देहरादूनः उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. आंकड़ों पर गौर करें तो कॉर्बेट में जहां 2006 में महज 164 बाघ थे, वहीं 2014 आते-आते इनकी संख्या 215 तक पहुंच गई. इसके बाद अब भी लगातार बाघों की संख्या कॉर्बेट पार्क में बढ़ रही है.
यह खबर बाघों के लिए तो अच्छी कही जा सकती है, लेकिन कॉर्बेट में बाघों की इस तरह बढ़ रही संख्या के कारण आपसी संघर्ष के मामले भी बढ़ रहे हैं. दरअसल कॉर्बेट नेशनल पार्क में 100 वर्ग किलोमीटर में बाघों की संख्या करीब 19 से 20 तक आंकी जा रही है जो कि बेहद ज्यादा है.
कार्बेट नेशनल पार्क में बाघों की संख्या बाकी जगहों के मुकाबले बेहद ज्यादा है. यह बात कॉर्बेट में बाघों के घनत्व के लिहाज से कही जा सकती है. लेकिन बाघों कि इस तरह कॉर्बेट में बढ़ रही संख्या ने बाघों के आपसी संघर्ष के रूप में वन विभाग की चिंताएं बढ़ा दी हैं.
देश में बाघों के घनत्व के लिहाज से सबसे यह ज्यादा संख्या है. यानी सरल भाषा में कहें तो हर 6 किलोमीटर पर करीब 1 बाघ की मौजूदगी कॉर्बेट में है. जबकि 2006 में करीब 9 किलोमीटर पर एक बाघ होने का अनुमान है.
हालांकि भारतीय वन्यजीव संस्थान के सर्वेक्षण की नई रिपोर्ट आनी बाकी है, लेकिन मौजूदा रिपोर्ट से यह तय है कि कॉर्बेट में क्षेत्रफल बेहद कम और बाघों की संख्या बेहद ज्यादा हो चुकी है.
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जिससे अब बाघों के आपसी संघर्ष की मुसीबत बढ़ गई है. वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि कॉर्बेट में लगातार संख्या बढ़ने से परेशानी बढ़ रही है और इसके लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट से इसके समाधान को लेकर सलाह मांगी गई है.
कॉर्बेट में बाघों की बढ़ रही संख्या के बाद यह जरूरी हो गया है कि जल्द से जल्द आपसी संघर्ष के मामलों पर चिंतन कर कोई उपाय निकाला जाए, ताकि कॉर्बेट में बाघों की आपसी संघर्ष के बाद उनकी मौत के मामलों को रोका जा सके.