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NHM स्क्रीनिंग प्रोग्राम से हुआ बड़ा खुलासा, चार जिलों में पाए गये 11 हजार से ज्यादा रोगी

नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के नियंत्रण और रोकथाम के लिए उत्तराखंड के चार जिलों में स्क्रीनिंग पूरी हो चुकी है. वहीं पांचवें जिले उधम सिंह नगर से भी आंकड़े आना शुरू हो गए हैं. जिसके बाद इन सभी जिलों में शुगर, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या फिर कई प्रकार के कैंसर के लक्षण वाले 30 वर्ष से ज्यादा लोगों की संख्या 11, 668 हो चुकी है.

NHM के स्क्रीनिंग प्रोग्राम से बड़ा खुलासा
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Published : Jul 29, 2019, 11:57 PM IST

देहरादून: एनआरएचएम द्वारा राज्य में यूनिवर्सल स्क्रीनिंग फॉर कॉमन डिजीज प्रोग्राम के तहत एक्जामिनेशन करवाया जा रहा है. ये स्क्रीनिंग अगस्त 2018 से लगातार चल रही है. प्रदेश के केवल 4 जिलों में 11 हजार से ज्यादा लोग नॉन कम्युनिकेबल डिजीज से ग्रसित हैं. इन जिलों में देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और पौड़ी गढ़वाल शामिल हैं. वहीं उधमसिंह नगर जिले से भी डाटा जुटाया जा रहा है.

NHM के स्क्रीनिंग प्रोग्राम से बड़ा खुलासा

यूनिवर्सल स्क्रीनिंग फॉर कॉमन डिजीज के तहत हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और अलग-अलग तरह के कैंसर का परीक्षण किया जाता है. जो सभी नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के रूप में जानी जाती हैं. एक्सपर्ट के अनुसार आज के इस दौर में सबसे ज्यादा मौतें इसी प्रकार की नॉन कम्युनिकेबल डिजीज से हो रही हैं. नॉन कम्युनिकेबल डिजीज से ग्रसित व्यक्तियों की कुल संख्या 11668 है.

एक्सपर्ट का कहना है कि यह बीमारियां शरीर में कब प्रवेश करती है, इसका पता बहुत देर से चलता है. इन बीमारियों को केवल नियंत्रित करना ही संभव है, वह भी तब जब समय रहते इनके होने का पता चल जाए.

पढे़ं- एक थी 'टिहरी', 'जलसमाधि' से चुकाई विकास और आधुनिकता की कीमत

मौजूदा दौर में बढ़ते नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के चलते इनको नियंत्रित करने, समय रहते रोगियों की पहचान करने और इनके इलाज के लिए सेंटर फंडेड योजना NPCDCS के तहत यूनिवर्सल स्क्रीनिंग फॉर कॉमन डिजीज प्रोग्राम पूरे देश में चलाया जा रहा है. जिसके तहत उत्तराखंड में भी एनआरएचएम प्रोग्राम पर काम कर रहा है.

इस प्रोग्राम के तहत आशा कार्यकर्ताओं के जरिए 30 साल से अधिक लोगों में नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के लक्षणों की जांच की जाती है. आशा कार्यकर्ताओं द्वारा ग्रामीण स्तर पर 30 से ज्यादा उम्र के लोगों के घर-घर जाकर कम्युनिटी असेसमेंट चेक लिस्ट के माध्यम से सर्वे किया जाता है. इसके अगले स्टेज में नजदीकी हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर में तमाम तरह के चेकअप हेल्थ वर्कर के माध्यम से किए जाते हैं.

उसके बाद किसी भी तरह का विकार जैसे कि शुगर, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या फिर किसी भी प्रकार के कैंसर के लक्षण पाए जाते हैं तो उस मरीज को चिन्हित किया जाता है. जिसके बाद मरीज के ट्रीटमेंट की भी व्यवस्था की जाती है. साथ ही ट्रीटमेंट पर लगातार फॉलोअप भी किया जाता है. इसी प्रकार से इन सभी छिपे हुए डिजीज को सामने लाना इस प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य है. उत्तराखंड में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के ऑफिस इंचार्ज डॉक्टर फरीद ने बताया कि हाल के रिसर्च में देखा गया है कि पहले की तुलना में मृत्यु का बढ़ता कारण नॉन कम्युनिकेबल डिजीज बीमारियां हैं.

