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मसूरी विधायक गणेश जोशी क्यारकुली गांव में मनाएंगे इगास पर्व

दीपावली के 11 दिनों के बाद मनाया जाने वाले त्योहार इगास को मसूरी विधायक इस बार क्यारकुली गांव में जाकर मनाएंगे. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लुप्त होते लोक पर्वों को पुनर्जीवित करने की मुहिम से प्रवासीजन उत्तराखंड की ओर रुख करेंगे और रिवर्स माइग्रेशन के लिए ऐसे प्रयास बहुत प्रभावी होंगे.

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मसूरी विधायक गणेश जोशी
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Published : Nov 23, 2020, 1:16 PM IST

मसूरी: दीपावली के त्योहार के 11 दिन बाद इगास दीपावली मनाई जाती है, जिसे स्थानीय भाषा में इगास कहा जाता है. मसूरी विधायक गणेश जोशी ने कहा कि वे आगामी 25 नवंबर को इगास का त्योहार अपनी विधानसभा के अंतर्गत क्यारकुली गांव में मनाएंगे. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लुप्त होते लोक पर्वों को पुनर्जीवित करने की मुहिम से प्रवासीजन उत्तराखंड की ओर रुख करेंगे और रिवर्स माइग्रेशन के लिए ऐसे प्रयास बहुत प्रभावी होंगे.

विधायक गणेश जोशी ने कहा कि दीपावली के 11 दिन बाद उत्तराखंड के पर्वतीय अंचलों में मनाए जाने वाले इस पर्व को गढ़वाल में इगास, कुमाऊं में बूढ़ी दीपावली कहते हैं. इससे एकादशी बग्वाल भी कहा जाता है. समय के साथ यह लोक पर्व लुप्त सा हो गया है. उन्हें लोकपर्वों से जुड़कर और मना कर अपनी संस्कृति अपनी माटी और परंपराओं को अपनी अगली पीढ़ी को अपनी विरासत से अवगत कराना चाहिए.

पढ़ें: गंगा स्कैप चैनल शासनादेश निरस्त करने पर हरदा ने सीएम त्रिवेंद्र को दी बधाई

विधायक गणेश जोशी ने जनता से अपील की है कि आगामी 25 नवंबर को इगास के दिन सभी संस्थाएं, संगठन और नागरिक इस लोकपर्व को धूमधाम से मनाएं. ताकि अपनी जड़ों से जुड़ने की यह मुहिम और अधिक प्रभावी हो सकें. इसी क्रम में उनके विधानसभा क्षेत्र में भी कार्यकर्ता इगास के आयोजन करेंगे और वो स्वयं इस दिन क्यारकुली गांव में इगास मनाएंगे.

उन्होंने बताया कि इससे पहले वह गौमाता की पूजा-अर्चना भी करेंगे. उन्होंने कहा कि फूलदेई, हरेला की तरह इगास के लिए भी इन वर्षों में जनता के बीच रुचि देखी जा रही है. प्रवासी भी बड़ी संख्या में अपने गांव में आकर इन त्योहारों को मना रहे हैं.

मसूरी: दीपावली के त्योहार के 11 दिन बाद इगास दीपावली मनाई जाती है, जिसे स्थानीय भाषा में इगास कहा जाता है. मसूरी विधायक गणेश जोशी ने कहा कि वे आगामी 25 नवंबर को इगास का त्योहार अपनी विधानसभा के अंतर्गत क्यारकुली गांव में मनाएंगे. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लुप्त होते लोक पर्वों को पुनर्जीवित करने की मुहिम से प्रवासीजन उत्तराखंड की ओर रुख करेंगे और रिवर्स माइग्रेशन के लिए ऐसे प्रयास बहुत प्रभावी होंगे.

विधायक गणेश जोशी ने कहा कि दीपावली के 11 दिन बाद उत्तराखंड के पर्वतीय अंचलों में मनाए जाने वाले इस पर्व को गढ़वाल में इगास, कुमाऊं में बूढ़ी दीपावली कहते हैं. इससे एकादशी बग्वाल भी कहा जाता है. समय के साथ यह लोक पर्व लुप्त सा हो गया है. उन्हें लोकपर्वों से जुड़कर और मना कर अपनी संस्कृति अपनी माटी और परंपराओं को अपनी अगली पीढ़ी को अपनी विरासत से अवगत कराना चाहिए.

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विधायक गणेश जोशी ने जनता से अपील की है कि आगामी 25 नवंबर को इगास के दिन सभी संस्थाएं, संगठन और नागरिक इस लोकपर्व को धूमधाम से मनाएं. ताकि अपनी जड़ों से जुड़ने की यह मुहिम और अधिक प्रभावी हो सकें. इसी क्रम में उनके विधानसभा क्षेत्र में भी कार्यकर्ता इगास के आयोजन करेंगे और वो स्वयं इस दिन क्यारकुली गांव में इगास मनाएंगे.

उन्होंने बताया कि इससे पहले वह गौमाता की पूजा-अर्चना भी करेंगे. उन्होंने कहा कि फूलदेई, हरेला की तरह इगास के लिए भी इन वर्षों में जनता के बीच रुचि देखी जा रही है. प्रवासी भी बड़ी संख्या में अपने गांव में आकर इन त्योहारों को मना रहे हैं.

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