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कोरोना काल में जरूरतमदों का 'संकटमोचक' बना COVID-19 कंट्रोल रूम - dial 100 control room uttarakhand dehradun

कोरोना महामारी से पूरा देश जूझ रहा है. देश लॉकडाउन है, लोग घरों में कैद हैं. ऐसे में लोगों की समस्याओं को सुलझाने के लिए राजधानी देहरादून कोविड 19 कंट्रोल रूम बनाया गया है, जहां पर मौजूद 'कोरोना वॉरियर्स' दिन रात लोगों की सेवा कर रहे हैं.

Kovid-19 Control Room
संकटमोचक बना COVID-19 कंट्रोल रूम
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Published : Apr 22, 2020, 4:26 PM IST

Updated : Apr 22, 2020, 5:24 PM IST

देहरादून: विश्वव्यापी कोरोना महामारी को लेकर पूरे देश को 3 मई तक लॉकडाउन किया गया है. ऐसे में जो जहां पर है, वहीं फंस कर रह गया है. लोग घरों में कैद हैं. इन मुश्किल हालातों में देहरादून पुलिस लाइन में बनाया गया कोविड 19 कंट्रोल रूम जनता के लिए संकटमोचक का काम कर रहा है. लोग इस कंट्रोल रूम के जरिए पुलिस दोहरी जिम्मेदारी निभाते हुए चौबीसों घंटे काम कर रही है.

बता दें, उत्तराखंड पुलिस ने 26 मार्च 2020 को देहरादून पुलिस लाइन में कंट्रोल रूम बनाया गया था. इस कंट्रोल रूम में पुलिसकर्मी दिन रात लोगों की सेवा में लगे हुए हैं. इस कोविड 19 कंट्रोल रूम में मौजूद पुलिसकर्मियों द्वारा 26 मार्च से लेकर 20 अप्रैल तक करीब 27 हजार शिकायतों का निवारण किया है.

जरूरतमदों का 'संकटमोचक' बना COVID-19 कंट्रोल रूम.

कितनी समस्याओं का निवारण

  • 26 दिन में 3,25,309 लोगों को खाना उपलब्ध कराया गया.
  • खाद्य सामग्री और मेडिकल संबंधी समस्याओं के फोन कॉल्स आए.
  • कंट्रोल रूम में सबसे ज्यादा फोन कॉल्स घर वापसी के लिये आये हैं.
  • पहाड़ी इलाकों में फंसे लोगों की समस्याओं का समाधान.
  • लॉकडाउन के दूसरे चरण में फोन कॉल्स में 50% की कमी.

लॉकडाउन के दौरान कंट्रोल रूम में बैठे पुलिसकर्मी लगातार फोन कॉल्स रिसीव कर रहे हैं और लोगों की समस्याओं का समाधान भी कर रहे हैं. डेस्क पर बैठे पुलिसकर्मी अगर समस्या हल कर पाने में असमर्थ होते हैं तो वह कॉल को अपने सीनियर को ट्रांसफर कर देते हैं. लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड पुलिस लोगों के लिए संकटमोचक का काम कर रही है.

समस्या का 100 फीसदी समाधान

पुलिस लाइन में बने कोविड-19 कंट्रोल रूम में अधिकांश कॉल खाद्य सामग्री, रसद खाना, आवाजाही, मेडिकल सेवाएं (दवाएं) व अन्य राज्य में फंसे उत्तराखंड वासियों द्वारा मिल रही है. कोविड-19 कंट्रोल रूम आने वाली फोन कॉल को पहले डेस्क को मिलती है. डेस्क पर बैठ 6 पुलिसकर्मी समस्या को सुनते हैं और उसका तत्काल ही समाधान भी करते है. जिस फोन कॉल या समाधान का समाधान डेस्क नहीं कर पाती है, उसे वो कंट्रोल रूम में मौजूद एग्जीक्यूटिव ऑफिसर को ट्रांसफर कर दे हैं. फिर भी अगर समस्या नहीं सुलझती है तो कॉल कंट्रोल रूम प्रभारी के पास जाती है.

इस प्रकार कोविड-19 कंट्रोल रूम में आने वाली समस्या का 100 फीसदी निवारण किया जाता है. इस तरह आने वाली 50 फीसदी शिकायतों को डेस्क द्वारा सुलझाया जाता है, 30 फीसदी समस्याओं को एग्जीक्यूटिव डेस्क और 20 फीसदी समस्याओं को कंट्रोल रूम प्रभारी निपटाते है.

