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कभी जीवनदायिनी रही सुसुवा नदी का पानी अब पीने लायक भी नहीं, प्रकृति प्रेमी चिंतित

डोईवाला में बहने वाली सुसुवा नदी अपना अस्तित्व खोने की कगार पर है. आलम ये है कि इस नदी में देहरादून की सारी गंदगी और सीवर लाइन की गंदगी डाली जा रही है. इससे सुसुवा नदी का पानी जानवरों के पीने के लायक भी नहीं रह गया है.

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Published : Dec 16, 2021, 11:49 AM IST

Doiwala Suswa River
पीने के लायक नहीं सुसुवा नदी का पानी.

डोईवाला: कहते हैं किसी जगह की पहचान वहां से निकलने वाली नदी से होती है. लेकिन डोईवाला में बहने वाली सुसुवा नदी (Doiwala Suswa River) अपनी पहचान खोती जा रही है. कारण है इस नदी में देहरादून की सारी गंदगी और सीवर का पानी डाला जाना. आलम ये है कि देहरादून की लाइफ लाइन कही जाने वाली सुसुवा नदी अब सीवर बनकर रह गयी है. सुसुवा नदी कभी राजाजी पार्क के वन्यजीवों और दर्जनों गांवों के मवेशियों के लिए पानी के पीने का जरिया थी लेकिन इस नदी का पानी पीने के लायक नहीं रह गया है.

मोथरोवाला के बाद बनी सुसुवा नदी: सुसुवा नदी देहरादून की लाइफलाइन कही जाने वाली रिस्पना और बिंदाल नदी के मिलने से बनती है. रिस्पना और बिंदाल नदियों का संगम मोथरोवाला में होता है. पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रिस्पना नदी के जीर्णोद्धार (Rejuvenation of Rispana River) के लिए 'रिस्पना से ऋषिपर्णा की ओर' मुहिम शुरू की थी. इस मुहिम के जरिए दावा किया गया था कि एक साल के भीतर रिस्पना नदी का पानी आचमन हेतु शुद्ध हो जाएगा. लेकिन सरकार के पांच साल का कार्यकाल खत्म होने को है, इस नदी का जीर्णोद्धार नहीं हो पाया.

सुसवा नदी का पानी दूषित

ऐसे पड़ा नदी का नाम सुसुवा: वर्तमान में तो सुसुवा नदी सिर्फ गंदगी और सीवर लाइन डाले जाने वाली नदी बनकर रह गई है वो एक समय जंगली पशुओं और नदी के आसपास बसे दर्जनों गांवों के मवेशियों के लिए पीने के पानी का बड़ा जरिया थी. इस नदी का नाम नदी में उगने वाले सुसुवा साग के नाम पर पड़ा. लेकिन जब से इस नदी में गंदगी प्रवाहित होने लगी, तब से यह नदी खत्म होने की कगार पर है.

पढे़ं- दावों और वादों की हकीकत से अब भी दूर है रिस्पना

प्रकृति प्रेमी चिंतित: देहरादून के मोथरोवाला से आने वाली सुसुवा नदी के आसपास एक दर्जन से अधिक गांव बसे हैं. यह नदी इन गांवों के लिए जीवनदायिनी काम कर रही है, लेकिन वर्तमान में यह नदी अपनी पहचान खोती जा रही है. ऐसे में सामाजिक कार्यकर्ता और प्रकृति प्रेमी नदी के बदलते स्वरूप को लेकर बेहद चिंतित दिखाई दे रहे हैं.

प्रदूषण ने सुसुवा को अकाल मौत मारा: प्रकृति प्रेमी उम्मेद बोरा का कहना है कि इस नदी का पानी पहले एकदम स्वच्छ था. कई दर्जन गांवों के ग्रामीण इस पानी को पीने के लिए प्रयोग में लाते थे लेकिन अब यह पानी प्रदूषित हो गया है. उन्होंने बताया कि इस नदी में सुसुवा साग उगता था जो खाने में बेहद पौष्टिक और ग्रामीणों के लिए आजीविका का साधन था. लेकिन इस नदी में गंदगी आने से सुसुवा साग समाप्त हो गया है. साथ ही नदी के जीव-जंतु भी खत्म हो गए हैं. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने सीएम से लेकर संबंधित अधिकारियों से नदी में ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की मांग की लेकिन किसी ने भी सुध नहीं ली.

सामाजिक कार्यकर्ता मोहित उनियाल ने बताया कि डोईवाला क्षेत्र में सिंचाई का माध्यम ही सुसुवा नदी है. उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले तक इस नदी का पानी पीने के लायक था. वर्तमान में इस नदी में दर्जनों गंदे नाले और सीवर लाइन मिलने से इस नदी का पानी जहरीला हो गया है. उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र बासमती के लिए प्रसिद्ध था लेकिन अब इस नदी का पानी खेतों में एसिड का काम करता है. उन्होंने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि सरकार और संबंधित अधिकारियों को नदी की दुर्दशा की जानकारी होने के बाद भी कोई कार्य नहीं किया जा रहा है.

