देहरादून: हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य औद्योगिक आपदा के प्रबंधन और नियंत्रण के प्रति लोगों के बीच जागरुकता फैलाना है. इस दिन का कनेक्शन 2-3 दिसम्बर 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी से भी जुड़ा है. इस दिन उन सभी लोगों को भी याद किया जाता है जो इस भयानक हादसे में मारे गए थे.
दरअसल, विश्व में साल दर साल प्रदूषण एक बड़ी समस्या बनकर उभरता जा रहा है. बात पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड की करें तो अपनी शांत और स्वच्छ आबोहवा के लिए मशहूर राज्य उत्तराखंड में भी प्रदूषण का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. विशेषकर राजधानी देहरादून की हवा में विभिन्न कारणों से प्रदूषण साल दर साल तेजी से बढ़ रहा है. राजधानी देहरादून में बढ़ते प्रदूषण की स्थिति ऐसी है कि एयर क्वालिटी इंडेक्स के हिसाब से हवा का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. जिसके बाद NGT ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सख्त दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के एक सर्वे के अनुसार देश के 122 प्रदूषित शहरों में उत्तराखड राज्य के 3 शहरों के नाम शामिल हैं. जिसमें ऋषिकेश, देहरादून और काशीपुर शामिल हैं. प्रदेश के ये वो शहर हैं जहां पीएम 2.5 और पीएम 10 खतरनाक स्तर को पार कर चुका है. उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि ने बताया कि एनजीटी की ओर से मिले निर्देश के अनुसार एयर एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है.
प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारण
- लगातार बढ़ती वाहनों की संख्या.
- खुले में कूड़ा जलाना.
- भवन निर्माण.
- खुदी सड़क से उड़ने वाली धूल.
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वहीं, बढ़ते प्रदूषण की वजह से पर्यावरण में हो रहे जलवायु परिवर्तन को लेकर पर्यावरणविद डॉ. अनिल जोशी ने भी चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि जिस तरह मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है. उससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है यानी धरती का तापमान बढ़ रहा है. जो हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत बड़ा खतरा है.