुड़ा है. उत्तराखंड के तीज त्यौहारों और बड़े धार्मिक आयोजनों से भिखारियों के उस कनेक्शन को समझना जरूरी है. जिसके बारे मे आमतौर पर चर्चा नहीं की जाती.

भिखारियों की पनाहगाह बनती जा रही है देवभूमि
पर्यटन प्रदेश उत्तराखंड तीर्थाटन के लिहाज से भी एक बड़ा केंद्र है. जहां हजारों-लाखों श्रद्धालु देश और विदेशों से आते हैं. राज्य में श्रद्धालुओं और यात्रियों का आना तब और भी बढ़ जाता है जब देवभूमि में धार्मिक लिहाज से कोई बड़ा आयोजन होता है. खासतौर पर कुंभ और चार धाम यात्रा. ये प्रदेश के बड़े धार्मिक आयोजन हैं. जब लाखों की संख्या में श्रद्धालु उत्तराखंड का रुख करते हैं. बस यही विशेषता भिखारियों के लिए उत्तराखंड को बाकी राज्यों से अलहदा कर देती है.

पढ़ें: चारधाम यात्रा के लिए खास तैयारी, दुर्घटना होते ही अब फौरन मिलेगी जानकारी

दरअसल, भिक्षावृत्ति में लगे लोगों को एक ही जगह पर ज्यादा से ज्यादा यात्री मिलने से उनकी कमाई बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है और इसी उम्मीद को लेकर उत्तराखंड में चार धाम यात्रा या कुंभ जैसे आयोजन होते ही भिखारियों की संख्या में भी कई गुना इजाफा हो जाता है.

वहीं, इस मामले पर डीजी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार कहते हैं कि राज्य में तमाम आयोजनों के दौरान भिखारियों की संख्या एकाएक बढ़ जाती है. जिसको लेकर पुलिस निगाह बनाए हुई है.

पढ़ें: ऐसे कैसे शुरू होगी चारधाम यात्रा: धूल भरी सड़कें, रास्तों में गड्ढे

उत्तराखंड में भिखारियों से जुड़े आंकड़े
भारत सरकार के सामाजिक न्याय विभाग के आंकड़े बताते हैं कि उत्तराखंड में भिखारियों की साल दर साल बढ़ रही है. 2011 में संख्या 3320 थी. इसमें 2374 पुरुष और 700 महिलाओं समेत करीब 274 बच्चे शामिल है. देश में कुल 413760 भिखारी चिन्हित किए गए हैं. एक आकलन के अनुसार सामान्य रूप से एक भिखारी हर दिन करीब ₹200 कमाता है. यह कमाई चार धाम यात्रा या बड़े धार्मिक आयोजनों में 2 से 3 गुना तक बढ़ जाती है.

यूं तो उत्तराखंड उन 20 राज्यों में शामिल है. जहां भिक्षावृत्ति को प्रतिबंधित कर इस पर विशेष कानून लागू किया गया है. उत्तराखंड ने 2017 में ही उत्तर प्रदेश भिक्षावृत्ति प्रतिषेध अधिनियम 1975 अपना लिया था. लेकिन इसके बावजूद उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों और धार्मिक आयोजनों के दौरान संबंधित क्षेत्रों में भिखारियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.

पढ़ें: अक्षय कुमार के साथ इंटरव्यू में बोले मोदी, 'आज भी पैसे भेजती हैं मां'

हालांकि, इस मामले में हाईकोर्ट भी 2017 में गंभीरता से लेते हुए भिक्षावृत्ति रोकने के लिए शासन को निर्देश जारी कर चुका है. इसको लेकर अब जल्द ही उत्तराखंड पुलिस ने भिक्षावृत्ति में लगे बच्चों का डीएनए टेस्ट कराने का भी मन बनाया है, ताकि भिक्षावृत्ति में लगे बच्चों की पहचान की जा सके और बच्चों को उनके परिजनों को सुपुर्द कर भविष्य के लिए कठोर रूप से निर्देशित भी किया जा सके.

