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प्रदूषण नियंत्रण दिवस: पहाड़ की आबोहवा में घुल रहा जहर, खतरे की जद में उत्तराखंड के तीन शहर

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Published : Dec 2, 2019, 3:56 PM IST

Updated : Jan 4, 2020, 7:11 PM IST

उत्तराखंड की आबोहवा लगातार प्रदूषित होती जा रही है. पर्यावरणविद इस पर अपनी चिंता जाहिए कर रहे हैं.

dehradun pollution
जहरीली हुई उत्तराखंड की हवा

देहरादून: हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य औद्योगिक आपदा के प्रबंधन और नियंत्रण के प्रति लोगों के बीच जागरुकता फैलाना है. इस दिन का कनेक्शन 2-3 दिसम्बर 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी से भी जुड़ा है. इस दिन उन सभी लोगों को भी याद किया जाता है जो इस भयानक हादसे में मारे गए थे.

साल दर साल बढ़ रहा प्रदूषण

दरअसल, विश्व में साल दर साल प्रदूषण एक बड़ी समस्या बनकर उभरता जा रहा है. बात पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड की करें तो अपनी शांत और स्वच्छ आबोहवा के लिए मशहूर राज्य उत्तराखंड में भी प्रदूषण का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. विशेषकर राजधानी देहरादून की हवा में विभिन्न कारणों से प्रदूषण साल दर साल तेजी से बढ़ रहा है. राजधानी देहरादून में बढ़ते प्रदूषण की स्थिति ऐसी है कि एयर क्वालिटी इंडेक्स के हिसाब से हवा का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. जिसके बाद NGT ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सख्त दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के एक सर्वे के अनुसार देश के 122 प्रदूषित शहरों में उत्तराखड राज्य के 3 शहरों के नाम शामिल हैं. जिसमें ऋषिकेश, देहरादून और काशीपुर शामिल हैं. प्रदेश के ये वो शहर हैं जहां पीएम 2.5 और पीएम 10 खतरनाक स्तर को पार कर चुका है. उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि ने बताया कि एनजीटी की ओर से मिले निर्देश के अनुसार एयर एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है.

प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारण

  • लगातार बढ़ती वाहनों की संख्या.
  • खुले में कूड़ा जलाना.
  • भवन निर्माण.
  • खुदी सड़क से उड़ने वाली धूल.

पढ़ें- बदल रही देहरादून रेलवे स्टेशन की तस्वीर, तय समय से पहले काम पूरा होने की उम्मीद

वहीं, बढ़ते प्रदूषण की वजह से पर्यावरण में हो रहे जलवायु परिवर्तन को लेकर पर्यावरणविद डॉ. अनिल जोशी ने भी चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि जिस तरह मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है. उससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है यानी धरती का तापमान बढ़ रहा है. जो हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत बड़ा खतरा है.

देहरादून: हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य औद्योगिक आपदा के प्रबंधन और नियंत्रण के प्रति लोगों के बीच जागरुकता फैलाना है. इस दिन का कनेक्शन 2-3 दिसम्बर 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी से भी जुड़ा है. इस दिन उन सभी लोगों को भी याद किया जाता है जो इस भयानक हादसे में मारे गए थे.

साल दर साल बढ़ रहा प्रदूषण

दरअसल, विश्व में साल दर साल प्रदूषण एक बड़ी समस्या बनकर उभरता जा रहा है. बात पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड की करें तो अपनी शांत और स्वच्छ आबोहवा के लिए मशहूर राज्य उत्तराखंड में भी प्रदूषण का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. विशेषकर राजधानी देहरादून की हवा में विभिन्न कारणों से प्रदूषण साल दर साल तेजी से बढ़ रहा है. राजधानी देहरादून में बढ़ते प्रदूषण की स्थिति ऐसी है कि एयर क्वालिटी इंडेक्स के हिसाब से हवा का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. जिसके बाद NGT ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सख्त दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के एक सर्वे के अनुसार देश के 122 प्रदूषित शहरों में उत्तराखड राज्य के 3 शहरों के नाम शामिल हैं. जिसमें ऋषिकेश, देहरादून और काशीपुर शामिल हैं. प्रदेश के ये वो शहर हैं जहां पीएम 2.5 और पीएम 10 खतरनाक स्तर को पार कर चुका है. उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि ने बताया कि एनजीटी की ओर से मिले निर्देश के अनुसार एयर एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है.