उन्होंने बताया कि नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के नियंत्रण और रोकथाम के लिए यह प्रोग्राम चलाया जा रहा है. जिसके तहत उत्तराखंड के चार जिलों में स्क्रीनिंग पूरी हो चुकी है. वहीं पांचवें जिले उधम सिंह नगर से भी आंकड़े जुटाये जा रहे हैं. जिसके बाद इन सभी जिलों में शुगर, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या फिर कई प्रकार के कैंसर के लक्षण वाले 30 वर्ष से ज्यादा लोगों की संख्या 11, 668 हो गई है.

एनआरएचएम से मिली जानकारी के अनुसार अबतक उत्तराखंड के पांच जिलों में यूनिवर्सल स्क्रीनिंग फॉर कॉमन डिजीज प्रोग्राम के तहत आंकड़े सामने आए हैं. अब तक हुई स्कैनिंग के तहत आशा कार्यकर्ताओं के जरिए 136928 CBAC फॉर्म भरे गए हैं. वहीं एएनएम और MLPH के जरिए 72538 लोगों की स्क्रीनिंग की गई है.

वहीं राज्य के सभी 13 जिलों में इस तरह का सर्वे लगातार जारी है. हालांकि अब जिलावार नहीं बल्कि जिलों में ब्लाक वार ये प्रोग्राम चलाया जाएगा. जिससे कम संसाधनों में ज्यादा और जल्दी स्क्रीनिंग का काम पूरा हो पाए.

अब तक के स्क्रीनिंग में सामने आए मामले

  • हाई ब्लड प्रेशर के 6922.
  • डायबिटीज की 5737 मरीज.
  • 70 लोग मुंह के कैंसर के रोगी पाए गए हैं.

देहरादून: एनआरएचएम द्वारा राज्य में यूनिवर्सल स्क्रीनिंग फॉर कॉमन डिजीज प्रोग्राम के तहत एक्जामिनेशन करवाया जा रहा है. ये स्क्रीनिंग अगस्त 2018 से लगातार चल रही है. प्रदेश के केवल 4 जिलों में 11 हजार से ज्यादा लोग नॉन कम्युनिकेबल डिजीज से ग्रसित हैं. इन जिलों में देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और पौड़ी गढ़वाल शामिल हैं. वहीं उधमसिंह नगर जिले से भी डाटा जुटाया जा रहा है.

NHM के स्क्रीनिंग प्रोग्राम से बड़ा खुलासा

यूनिवर्सल स्क्रीनिंग फॉर कॉमन डिजीज के तहत हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और अलग-अलग तरह के कैंसर का परीक्षण किया जाता है. जो सभी नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के रूप में जानी जाती हैं. एक्सपर्ट के अनुसार आज के इस दौर में सबसे ज्यादा मौतें इसी प्रकार की नॉन कम्युनिकेबल डिजीज से हो रही हैं. नॉन कम्युनिकेबल डिजीज से ग्रसित व्यक्तियों की कुल संख्या 11668 है.

एक्सपर्ट का कहना है कि यह बीमारियां शरीर में कब प्रवेश करती है, इसका पता बहुत देर से चलता है. इन बीमारियों को केवल नियंत्रित करना ही संभव है, वह भी तब जब समय रहते इनके होने का पता चल जाए.

पढे़ं- एक थी 'टिहरी', 'जलसमाधि' से चुकाई विकास और आधुनिकता की कीमत

मौजूदा दौर में बढ़ते नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के चलते इनको नियंत्रित करने, समय रहते रोगियों की पहचान करने और इनके इलाज के लिए सेंटर फंडेड योजना NPCDCS के तहत यूनिवर्सल स्क्रीनिंग फॉर कॉमन डिजीज प्रोग्राम पूरे देश में चलाया जा रहा है. जिसके तहत उत्तराखंड में भी एनआरएचएम प्रोग्राम पर काम कर रहा है.

इस प्रोग्राम के तहत आशा कार्यकर्ताओं के जरिए 30 साल से अधिक लोगों में नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के लक्षणों की जांच की जाती है. आशा कार्यकर्ताओं द्वारा ग्रामीण स्तर पर 30 से ज्यादा उम्र के लोगों के घर-घर जाकर कम्युनिटी असेसमेंट चेक लिस्ट के माध्यम से सर्वे किया जाता है. इसके अगले स्टेज में नजदीकी हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर में तमाम तरह के चेकअप हेल्थ वर्कर के माध्यम से किए जाते हैं.