डोईवाला: कहते हैं किसी जगह की पहचान वहां से निकलने वाली नदी से होती है. लेकिन डोईवाला में बहने वाली सुसुवा नदी (Doiwala Suswa River) अपनी पहचान खोती जा रही है. कारण है इस नदी में देहरादून की सारी गंदगी और सीवर का पानी डाला जाना. आलम ये है कि देहरादून की लाइफ लाइन कही जाने वाली सुसुवा नदी अब सीवर बनकर रह गयी है. सुसुवा नदी कभी राजाजी पार्क के वन्यजीवों और दर्जनों गांवों के मवेशियों के लिए पानी के पीने का जरिया थी लेकिन इस नदी का पानी पीने के लायक नहीं रह गया है.

मोथरोवाला के बाद बनी सुसुवा नदी: सुसुवा नदी देहरादून की लाइफलाइन कही जाने वाली रिस्पना और बिंदाल नदी के मिलने से बनती है. रिस्पना और बिंदाल नदियों का संगम मोथरोवाला में होता है. पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रिस्पना नदी के जीर्णोद्धार (Rejuvenation of Rispana River) के लिए 'रिस्पना से ऋषिपर्णा की ओर' मुहिम शुरू की थी. इस मुहिम के जरिए दावा किया गया था कि एक साल के भीतर रिस्पना नदी का पानी आचमन हेतु शुद्ध हो जाएगा. लेकिन सरकार के पांच साल का कार्यकाल खत्म होने को है, इस नदी का जीर्णोद्धार नहीं हो पाया.

सुसवा नदी का पानी दूषित

ऐसे पड़ा नदी का नाम सुसुवा: वर्तमान में तो सुसुवा नदी सिर्फ गंदगी और सीवर लाइन डाले जाने वाली नदी बनकर रह गई है वो एक समय जंगली पशुओं और नदी के आसपास बसे दर्जनों गांवों के मवेशियों के लिए पीने के पानी का बड़ा जरिया थी. इस नदी का नाम नदी में उगने वाले सुसुवा साग के नाम पर पड़ा. लेकिन जब से इस नदी में गंदगी प्रवाहित होने लगी, तब से यह नदी खत्म होने की कगार पर है.

पढे़ं- दावों और वादों की हकीकत से अब भी दूर है रिस्पना

प्रकृति प्रेमी चिंतित: देहरादून के मोथरोवाला से आने वाली सुसुवा नदी के आसपास एक दर्जन से अधिक गांव बसे हैं. यह नदी इन गांवों के लिए जीवनदायिनी काम कर रही है, लेकिन वर्तमान में यह नदी अपनी पहचान खोती जा रही है. ऐसे में सामाजिक कार्यकर्ता और प्रकृति प्रेमी नदी के बदलते स्वरूप को लेकर बेहद चिंतित दिखाई दे रहे हैं.

प्रदूषण ने सुसुवा को अकाल मौत मारा: प्रकृति प्रेमी उम्मेद बोरा का कहना है कि इस नदी का पानी पहले एकदम स्वच्छ था. कई दर्जन गांवों के ग्रामीण इस पानी को पीने के लिए प्रयोग में लाते थे लेकिन अब यह पानी प्रदूषित हो गया है. उन्होंने बताया कि इस नदी में सुसुवा साग उगता था जो खाने में बेहद पौष्टिक और ग्रामीणों के लिए आजीविका का साधन था. लेकिन इस नदी में गंदगी आने से सुसुवा साग समाप्त हो गया है. साथ ही नदी के जीव-जंतु भी खत्म हो गए हैं. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने सीएम से लेकर संबंधित अधिकारियों से नदी में ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की मांग की लेकिन किसी ने भी सुध नहीं ली.

सामाजिक कार्यकर्ता मोहित उनियाल ने बताया कि डोईवाला क्षेत्र में सिंचाई का माध्यम ही सुसुवा नदी है. उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले तक इस नदी का पानी पीने के लायक था. वर्तमान में इस नदी में दर्जनों गंदे नाले और सीवर लाइन मिलने से इस नदी का पानी जहरीला हो गया है. उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र बासमती के लिए प्रसिद्ध था लेकिन अब इस नदी का पानी खेतों में एसिड का काम करता है. उन्होंने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि सरकार और संबंधित अधिकारियों को नदी की दुर्दशा की जानकारी होने के बाद भी कोई कार्य नहीं किया जा रहा है.

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