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भिखारियों की पनाहगाह बनती जा रही है देवभूमि, जानिए क्यों?

देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू होने में कुछ ही दिन शेष रह गए हैं. ऐसे में भिखारियों को देवभूमि आकर्षित करने लगी है और ऐसे हो भी क्यों ना. क्योंकि भिक्षावृति में लगे लोगों का जुड़ाव धार्मिक श्रद्धा को लेकर नहीं, बल्कि विशुद्ध कमाई से जुड़ा है. उत्तराखंड के तीज त्यौहारों और बड़े धार्मिक आयोजनों से भिखारियों के उस कनेक्शन को समझना जरूरी है. जिसके बारे मे आमतौर पर चर्चा नहीं की जाती. 

पर्यटन प्रदेश उत्तराखंड तीर्थाटन के लिहाज से भी एक बड़ा केंद्र है. जहां हजारों-लाखों श्रद्धालु देश और विदेशों से आते हैं. राज्य में श्रद्धालुओं और यात्रियों का आना तब और भी बढ़ जाता है जब देवभूमि में धार्मिक लिहाज से कोई बड़ा आयोजन होता है. खासतौर पर कुंभ और चार धाम यात्रा. ये प्रदेश के बड़े धार्मिक आयोजन हैं. जब लाखों की संख्या में श्रद्धालु उत्तराखंड का रुख करते हैं. बस यही विशेषता भिखारियों के लिए उत्तराखंड को बाकी राज्यों से अलहदा कर देती है. 

दरअसल, भिक्षावृत्ति में लगे लोगों को एक ही जगह पर ज्यादा से ज्यादा यात्री मिलने से उनकी कमाई बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है और इसी उम्मीद को लेकर उत्तराखंड में चार धाम यात्रा या कुंभ जैसे आयोजन होते ही भिखारियों की संख्या में भी कई गुना इजाफा हो जाता है. 

वहीं, इस मामले पर डीजी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार कहते हैं कि राज्य में तमाम आयोजनों के दौरान भिखारियों की संख्या एकाएक बढ़ जाती है. जिसको लेकर पुलिस निगाह बनाए हुई है.  

उत्तराखंड में भिखारियों से जुड़े आंकड़े-

भारत सरकार के सामाजिक न्याय विभाग के आंकड़े बताते हैं कि उत्तराखंड में भिखारियों की साल दर साल बढ़ रही है. 2011 में संख्या 3320 थी. इसमें 2374 पुरुष और 700 महिलाओं समेत करीब 274 बच्चे शामिल है. देश में कुल 413760 भिखारी चिन्हित किए गए हैं. एक आकलन के अनुसार सामान्य रूप से एक भिखारी हर दिन करीब ₹200 कमाता है. यह कमाई चार धाम यात्रा या बड़े धार्मिक आयोजनों में 2 से 3 गुना तक बढ़ जाती है. 

यूं तो उत्तराखंड उन 20 राज्यों में शामिल है. जहां भिक्षावृत्ति को प्रतिबंधित कर इस पर विशेष कानून लागू किया गया है.  उत्तराखंड ने 2017 में ही उत्तर प्रदेश भिक्षावृत्ति प्रतिषेध अधिनियम 1975 अपना लिया था. लेकिन इसके बावजूद उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों और धार्मिक आयोजनों के दौरान संबंधित क्षेत्रों में भिखारियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. 

हालांकि, इस मामले में हाईकोर्ट भी 2017 में गंभीरता से लेते हुए भिक्षावृत्ति रोकने के लिए शासन को निर्देश जारी कर चुका है. इसको लेकर अब जल्द ही उत्तराखंड पुलिस ने भिक्षावृत्ति में लगे बच्चों का डीएनए टेस्ट कराने का भी मन बनाया है, ताकि भिक्षावृत्ति में लगे बच्चों की पहचान की जा सके और बच्चों को उनके परिजनों को सुपुर्द कर भविष्य के लिए कठोर रूप से निर्देशित भी किया जा सके.

 


Conclusion:
Last Updated : Apr 25, 2019, 1:15 PM IST
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