देहरादूनः उत्तराखंड में शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) को लेकर शिकायतों का अंबार शिक्षा विभाग के लिए चिंता का सबब बना रहता है. स्थिति यह है कि बाल संरक्षण आयोग में सबसे ज्यादा शिकायतें शिक्षा के अधिकार को लेकर ही की जा रही है. हालांकि, शिक्षा विभाग आरटीई में अधिकतर शिकायतें मन मुताबिक विद्यालयों में एडमिशन नहीं मिलने की होना बता रहा है.
राज्य में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत गरीब परिवार के छात्रों को निजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा दी जाती है. इसके लिए बकायदा विद्यालयों में अनिवार्य रूप से 25 फीसदी सीटें ऐसे गरीब परिवारों के छात्रों के लिए आरक्षित की जाती है. लेकिन कई बार जरूरतमंद छात्रों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम का लाभ नहीं मिल पाता और उसके बाद इसके लिए शिक्षा विभाग में शिकायतें भी की जाती हैं. सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी सामने आई है कि बाल संरक्षण आयोग में सबसे ज्यादा शिकायतें शिक्षा का अधिकार अधिनियम को लेकर ही मिल रही है.
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आंकड़ों के रूप में देखे तो शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत अब तक कुल 654 शिकायतें मिली हैं. बाल संरक्षण आयोग को डॉक्टरों के तहत 310 शिकायतें, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत 368 शिकायतें और बाल श्रम के तहत 69 शिकायतें मिल पाई है. उधर इस साल अब तक 73 शिकायतें आयोग को मिली है. साल 2011 से अब तक देखे दो कुल 1769 शिकायतें प्राप्त हुई है, जिसमें से 1416 शिकायत निस्तारित भी की जा चुकी है.
शिक्षा विभाग ने ऐसे मामलों के निस्तारण के लिए भी विशेष प्रयास किए हैं, शिक्षा विभाग का मानना है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत 100 फीसदी छात्रों को दाखिला दिलाने के लिए प्रयास किए जाते हैं, लेकिन अधिकतर शिकायतें ऐसी आती हैं, जिसमें दाखिला अभिभावकों की इच्छा के अनुसार दिए गए विद्यालयों में नहीं हो पाता. हालांकि, इसके बावजूद भी प्रयास किए जा रहे हैं कि ऐसी शिकायतों के निस्तारण किए जाएं और ज्यादा से ज्यादा छात्रों को इसका लाभ मिल सके.