देहरादूनः उत्तराखंड में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली और उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल के तत्वाधान में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है. देहरादून जिले में भी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देहरादून की ओर से लोक अदालत (national lok adalat organized in dehradun) लगाया जाएगा. इसके तहत आगामी 11 दिसंबर को सभी न्यायालय जिला मुख्यालय देहरादून, विकासनगर, ऋषिकेश, डोईवाला और चकराता में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा. हालांकि, इससे पहले एमवी एक्ट के लिए कैंप लगाया जाएगा.
उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव नेहा कुशवाहा (Secretary of DLSA and Civil Judge Neha Kushwaha) ने बताया कि इस बार जनता के लिए देहरादून में एमवी एक्ट (MV Act) को लेकर खास एक पहल की गई है. एमवी एक्ट के चालान लोक अदालत में निस्तारित नहीं किए जा सकते हैं, लेकिन कंपाउंड हो सकते हैं तो उसके लिए यह व्यवस्था की गई है कि 8 दिसंबर को देहरादून जिले के सभी न्यायालयों में एक कैंप (MV act camp held in dehradun) आयोजित किया जा रहा है. जिसमें एसएसपी की ओर से सीओ प्रेमनगर प्रतिनिधि और आरटीओ की ओर से भी प्रतिनिधि नियुक्त किए जाएंगे.
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उन्होंने बताया कि जनता अपने एमवी एक्ट के चालान का निस्तारण कैंप मैं कंपाउंडिंग करा सकते हैं. इसके लिए उन्हें रसीद लेनी होगी. उसके बाद रसीद को न्यायालय में जमा कराना होगा. फिर सभी पेपर रिलीज हो जाएंगे. इसमें जनता को फायदा है कि कम रुपए में जो फाइन का अमाउंट बहुत ज्यादा होता है, वो कंपाउंडिंग में कम हो जाता है तो कम रुपए में पेपर वर्क रिलीज हो जाएंगे. जिसमें विभिन्न वादों को निस्तारण किया जाएगा
सचिव नेहा कुशवाहा ने बताया कि इसमें ऐसे वाद शामिल हैं, जो निस्तारित कर सकते हैं. जैसे फौजदारी के शमनीय मामले, व्यवहारिक और कुटुंब न्यायालयों के मामले, धारा 138 एनआई एक्ट संबंधित मामले, बैंक और ऋण वसूली से संबंधित मामले, मोटर दुर्घटना प्रतिकार संबंधित मामले, दीवानी, राजस्व और श्रम संबंधित वाद, भूमि अर्जन के वाद, विद्युत और जलकर बिलों के मामले, राजस्व संबंधित वाद, वेतनभत्तों और सेवानिवृत्ति से संबंधित वाद और अन्य मामले जो सुलह समझौते के आधार पर निस्तारित किए जा सकते हैं.
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लोक अदालत में 10 दिसंबर तक ऑनलाइन या फिर वकील के जरिए आवेदन कर सकते हैं. सिविल जज और उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव नेहा कुशवाहा ने बताया लोक अदालत में कोई फाइनल निर्णय होता है तो उसकी कोई अपील नहीं होती. वो निर्णय दोनों पक्षों पर बाध्य होता है. उसके बाद कोई भी पक्ष मुकर नहीं सकता.
इस लोक अदालत से समय बचता है. साथ ही पक्षकारों की फीस भी बचती है, इसलिए लोक अदालत जनता के लिए बहुत फायदेमंद है. उन्होंने कहा इस बार उच्च न्यायालय की ओर से आदेश पारित किए गए हैं कि सभी कोर्ट खुली हुई हैं, लोक अदालत इस बार वर्चुअल न होकर कोर्ट में होगी. वहीं, अगर कोई मेल पर आवेदन कर रहा है तो उसका आवेदन स्वीकार कर लिया जाएगा.