देहरादून: दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के इंजेक्शन कक्ष में पीड़ित लोग पहली एंटी रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन लगाने पहुंचे. इंजेक्शन रूम में तैनात फार्मासिस्ट मनीषा नौटियाल की टीम ने डेढ़ सौ इंजेक्शन लगाए, जिसमें से 75 इंजेक्शन पहली डोज के थे. इसी क्रम में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला चिकित्सालय में भी पीड़ित लोग एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाने पहुंचे. वहां भी डॉग बाइट के 55 इंजेक्शन लगाए गए.
दून अस्पताल में पीड़ित मरीजों से एंटी रेबीज सिरम बाहर से मंगवाए जा रहे हैं. यह मोनो क्लोनल एंटीबॉडी होता है और कुत्ता जहां काटता है उस जख्म पर इसे इंजेक्शन के माध्यम से लगाया जाता है. इस संबंध में दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के प्राचार्य डॉक्टर आशुतोष सयाना का कहना है कि अस्पताल में जितने भी डॉग बाइट के केस आ रहे हैं वो प्रॉपर तरीके से मैनेज किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन की कोई कमी नहीं है. अस्पताल में वैक्सीन, सिरम आवश्यकतानुसार मरीजों को लगाए जा रहे हैंं.
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बता दें कि अगर कुत्ते ने काट लिया है, तो लोग एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाने में बिल्कुल लापरवाही ना बरतें, क्योंकि यह रोग जानलेवा साबित हो सकता है. ये इंफेक्शन आमतौर पर संक्रमित जानवरों के काटने से फैलता है. अगर कुत्ते ने काटा है तो तत्काल टिटनेस का इंजेक्शन लगाएं और 24 घंटे के भीतर एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवा लें. इसके अलावा चिकित्सक से परामर्श लेकर एंटीबायोटिक दवाओं का कोर्स करें, ताकि किसी भी तरह का इंफेक्शन ना हो सके.
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