देहरादून: राजधानी देहरादून में एक बार फिर कोरोना वायरस पांव पसारने लगा है. दून स्थित देश के सबसे प्रतिष्ठित भारतीय वन अनुसंधान केंद्र (FRI) में 2 दिन पहले ही 8 IFS प्रशिक्षु ऑफिसर और तीन अन्य कर्मचारियों सहित 11 लोगों के कोरोना पॉजिटिव पाये गये. जिसके बाद से ही वन अनुसंधान केंद्र में हड़कंप मचा हुआ है. एहतियातन जिला स्वास्थ्य प्रशासन ने संस्थान को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है. यहां 5 दिसंबर तक बाहरी लोगों की आवाजाही पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है.
वहीं, पर्यटक क्षेत्र सहस्त्रधारा इलाके में स्थित तिब्बती कॉलोनी एकेडमी में भी एक साथ सात लोगों के कोविड-19 आ जाने से इस इलाके को भी कंटेनमेंट जोन बनाया गया है. ऐसे में दोनों ही कंटेनमेंट इलाकों में जिला स्वास्थ्य विभाग की मॉनिटरिंग जारी है. जिला अधिकारी आर राजेश कुमार के मुताबिक, दोनों ही संस्थानों में जो लोग संक्रमण से ग्रसित हैं, उनकी लगातार निगरानी की जा रही है.
पढ़ें-Reality Check: कोरोना के बढ़ते मामले देख सरकार ने बढ़ाई सख्ती, फिर भी लापरवाह लोग
FRI में संक्रमित लोगों पर स्वास्थ्य विभाग की निगरानी: जिला प्रशासन के मुताबिक FRI संस्थान अपने आप में संवेदनशील क्षेत्र है, जहां कोरोना वायरस के मामले सामने आने के बाद संक्रमण से ग्रसित अधिकारियों और कर्मचारियों के संपर्क में आने वाले लोगों की कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग के कार्य तेजी से किया जा रहा है. संक्रमित लोग किसी के भी संपर्क में न आए इसे लेकर रोजाना स्वास्थ विभाग की एक टीम संस्थान में सभी तरह के एहतियात बरत रही है. साथ ही कोरोना गाइडलाइन का पालन भी करवाया जा रहा है.
पढ़ें- उत्तराखंड में 11 आईएफएस अधिकारी पाए गए कोरोना संक्रमित, बनाया गया कंटेनमेंट जोन
एफआरआई संस्थान को नोटिस जारी: देहरादून जिलाधिकारी आर राजेश कुमार के मुताबिक एफआरआई परिसर स्थित इंदिरा गांधी नेशनल राष्ट्रीय वन अकादमी डायरेक्टर को नोटिस जारी किया गया है. इस नोटिस में इस बात का स्पष्टीकरण मांगा गया है कि संस्थान के अंदर कोरोना पॉजिटिव मरीजों की जानकारी जिला स्वास्थ्य प्रशासन से पहले क्यों छुपाई गई. जबकि संक्रमित प्रशिक्षु अधिकारी लखनऊ दौरे के दौरान ही कोविड पॉजिटिव पाए गए थे. उन्हें देहरादून पहुंचने के लिए वहां से ही इजाजत मिल गई थी. यहां संस्थान में पहुंचने की बाद उनकी कोरोना से संबंधित जानकारी बताने में जिला स्वास्थ्य विभाग को सूचना देने में क्यों देरी की गई. नोटिस का स्पष्टीकरण अगर सही नहीं पाया जाता तो संस्थान संबंधित अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी की जा सकती है.
पढ़ें- उत्तराखंड: लापरवाही की हद पार कर रहे लोग, अभी नहीं टला कोरोना का खतरा
उत्तराखंड में पहला कोरोना केस भी FRI में ही पाया गया: बता दें साल 2020 में उत्तराखंड में सबसे पहला कोरोना का मामला सामने आया था, वो भी भारतीय वन अनुसंधान केंद्र (FRI) से ही सामने आया था. साल 2020 में अप्रैल और मार्च के बीच लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक ट्रेनी आईएफएस अधिकारियों का एक दल जो विदेशों से ट्रेनिंग लेकर वापस आया था उनमें कोरोना की पुष्टि हुई थी. तब भी एक महीने से अधिक समय के लिए एफआरआई को बंद किया गया था.