नैनीतालः म्युनिसिपल पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज मसूरी (एमपीजी कॉलेज मसूरी) में शिक्षकों की कमी के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई की. मामले में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार और सचिव उच्च शिक्षा को आदेश जारी कर 2 दिनों के भीतर अशासकीय महाविद्यालय के लिए आरक्षण का रोस्टर जारी कर निर्णय लेने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर को होगी.
बता दें कि मसूरी नगर पालिका की ओर से यह डिग्री कॉलेज संचालित की जाती है, लेकिन यहां शिक्षकों की कमी के चलते पठन पाठन प्रभावित हो रही है. इसके अलावा नियमों के विरुद्ध आरक्षण रोस्टर में संशोधन कर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करने का मामला भी सामने आ चुका है. जिस पर उच्च शिक्षा उप सचिव ब्योमकेश दुबे रोक लगा चुके हैं.
वहीं, एमपीजी कॉलेज की बीए प्रथम वर्ष की छात्रा अनीसा ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें अनीसा का कहना है कि मसूरी के एकमात्र डिग्री कॉलेज में 23 अध्यापकों के पदों पर मात्र 9 ही शिक्षक है. जिस कारण छात्र-छात्राओं के पठन पाठन में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है.
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याचिकाकर्ता का कहना है कि कॉलेज में चल रहे कई संकायों में तो कोई प्रोफेसर ही नहीं है. जिससे पठन पाठन प्रभावित हो रहा है. याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से शिक्षकों की नियुक्ति कराने की मांग की है. ताकि, छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकें. इसी मामले में आज कॉलेज प्रबंधन की तरफ से एक और याचिका दायर की गई. जिसमें कहा गया कि यह कॉलेज अशासकीय महाविद्यालय है.
जिसमें खाली पड़े पदों को भरने के लिए सरकार ने साल 2020 में अनुमति दी थी, लेकिन अभी तक सरकार ने आरक्षण का रोस्टर तैयार नहीं किया. जिस कारण इन पदों पर नियुक्ति नहीं हो पाई. पदों को भरने के लिए जो अनुमति साल 2020 में दी गई, उसकी समयावधि जून 2023 में समाप्त हो गई है. लिहाजा, इन पदों को भरने के लिए समयावधि को बढ़ाया जाए.