बाहरी राज्यों से आईं करीब 12 हजार कॉल्स

ईटीवी भारत की पड़ताल में पता चला है कि कोविड-19 कंट्रोल रूम में 26 दिन में बाहरी राज्यों से करीब 12 हजार फोन कॉल्स आईं हैं, सिर्फ उत्तराखंड से साढ़े 9 हजार फोन कॉल्स पहुंची है. अन्य शिकायतें व्हाट्सएप और अन्य माध्यमों से शिकायतें मिलीं हैं. इन समस्याओं को कंट्रोल रूम में मौजूद अधिकारियों द्वारा तत्काल पत्राचार व ईमेल जैसे अन्य डिजिटल माध्यम से उत्तराखंड शासन को भेजा जाता है. जहां से उस समस्या का समाधान शासन में बैठे अधिकारियों द्वारा किया जाता है.

इस मुश्किल घड़ी में कंट्रोल रूम द्वारा जितने लागों की मदद की गई है, वो काबिले तारीफ है. वो भी ऐसे में जब लोगों को घर में बाहर निकलने की इजाजत नहीं है.

कितने लोगों को मिली मदद

खाद्य सामग्री (होम डिलीवरी)86,737
पका हुआ खाना3,25,309
ड्राई राशन (रसद)62,095

राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में बाहरी राज्यों और दूसरे देशों के लोग फंसे हुए हैं. सरकार ने उन लोगों लिए राहत कैंप लगाने के निर्देश दिए हैं. जिसके बाद अभी तक अधिकारियों ने ऐसी 129 जगहें चिन्हित की हैं, जहां पर राहत कैंप लगाए जाने की जरूर है, लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि अभी तक सिर्फ 15 कैंप का ही संचालन किया जा रहा है.

एक्शन में दिखी पुलिस

अपराधसंख्या
डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत केस दर्ज275
डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत गिरफ्तारी614
लॉकडाउन का उल्लंघन (IPC- 188) 99
पुलिस एक्ट में गिरफ्तार 447
कुल वाहनों के चालान 5518
कुल वाहन सीज1330

महामारी की इस घड़ी में देहरादन पुलिस लाइन में बना कोविड-19 कंट्रोल रूम लोगों के लिए संकटमोचक का काम कर रहा है. कंट्रोल रूम को मिलने वाली सभी समस्याओं को 100 फीसदी निवारण किया जा रहा है. उत्तराखंड के कोविड-19 कंट्रोल रूम की देश में प्रशंसा हो रही है.

देहरादून: विश्वव्यापी कोरोना महामारी को लेकर पूरे देश को 3 मई तक लॉकडाउन किया गया है. ऐसे में जो जहां पर है, वहीं फंस कर रह गया है. लोग घरों में कैद हैं. इन मुश्किल हालातों में देहरादून पुलिस लाइन में बनाया गया कोविड 19 कंट्रोल रूम जनता के लिए संकटमोचक का काम कर रहा है. लोग इस कंट्रोल रूम के जरिए पुलिस दोहरी जिम्मेदारी निभाते हुए चौबीसों घंटे काम कर रही है.

बता दें, उत्तराखंड पुलिस ने 26 मार्च 2020 को देहरादून पुलिस लाइन में कंट्रोल रूम बनाया गया था. इस कंट्रोल रूम में पुलिसकर्मी दिन रात लोगों की सेवा में लगे हुए हैं. इस कोविड 19 कंट्रोल रूम में मौजूद पुलिसकर्मियों द्वारा 26 मार्च से लेकर 20 अप्रैल तक करीब 27 हजार शिकायतों का निवारण किया है.

जरूरतमदों का 'संकटमोचक' बना COVID-19 कंट्रोल रूम.

कितनी समस्याओं का निवारण

  • 26 दिन में 3,25,309 लोगों को खाना उपलब्ध कराया गया.
  • खाद्य सामग्री और मेडिकल संबंधी समस्याओं के फोन कॉल्स आए.
  • कंट्रोल रूम में सबसे ज्यादा फोन कॉल्स घर वापसी के लिये आये हैं.
  • पहाड़ी इलाकों में फंसे लोगों की समस्याओं का समाधान.
  • लॉकडाउन के दूसरे चरण में फोन कॉल्स में 50% की कमी.

