ऋषिकेश: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य राजेन्द्र सिंह ने ऋषिकेश में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में उन्होंने चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं की समीक्षा की. साथ ही चारधाम यात्रा मार्ग पर यात्रियों को सुविधा दिए जाने को लेकर कुछ जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए.
बैठक में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority) के सदस्य राजेंद्र सिंह ने कहा कि चारधाम यात्रा में बड़ी संख्या में यात्री आ रहे हैं. इसके लिए शासन-प्रशासन द्वारा अच्छी व्यवस्थाएं बनाई गई हैं. इस बार चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या अनुमान से अधिक है. इसीलिए पहले से ज्यादा व्यवस्थाएं बनाने की आवश्यकता है.
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उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में देश और विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. ऐसी स्थिति में यह उत्तराखंड राज्य के लिए सुखद स्थिति है, परंतु यात्रियों को सुविधाएं दिया जाना हमारा कर्तव्य है. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि यात्रियों के ठहरने, पेयजल, चिकित्सा सुविधा, स्वच्छता और परिवहन की अच्छी व्यवस्था के साथ ही सभी मूलभूत सुविधाएं प्रदान की जाएं.
उन्होंने कहा कि ऋषिकेश चारधाम यात्रा का द्वार है. यहां पर यात्रियों का अच्छा स्वागत होना और धन्यवाद ज्ञापित करना चाहिए, ताकि वे यहां से अच्छी यादें लेकर जाएं. इसके साथ ही अधिकारियों को कहा गया है कि चारधाम यात्रा के शुरुआती दौर में जो गड़बड़ियां सामने आई थी, उनकी पुनरावृत्ति न हो, इसका विशेष ख्याल रखा जाए. अधिकारी समय पर चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं का जायजा लेते रहें. साथ ही यात्रियों से भी सुविधाओं को लेकर सुझाव लें. कहीं पर कोई कमी रह गई हो तो उसे जल्द से जल्द दूर किया जाए.
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सदस्य राजेंद्र सिंह ने कुछ मामलों पर अधिकारियों को फटकार भी लगाई है. उन्होंने कहा है कि ऋषिकेश में कुछ जगहों पर पानी की बोलत 100 रुपए में बिक रही है, जो यात्रियों की जेब पर डाका डाला जा रहा है. इसको लेकर उन्होंने अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
सदस्य राजेंद्र सिंह ने मॉनसून सीजन को देखते हुए आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन टीम को भी अलर्ट रखने के निर्देश दिए हैं. भीड़ बढ़ने की दशा में स्थानीय संसाधनों का किस प्रकार उपयोग किया जाना है, इसकी भी योजना तैयार की जाए. यात्रा रूटों पर 8-9 बड़े प्वांइट और 6-7 छोटे प्वांइट चिन्हित करें, जहां पर राज्य में अवस्थित सेना, अर्द्धसैनिक बलों और एसडीआरएफ के जवानों को भी तैनात किया जाए, जिससे यात्रा के बेहतर प्रबंधन के साथ ही संभावित आपदा से निपटा जा सके.