नई दिल्ली / देहरादून: संसद के शीतकालीन सत्र में आज पिथौरागढ़ सांसद अजय टम्टा ने अपने संसदीय क्षेत्र का मुद्दा उठाया. उन्होंने सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में एफएम ट्रांसमीटर न लगाए जाने को लेकर जानकारी मांगी.
टम्टा ने बताया कि सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण स्थान पिथौरागढ़ में नेपाली एफएम के जरिये 70 फीसदी कार्यक्रम हिंदी और कुमाउंनी में प्रसारित होता है. पिथौरागढ़ में एफएम ट्रांसमीटर लगाने के लिये विभाग के पास भूमि भी उपलब्ध है और साइट की लोकेशन अलग होने के कारण 5 किलोवॉट का एफएम का ट्रांसमीटर लगना है.
टम्टा ने सदन को बताया कि इससे पहले सूचना प्रसारण मंत्री रहीं स्मृति ईरानी पिथौरागढ़ 23 फरवरी 2018 आई थीं और विभाग के सारे अधिकारियों की बैठक की थी. उन्होंने मांग की कि सभी चीजें उपलब्ध होने के दो वर्ष पूरा हो जाने के बाद भी इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया गया है. इस क्षेत्र में एफएम ट्रांसमीटर लगने से काफी लाभ होगा. कुमाऊं के पूरे क्षेत्र में एफएम का लाभ मिल सकेगा.
वहीं, अजय टम्टा के सवाल का जवाब देते हुये सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि उन्हे इस बात की जानकारी है कि पिथौरागढ़ क्षेत्र में कार्यक्रम हुआ था और पूर्व मंत्री स्मृति ईरानी ने आश्वासन दिया था. इस पूरे मामले का उन्होंने रिव्यू लिया है. जावड़ेकर ने अजय टम्टा को भरोसा दिलाया कि उनकी ये मांग जल्द पूरी होगी.
अपने इस सवाल के बाद पिथौरागढ़ सांसद अजय टम्टा ने 24 नवंबर 2019 को प्रसारित प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम का जिक्र करते हुये कहा कि पीएम ने धारचुला के रंग समुदाय द्वारा उनकी बोली-भाषा को बचाए जाने के अनोखे प्रयास की सराहना की थी. इसी मुद्दे पर सवाल पूछते हुये टम्टा ने कहा कि उत्तराखंड में स्थित आकाशवाणी केंद्रों से कुमाउंनी, गढ़वाली, जौनसारी, सौका, रंग, तोलछा, मालछा, थारू, बोकसा, वनराजी आदि स्थानीय भाषाओं के कार्यक्रमों के प्रसारण के लिये क्या प्रयास किये जा रहे हैं, जिससे इस भाषाओं से स्थानीय जनता को जोड़ा जा सके और इनका संरक्षण हो सके.
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सांसद अजय टम्टा के इस सवाल का जवाब देते हुये सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि आकाशवाणी का महत्वपूर्ण उद्देश्य है कि भारत की सभी भाषाओं का प्रचलन बढ़े और विकास हो. इसी के मद्देनजर अलग-अलग आकाशवाणी केंद्रों पर उस राज्य में जो बोली-भाषा बोली जाती है, उसमें भी कार्यक्रम करने के लिये बढ़ावा देते हैं. जावड़ेकर ने कहा कि उन्होंने दो भाषाओं का नाम पहली बार सुना है, इस बारे में उन्होंने टम्टा से पत्र मांगा ताकि उसपर कार्रवाई हो सके.