उसके बाद किसी भी तरह का विकार जैसे कि शुगर, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या फिर किसी भी प्रकार के कैंसर के लक्षण पाए जाते हैं तो उस मरीज को चिन्हित किया जाता है. जिसके बाद मरीज के ट्रीटमेंट की भी व्यवस्था की जाती है. साथ ही ट्रीटमेंट पर लगातार फॉलोअप भी किया जाता है. इसी प्रकार से इन सभी छिपे हुए डिजीज को सामने लाना इस प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य है. उत्तराखंड में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के ऑफिस इंचार्ज डॉक्टर फरीद ने बताया कि हाल के रिसर्च में देखा गया है कि पहले की तुलना में मृत्यु का बढ़ता कारण नॉन कम्युनिकेबल डिजीज बीमारियां हैं.

उन्होंने बताया कि नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के नियंत्रण और रोकथाम के लिए यह प्रोग्राम चलाया जा रहा है. जिसके तहत उत्तराखंड के चार जिलों में स्क्रीनिंग पूरी हो चुकी है. वहीं पांचवें जिले उधम सिंह नगर से भी आंकड़े जुटाये जा रहे हैं. जिसके बाद इन सभी जिलों में शुगर, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या फिर कई प्रकार के कैंसर के लक्षण वाले 30 वर्ष से ज्यादा लोगों की संख्या 11, 668 हो गई है.

एनआरएचएम से मिली जानकारी के अनुसार अबतक उत्तराखंड के पांच जिलों में यूनिवर्सल स्क्रीनिंग फॉर कॉमन डिजीज प्रोग्राम के तहत आंकड़े सामने आए हैं. अब तक हुई स्कैनिंग के तहत आशा कार्यकर्ताओं के जरिए 136928 CBAC फॉर्म भरे गए हैं. वहीं एएनएम और MLPH के जरिए 72538 लोगों की स्क्रीनिंग की गई है.

वहीं राज्य के सभी 13 जिलों में इस तरह का सर्वे लगातार जारी है. हालांकि अब जिलावार नहीं बल्कि जिलों में ब्लाक वार ये प्रोग्राम चलाया जाएगा. जिससे कम संसाधनों में ज्यादा और जल्दी स्क्रीनिंग का काम पूरा हो पाए.

अब तक के स्क्रीनिंग में सामने आए मामले

  • हाई ब्लड प्रेशर के 6922.
  • डायबिटीज की 5737 मरीज.
  • 70 लोग मुंह के कैंसर के रोगी पाए गए हैं.
Intro:summary- NHM के स्क्रीनिंग प्रोग्राम से बड़ा खुलासा, केवल चार जिलों में 11 हजार से ज्यादा अडल्ट नॉन कम्यूनिकेबल डिसीस से ग्रसित, बिल्कुल ना करें नजरंदाज

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एंकर- खबर आपके लिए जरूरी है क्योंकि आपके स्वास्थ्य से जुड़ी हुई है । एनआरएचएम द्वारा राज्य में यूनिवर्सल स्क्रीनिंग फॉर कॉमन डिजीज प्रोग्राम के तहत प्रदेश के केवल 4 जिलों में 11 हजार से ज्यादा लोग नॉन कम्युनिकेबल डिसीज से ग्रसित हैं। इन जिलों में देहरादून हरिद्वार नैनीताल और पौड़ी गढ़वाल शामिल है, तो वही उधमसिंह नगर जिले से भी डाटा आना शुरू हो चुका है। जिसको मिलाकर नॉन कम्युनिकेबल डिसीज से ग्रसित व्यक्तियों की कुल संख्या मिलाकर 11668 हो चुकी है। यूनिवर्सल स्क्रीनिंग फॉर कॉमन डिजीज के तहत हाई ब्लड प्रेशर डायबिटीज और अलग-अलग तरह के कैंसर का परीक्षण किया जाता है, जो कि सभी नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के रूप में जानी जाती है। एक्सपोर्ट के अनुसार आज के इस दौर में सबसे ज्यादा मौतें इसी प्रकार की नॉन कम्युनिकेबल डिसीज से हो रही है। और ज्यादा खतरनाक यह है कि यह बीमारियां शरीर में कब प्रवेश करती है ना तो इसका पता चलता है और ना ही इन बीमारियों का इलाज होता है। इन बीमारियों को केवल नियंत्रित करना संभव है, वह भी तब जब समय रहते इनके होने का पता चल जाए। एनआरएचएम राज्य के अन्य जिलों में भी लगातार इसी तरह से प्रशिक्षण स्क्रीनिंग करवाई जाएगी।