प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारण

  • लगातार बढ़ती वाहनों की संख्या.
  • खुले में कूड़ा जलाना.
  • भवन निर्माण.
  • खुदी सड़क से उड़ने वाली धूल.

पढ़ें- बदल रही देहरादून रेलवे स्टेशन की तस्वीर, तय समय से पहले काम पूरा होने की उम्मीद

वहीं, बढ़ते प्रदूषण की वजह से पर्यावरण में हो रहे जलवायु परिवर्तन को लेकर पर्यावरणविद डॉ. अनिल जोशी ने भी चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि जिस तरह मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है. उससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है यानी धरती का तापमान बढ़ रहा है. जो हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत बड़ा खतरा है.

Intro:देहरादून- हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है। दरअसल इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक आपदा के प्रबंधन और नियंत्रण के प्रति लोगों के बीच जागरूकता फैलाना है। वही इस दिन का कनेक्शन 2- 3 दिसम्बर 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी से भी जुड़ा हुआ है । इस दिन उन सभी लोगों को भी याद किया जाता है जो इस भयानक हादसे में मारे गए थे ।

गौरतलब है कि साल दर साल प्रदूषण विश्व भर में एक बड़ी समस्या बनकर उभरता जा रहा है। बात पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड की करें तो अपनी शांत और स्वच्छ आबोहवा के लिए जाने- जाने वाले राज्य उत्तराखंड में भी प्रदूषण का ग्राफ बढ़ता जा रहा है । विशेषकर राजधानी देहरादून की हवा में विभिन्न कारणों से प्रदूषण साल दर साल तेज़ी से बढ़ रहा है ।

राजधानी देहरादून में बढ़ते प्रदूषण की स्थिति कुछ यह है कि NGT ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए एयर एक्शन प्लान तैयार करने के दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं ।

बता दें कि CPCB ( central pollution control Board) के एक सर्वे के अनुसार देश के 122 प्रदूषित शहरों में उत्तराखड राज्य के 3 शहरों का नाम शामिल है । जिसमें ऋषिकेश, देहरादून और काशीपुर शामिल है । प्रदेश के यह वह शहर हैं जहां वायु प्रदूषण का स्तर पीएम 2.5 और पीएम 10 को पार कर चुका है । जो किसी बड़े खतरे की घंटी से कम नही है ।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि ने बताया की प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की और से ऋषिकेश और काशीपुर का एयर एक्शन प्लान बनाकर एनजीटी को भेज दिया गया है । जिसे केंद्र से भी मंजूरी मिल चुकी है । वहीं अब देहरादून के लिए एयर एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है । जिसके तहत उन कारणों का पता लगाने प्रयास किया जा रहा है। जिसकी वजह से देहरादून शहर में वायु प्रदूषण साल दर साल बढ़ रहा है।

गौरतलब है कि बढ़ते वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों की बात की जाए तो इसमें बढ़ती वाहनों की संख्या, खुले में कूड़ा जलाना , भवन निर्माण कार्य और खुदी सड़क से उड़ने वाली धूल एक प्रमुख कारण है । ऐसे में एयर एक्शन प्लान के तहत इन सभी कारणों से निपटने के लिए संबंधित विभागों से भी प्लान को लागू करने में मदद ली जाएगी ।




बता दें कि NGT के निर्देशानुसार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आगामी 6 नवंबर तक केंद्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एयर एक्शन प्लान सौपना है । ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि देहरादून की हवा को दोबारा स्वच्छ बनाने के लिए कब तक यह एयर एक्शन प्लान अमल में लाया जाता है




Body:वही बढ़ते प्रदूषण की वजह से पर्यावरण में हो रहे जलवायु परिवर्तन को लेकर पर्यावरणविद् डॉ अनिल जोशी ने भी चिंता जाहिर की है । उनका कहना है कि जिस तरह मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहा है उससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है यानी धरती का तापमान बढ़ रहा है । जो हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत बड़ा खतरा है।

ईटीवी भारत से बात करते हुए पर्यावरणविद डॉ 0 अनिल जोशी का साफ शब्दों में कहना था कि यदि मनुष्य ने अब भी अपने स्वार्थ के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना बंद नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं होगा जब ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ब्लैक शर्ट पर करने लगेंगे और धरती में पानी की भारी किल्लत शुरू हो जाएगी । ऐसे में जब जल ही नही होगा तो धरती से जीवन भी समाप्त होने लगेगा ।


Conclusion:
Last Updated : Jan 4, 2020, 7:11 PM IST
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