लॉकडाउन के दौरान कंट्रोल रूम में बैठे पुलिसकर्मी लगातार फोन कॉल्स रिसीव कर रहे हैं और लोगों की समस्याओं का समाधान भी कर रहे हैं. डेस्क पर बैठे पुलिसकर्मी अगर समस्या हल कर पाने में असमर्थ होते हैं तो वह कॉल को अपने सीनियर को ट्रांसफर कर देते हैं. लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड पुलिस लोगों के लिए संकटमोचक का काम कर रही है.

समस्या का 100 फीसदी समाधान

पुलिस लाइन में बने कोविड-19 कंट्रोल रूम में अधिकांश कॉल खाद्य सामग्री, रसद खाना, आवाजाही, मेडिकल सेवाएं (दवाएं) व अन्य राज्य में फंसे उत्तराखंड वासियों द्वारा मिल रही है. कोविड-19 कंट्रोल रूम आने वाली फोन कॉल को पहले डेस्क को मिलती है. डेस्क पर बैठ 6 पुलिसकर्मी समस्या को सुनते हैं और उसका तत्काल ही समाधान भी करते है. जिस फोन कॉल या समाधान का समाधान डेस्क नहीं कर पाती है, उसे वो कंट्रोल रूम में मौजूद एग्जीक्यूटिव ऑफिसर को ट्रांसफर कर दे हैं. फिर भी अगर समस्या नहीं सुलझती है तो कॉल कंट्रोल रूम प्रभारी के पास जाती है.

इस प्रकार कोविड-19 कंट्रोल रूम में आने वाली समस्या का 100 फीसदी निवारण किया जाता है. इस तरह आने वाली 50 फीसदी शिकायतों को डेस्क द्वारा सुलझाया जाता है, 30 फीसदी समस्याओं को एग्जीक्यूटिव डेस्क और 20 फीसदी समस्याओं को कंट्रोल रूम प्रभारी निपटाते है.

बाहरी राज्यों से आईं करीब 12 हजार कॉल्स

ईटीवी भारत की पड़ताल में पता चला है कि कोविड-19 कंट्रोल रूम में 26 दिन में बाहरी राज्यों से करीब 12 हजार फोन कॉल्स आईं हैं, सिर्फ उत्तराखंड से साढ़े 9 हजार फोन कॉल्स पहुंची है. अन्य शिकायतें व्हाट्सएप और अन्य माध्यमों से शिकायतें मिलीं हैं. इन समस्याओं को कंट्रोल रूम में मौजूद अधिकारियों द्वारा तत्काल पत्राचार व ईमेल जैसे अन्य डिजिटल माध्यम से उत्तराखंड शासन को भेजा जाता है. जहां से उस समस्या का समाधान शासन में बैठे अधिकारियों द्वारा किया जाता है.

इस मुश्किल घड़ी में कंट्रोल रूम द्वारा जितने लागों की मदद की गई है, वो काबिले तारीफ है. वो भी ऐसे में जब लोगों को घर में बाहर निकलने की इजाजत नहीं है.

कितने लोगों को मिली मदद

खाद्य सामग्री (होम डिलीवरी)86,737
पका हुआ खाना3,25,309
ड्राई राशन (रसद)62,095

राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में बाहरी राज्यों और दूसरे देशों के लोग फंसे हुए हैं. सरकार ने उन लोगों लिए राहत कैंप लगाने के निर्देश दिए हैं. जिसके बाद अभी तक अधिकारियों ने ऐसी 129 जगहें चिन्हित की हैं, जहां पर राहत कैंप लगाए जाने की जरूर है, लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि अभी तक सिर्फ 15 कैंप का ही संचालन किया जा रहा है.

एक्शन में दिखी पुलिस

अपराधसंख्या
डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत केस दर्ज275
डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत गिरफ्तारी614
लॉकडाउन का उल्लंघन (IPC- 188) 99
पुलिस एक्ट में गिरफ्तार 447
कुल वाहनों के चालान 5518
कुल वाहन सीज1330

महामारी की इस घड़ी में देहरादन पुलिस लाइन में बना कोविड-19 कंट्रोल रूम लोगों के लिए संकटमोचक का काम कर रहा है. कंट्रोल रूम को मिलने वाली सभी समस्याओं को 100 फीसदी निवारण किया जा रहा है. उत्तराखंड के कोविड-19 कंट्रोल रूम की देश में प्रशंसा हो रही है.

Last Updated : Apr 22, 2020, 5:24 PM IST
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