विकासनगर: पछवादून क्षेत्र में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका के तहत गठित स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अभी से होली की तैयारियों में जुट गई हैं. इन दिनों समूह की महिलाएं हर्बल रंग और गुलाल तैयार कर रही हैं. 50 किलो हर्बल रंग प्रत्येक महिला समूह की ओर से रोजाना तैयार किया जा रहा है, जिससे उनकी आय में भी वृद्धि हो रही है. वहीं, पूरे पछवादून क्षेत्र में हर्बल रंगों की डिमांड बढ़ने से समूह की महिलाओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है.
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा इन दिनों होली के लिए हर्बल रंग तैयार किए जा रहे हैं. इन महिलाओं ने कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी की मास्टर ट्रेनर पुष्पा त्यागी से हर्बल रंग बनाने का प्रशिक्षण लिया है. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि हर्बल रंग तैयार करने के लिए चुकंदर, आरारोट, चावल का आटा, हल्दी, गुलाब और गेंदे के फूल व पालक के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है. बताया जा रहा है कि अलग-अलग समूहों में लगभग सौ महिलाएं जुड़ी हुई हैं. प्रत्येक समूह की 10 महिलाएं रोजाना 50 किलो विभिन्न प्रकार के नेचुरल हर्बल रंग तैयार कर रही हैं.
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वहीं, महिला जागृति स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष श्यामा देवी ने बताया कि महिलाएं लगातार राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूह से जुड़ कर विभिन्न रोजगार प्राप्त कर रही हैं. सबसे बड़े त्योहार होली को देखते हुए स्वयं सहायता समूह की सभी महिलाएं इन दिनों नेचुरल तरीके से हर्बल रंग तैयार कर रही हैं. इससे महिलाओं की अच्छी आमदनी हो रही है.
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उधर मास्टर ट्रेनर पुष्पा त्यागी ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी में स्वयं सहायता समूह की सभी महिलाओं को हर्बल रंग तैयार करने की विधि का प्रशिक्षण दिया गया है. उन्होंने बताया कि हर्बल रंग बनाने के लिए स्थानीय उत्पादों जैसे हल्दी, चुकंदर, आरारोट और चावल के आटे का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस हर्बल रंग से स्किन को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा.