रुद्रपुर/देहरादून: बुली बाई ऐप मामले (Bulli Bai app case) में मुंबई पुलिस ने उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले के जिला मुख्यालय रुद्रपुर से एक युवती को गिरफ्तार किया है. युवती को उधमसिंह नगर जिले की स्थानीय कोर्ट में पेश किया गया. मुंबई पुलिस ने युवती को ट्रांजिट रिमांड ले जाने की अर्जी कोर्ट में लगाई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था. इसके बाद महाराष्ट्र पुलिस पांच दिन की ट्रांजिट रिमांड पर आरोपी को लेकर मुंबई पहुंच गई है.
इस मामले में एसपी सिटी ममता बोहरा ने बताया कि मुंबई पुलिस ने बुली बाई ऐप (Bulli Bai app case) को लेकर रुद्रपुर पुलिस से संपर्क किया था. रुद्रपुर के वॉर्ड नंबर-14 आदर्श कॉलोनी में रहने वाली युवती का संपर्क बेंगलुरु से गिरफ्तार किए गए 21 साल के आरोपी विशाल कुमार से था. विशाल कुमार को दो दिन पहले ही मुंबई पुलिस से बेंगलुरु से बुली बाई ऐप मामले (Bulli Bai app case) में गिरफ्तार कर चुकी है.
'जट खालसा 7' नाम से अकाउंट बनाया: एसपी सिटी ममता बोहरा के मुताबिक आरोपी युवती 'जट खालसा 7' नाम से अकाउंट संचालित कर रही थी, जिससे कई फोटो शेयर की गईं थीं. एसपी सिटी ममता बोहरा के अनुसार लड़की ने पुलिस को बताया कि जहां से बुली बाई ऐप का अकाउंट जनरेट हुआ है, वह उसके भी संपर्क में थी और बेंगलुरु से गिरफ्तार विशाल कुमार से भी उसकी बातचीत होती थी.
नेपाली दोस्त कौन?: युवती ने हाल ही में 12वीं पास की है. पुलिस की तरफ से जो जानकारी मिली है कि उसके मुताबिक उसकी कुछ दिनों पहले नेपाली लड़के Giyou से दोस्ती हुई थी. उसी ने युवती को अपना टि्वटर अकाउंट छोड़ने की बात कहकर फेक अकाउंट (doc.acct) बनाने को कहा था. साथ ही उससे उसका लॉगइन आईडी मांगा था. इसके बाद लड़की ने infinitude07 ट्विटर अकाउंट को परिवर्तित कर JATTkhalsa7 नाम से नया अकाउंट बनाया था. उसी अकाउंट के जरिए Bulli bai app पर मुस्लिम महिलाओं की फोटो डाली गई.
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ऐसे चलता है खर्चा: पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार युवती के पिता की कोरोना संक्रमण से मौत हो चुकी है. माता की मौत 2011 में कैंसर से हो गई थी. उसकी दो बहनें और एक भाई है. सभी पढ़ाई कर रहे हैं. उसके परिवार का खर्च वात्सल्य योजना के तीन हजार रुपये और पिता की कंपनी की ओर से दिए जाने वाले 10 हजार रुपये से चलता है.
गिरफ्तार युवती तीन बहनों में दूसरे नंबर की है. उसका एक छोटा भाई भी है. पिता की मौत कोविड से हुई थी. सभी मूलरूप से बुलंदशहर की निवासी हैं और 18 साल से उसका परिवार रुद्रपुर में रह रहा है. गिरफ्तार युवती की बड़ी बहन ने स्वीकार किया कि वो बहुत ज्यादा मोबाइल में इंगेज रहती थी और टोकने नाराज हो जाती थी. पुलिस ने युवती के पास से दो मोबाइल भी बरामद किए हैं.
परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर: पुलिस के मुताबिक युवती के परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है. उनके घर का खर्च भी वात्सल्य योजना से चलता है. वहीं इसमें मुंबई पुलिस ने आईपीसी 153ए, 153बी, 295ए, 509, 500, 354डी, और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत केस दर्ज किया है. यह सब गंभीर धाराएं हैं.
मुंबई पुलिस साइबर सेल के डीसीपी के मुताबिक दोनों आरोपियों से पूछताछ की जा रही है. साइबर सेल के डीसीपी के मुताबिक बुली बाई पर पत्रकारों सहित 100 प्रमुख मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें नीलामी के लिए अपलोड की गईं थीं. शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने शनिवार को मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र के गृह एवं सूचना एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री सतेज पाटिल में 'बुली बाई' ऐप को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी.
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क्या है बुली बाई ऐप मामला: पिछले कुछ दिनों से देश में बुली बाई (Bulli Bai app case) की चर्चा खूब हो रही है. आइए आपको विस्तार से बताते हैं कि आखिर क्या है यह बुली बाई ऐप और क्यों इसे लेकर इतना बखेड़ा खड़ा हो रहा है. बुली बाई एप (Bulli Bai app) गूगल प्ले स्टोर (Google Play Store) या ऐप स्टोर (App Store) पर नहीं मिलता. यह गिटहब (Github) नाम के प्लेटफॉर्म पर मौजूद है.
आसान शब्दों में कहें तो यहां मुस्लिम महिलाओं की बोली लगाई जा रही थी. जब आप इस ऐप को ओपन करते हैं तो स्क्रीन पर मुस्लिम महिलाओं (Muslim Women) का चेहरा नजर आता है, जिसे बुली बाई नाम दिया गया है. इसमें उन मुस्लिम महिलाओं का नाम यूज किया जा रहा है जो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं. इन मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों को प्राइसटैग (Muslim Women Bidding) के साथ साझा किया गया है.
यही नहीं, बुली बाई नाम के एक ट्विटर (Twitter) हैंडल से इसे प्रमोट भी किया जा रहा था. इस हैंडल पर मुस्लिम महिलाओं को बुक करने की भी बात लिखी गई थी. हालांकि भारत सरकार (Indian Government) के दखल के बाद अब इस ऐप (App) और इस ट्विटर हैंडल (Twitter handle) को हटा दिया गया है.
गिटहब (Github) क्या है: बुली बाई ऐप गिटहब (Github) प्लेटफॉर्म पर ही मौजूद था. ऐसे में यहां ये भी समझना जरूरी है कि आखिर गिटहब क्या है. गिटहब एक ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म (Open Source Platform) है और यह अपने यूजर्स को कोई भी ऐप क्रिएट करने और उन्हें शेयर करने का ऑप्शन देता है. आप यहां पर्सनल या प्रोफेशनल किसी भी तरह का ऐप शेयर करने के साथ ही उसे बेच भी सकते हैं.
सुल्ली डील्स की तरह बुली बाई: अभी तक जो जानकारी सामने आई है, उस हिसाब से बुली बाई ऐप बिल्कुल सुल्ली डील्स (Sulli Deals) की तरह है. सुल्ली डील्स पिछले साल सुर्खियों में आया था. उसमें भी मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों का मिसयूज किया गया था. खास बात ये है कि सुल्ली डील्स को भी गिटहब प्लेटफॉर्म पर ही चलाया गया था. हालांकि शिकायत मिलते ही दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई की थी और एक बार फिर बुली बाई ऐप मामले में भी दिल्ली पुलिस सक्रिय हो गई है. पुलिस ने गिटहब से इसे बनाने वाले की जानकारी मांगी है. साथ ही ट्विटर से उस अकाउंट की डिटेल मांगी गई है, जिसने पहली बार इसे ट्वीट किया था.