Body:वीओ- मौजूदा दौर में बढ़ते नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के चलते इन को नियंत्रित करने, समय रहते रोगियों की पहचान करने और इनके इलाज के लिए सेंटर फंडेड योजना NPCDCS के तहत यूनिवर्सल स्क्रीनिंग फॉर कॉमन डिजीज प्रोग्राम पूरे देश में चलाया जा रहा है।

जिसके तहत उत्तराखंड में भी एनआरएचएम प्रोग्राम पर काम कर रहा है। इस प्रोग्राम के तहत आशा कार्यकत्रियों के माध्यम से 30 वर्ष से अधिक के लोगों में नॉन कम्युनिकेबल डिजीज यानी गैर संचारी रोगों के लक्षणों की जांच की जाती है। आशा कार्यकत्री द्वारा ग्रामीण स्तर पर 30 से ज्यादा उम्र के लोगों के घर घर जाकर कम्युनिटी बेस्ड असेसमेंट चेक लिस्ट के माध्यम से सर्वे किया जाता है। इसके अगले स्टेज में नजदीकी हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर में तमाम तरह के चेकअप मल्टीलेवल हेल्थ वर्कर के माध्यम से किए जाते हैं। उसके बाद किसी भी तरह का विकार जैसे कि शुगर, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या फिर किसी भी प्रकार के कैंसर के लक्षण पाए जाते हैं तो उस मरीज को चिन्हित किया जाता है। इसके बाद मरीज के ट्रीटमेंट की भी व्यवस्था की जाती है, साथ ही ट्रीटमेंट पर लगातार फॉलोअप भी किया जाता है। इसी प्रकार से इन सभी हिडन डिसीज को सामने लाना इस प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य है।

उत्तराखंड में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के ऑफिस इंचार्ज डॉक्टर फरीद ने बताया कि हाल के रिसर्च में देखा गया है कि पहले के समय की तुलना में मृत्यु का बढ़ता कारण संक्रमित बीमारियों से ज्यादा गैर संचारी बीमारियों के मामले सामने आये हैं। जिससे कि साफ हुआ कि बढ़ते मौतों का कारण संक्रमित बीमारी नहीं बल्कि गैर संचारी बीमारियां हैं।

उन्होंने बताया कि गैर संचारी बीमारियों यानी नॉन-कम्युनिकेबल डिसीज के नियंत्रण और रोकथाम के लिए यह प्रोग्राम चलाया जा रहा है जिसके तहत उत्तराखंड के चार जिलों में स्क्रीनिंग पूरी हो चुकी है तो वही पांचवे जिले उधम सिंह नगर से भी आंकड़े आना शुरू हो चुका है। जिसके बाद इन सभी जिलों में शुगर,डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या फिर कई प्रकार के कैंसर कैंसर के लक्षण वाले 30 वर्ष से ज्यादा लोगों की संख्या 11668 हो चुकी है।

बाइट- डॉ फरीद, ऑफिसर इंचार्ज एनआरएचएम उत्तराखंड

इन 5 जिलों में यह है हाल नॉन कम्युनिकेबल डिजीज (शुगर डायबिटीज हाई ब्लड प्रेशर कैंसर) के रोगी-----

एनआरएचएम से मिली जानकारी के अनुसार अब तक उत्तराखंड के पांच जिलों में यूनिवर्सल स्क्रीनिंग फॉर कॉमन डिजीज प्रोग्राम के तहत आंकड़े सामने आए हैं। अब तक हुई स्कैनिंग के तहत आशा कार्यकत्रियों के जरिए 136928 CBAC फॉर्म भरे गए हैं। और एएनएम और MLPH के जरिए 72538 लोगों की स्क्रीनिंग की गई है।

वही आगे भी राज्य में राज्य के सभी 13 जिलों में इस तरह का सर्वे लगातार जारी है। हालांकि अब स्क्रीन का कवर के तौर तरीके में थोड़ा तब्दीली की जाएगी और अब जिलावार नहीं बल्कि जिलों में ब्लाक वार ये प्रोग्राम चलाया जाएगा ताकि कम संसाधन में ज्यादा और जल्दी स्क्रीनिंग का काम पूरा हो पाए।
अब तक के स्क्रीनिंग में अब तक हुई स्कैनिंग में-----
--हाई ब्लड प्रेशर के 6922
---डायबिटीज की 5737 मरीज
---70 लोग मुंह के कैंसर के रोगी पाए गए हैं।


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