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अब धार्मिक आयोजनों के जरिए मूल निवास का आंदोलन बढ़ेगा आगे, ऐसी है रणनीति

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 26, 2023, 6:25 PM IST

Updated : Dec 26, 2023, 8:02 PM IST

Mool Niwas Bhu Kanoon Samanvay Sangharsh Samiti
मूल निवास-भू कानून समन्वय संघर्ष समिति

Uttarakhand Mool Niwas 1950 उत्तराखंड में मूल निवास और भू कानून की मांग लगातार तूल पकड़ रही है. वहीं, अब आंदोलन को उत्तराखंड में धार्मिक आयोजनों के माध्यम से आगे बढ़ाने की रणनीति तैयार की गई है. इसके लिए तमाम पर्वों और मेलों को जोड़ा जाएगा. साथ ही समितियां बनाकर आंदोलन को गांव-गांव तक ले जाने की भी तैयारी है.

धार्मिक आयोजनों के जरिए मूल निवास का आंदोलन बढ़ेगा आगे

देहरादूनः उत्तराखंड में मूल निवास 1950 और मजबूत भू कानून लागू करने की मांग को लेकर निकला आंदोलन अब लंबा चलने वाला है. परेड ग्राउंड में विशाल रैली के बाद मूल निवास-भू कानून समन्वय संघर्ष समिति अब आगे की रणनीति बना रही है. किस तरह से ज्यादा से ज्यादा जन समर्थन को इस मुहिम के साथ जोड़ा जाए, इसी को लेकर शहीद स्थल पर बैठक आयोजित की गई. इस दौरान आंदोलन की आगे की रणनीति तैयार की गई.

मूल निवास-भू कानून समन्वय संघर्ष समिति को लीड कर रहे मोहित डिमरी ने बताया कि देहरादून में महारैली के बाद अब इसे जिला स्तर पर भी ले जाने का प्रयास किया जा रहा है. इतना ही नहीं आंदोलन को गांव-गांव तक ले जाने की भी तैयारी है. हर स्तर पर समितियां बनाई जाएगी. इसमें महिलाओं, बुजुर्गों समेत समाज के अलग-अलग वर्गों को जोड़ा जाएगा.

  • मूल निवास - भू कानून समन्वय संघर्ष समिति मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन को गति देने के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर संघर्ष समितियां बनाने जा रही है ।
    संघर्ष समिति से जुड़ने हेतु संपर्क करें ....
    मोबाइल नंबर: 7906443390
    9997894001
    8218515926 pic.twitter.com/4Lyc5FsHGM

    — मूल निवास-भू कानून समन्वय संघर्ष समिति, उत्तराखंड (@ukmoolniwas) December 25, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मोहित डिमरी ने बताया कि आगामी 10 जनवरी को हर जिले और ब्लॉक स्तर पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा. वहीं, इसके अलावा देहरादून की तरह हल्द्वानी में भी एक बड़ी महारैली करने की तैयारी समन्वय समिति बना रही है. उन्होंने बताया कि तमाम पर्वों पर इस आंदोलन के संदेश को आगे बढ़ाया जाएगा. खिचड़ी संग्रांद के दिन देवी देवताओं को पूजा जाता है, उस दिन भी मूल निवास और भू कानून अभियान को आगे बढ़ाने का काम किया जाएगा. क्योंकि, जमीन के साथ संस्कृति भी खतरे में है.
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राज्य आंदोलनकारी प्रेम बहुखंडी ने कहा कि इस आंदोलन को आगे निरंतर बनाए रखने के लिए काम करना होगा. उत्तराखंड के तमाम धार्मिक आयोजनों के जरिए इस मुहिम को आगे बढ़ाने की जरूरत है. मूल निवासियों के अलावा उत्तराखंड की लोक कला और सांस्कृतिक धरोहरों को भी नुकसान पहुंच रहा है. उत्तराखंड के लोक पारंपरिक आयोजन आज बाहर से आए सांस्कृतिक आयोजनों की वजह से पिछड़ते जा रहे हैं. अब धार्मिक आयोजन और उनसे जुड़े लोग ही इस आंदोलन के कर्णधार बनेंगे.

उन्होंने बताया कि रणनीति तैयार की जा रही है कि अब हर जगह होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मूल निवास लागू करने की अपील की जाएगी. घरों में होने वाली छोटी पूजा आयोजन से लेकर के बड़े स्तर पर होने वाले मेलों तक इस संदेश को प्रसारित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि यमकेश्वर ब्लॉक में होने वाले गेंद मेले से लेकर कुमाऊं में होने वाले उत्तरायणी मेले तक इस आंदोलन को ले जाएगा.

Last Updated :Dec 26, 2023, 8:02 PM IST
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