मसूरी: पहाड़ों रानी मसूरी में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. शहर के विभिन्न क्षेत्रों से उपजिला चिकित्सालय में कोरोना जांच करवाने आये हुए लोगों में 12 लोगों की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है. उप जिला चिकित्सालय के कोविड नोडल अधिकारी डॉ. प्रदीप राणा ने बताया कि गुरुवार को 55 लोगों के रैपिड एंटीजन और 85 लोगों के आरटीपीसीआर टेस्ट किए गये. जिसमें से 12 लोग कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं. वहीं, कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए नगर पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने लंढौर कम्युनिटी अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाने की मांग जिलाधिकारी से की है. उन्होंने कहा इसके लिए जो भी आर्थिक मदद हो सकेगी पालिका अपने सभासदों से मिलकर करने का प्रयास करेगी. उन्होंने इस संबंध में जिलाधिकारी को पत्र लिखा है.
उन्होंने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में कहा है कि कोविड के लगातार प्रसार से मसूरी वासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. विगत कुछ दिनों से लगातार कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में शहर के लोगों को बचाये रखने तथा उचित उपचार करने के लिए लंढौर कम्युनिटी अस्पताल को जनहित एवंज न स्वास्थ्य के दृष्टिगत कोविड अस्पताल के रूप में परिवर्तित किया जाना जरूरी हो गया है. इस कार्य में अस्पताल के प्रबंधक चिकित्सक डॉ जॉर्ज ने भी अपनी सहमति प्रदान की है.
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पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने बताया कि अस्पताल के प्रबंधक चिकित्सक डॉ जॉर्ज से भी इस बारे में बात हो गई है. अगर प्रशासन अनुमति देता है तो वह अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाने के लिए तैयार हैं. वहीं, जिलाधिकारी ने भी भरोसा दिलाया कि वह शीघ्र ही एक टीम मसूरी भेंजेंगे, जो अस्पताल का निरीक्षण करेगी. उसके बाद ही इस पर निर्णय लिया जाएगा.
कोरोनाकाल में मदद के लिए आगे आ रही संस्थाएं
वहीं, पर्यटन नगरी में लगातार कोरोना संक्रमण के बढ़ने के बाद कुछ सामाजिक संस्थाएं मदद के लिए आगे आ रही हैं. HRIDA ग्रीन लीविंग व व्यापार संघ मसूरी इन्हीं में से एक है. मसूरी में HRIDA ग्रीन लीविंग संस्था की ईशा गुप्ता वैश्य ने बताया कि उनकी संस्था विगत तीन-चार वर्षों से पर्यावरण संरक्षण का कार्य कर रही है. इस समय भी उनकी संस्था मदद कर रही है. संस्था ने ईको फ्रेंडली डिस्पोजल बर्तन बनाये हैं, जिससे न तो पर्यावरण को कोई नुकसान होगा न ही कोरोना संक्रमित परिवारों को कोई संक्रमण का खतरा होगा. संस्था ने यह भी निर्णय लिया है कि ये डिस्पोजल जरूरतमंद कोरोना संक्रमित परिवारों को निःशुल्क दिए जाएंगे, ताकि उनकी मदद होने के साथ ही पर्यावरण को होने वाले खतरे से भी बचाया जा सके.