देहरादूनः बीजेपी विधायक पूरन सिंह फर्त्याल के तेवर अब भी तल्ख हैं, जितने नोटिस मिलने से पहले दिखाई दे रहे थे. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने विधायक पर अनुशासनात्मक रूप से जवाब देने के लिए नोटिस जारी करने की जानकारी तो दी है, लेकिन इसका विधायक पूरन सिंह पर जरा भी असर नहीं दिखाई दिया है.
बीजेपी विधायक का सदन के अंदर नियम- 58 के तहत कार्य स्थगन का प्रस्ताव विपक्ष के लिए बैठे बिठाए मौका मिलने जैसा था. शायद यही कारण था कि बीजेपी ने इस बात का फौरन संज्ञान लिया और विधायक पूरन सिंह फर्त्याल को नोटिस भी जारी कर दिया. माना गया कि नोटिस जारी होने के बाद विधायक के तेवर कुछ हल्के पड़ सकते हैं. लेकिन जब विधायक से नोटिस के बारे में सवाल-जवाब किए गये तो वो नोटिस से जरा भी विचलित होते नहीं दिखाई दिए.
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उल्टा विधायक ने बीजेपी संगठन को भी लपेटे में लेते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के इस मुद्दे को जब उन्होंने पहले उठाया तो पार्टी के इन्हीं बड़े नेताओं ने उनकी पीठ थपथपाई थी. यह पहली बार नहीं है, जब वो नियम- 58 के तहत कार्य स्थगन का प्रस्ताव लाए हों, इससे पहले भी वह कार्य स्थगन का प्रस्ताव इसी मामले पर ला चुके हैं. इतना ही नहीं, विधायक ने साफ किया कि वो भ्रष्टाचार के इस मामले से पीछे हटने वाले नहीं हैं.
बता दें कि बीते लंबे समय से चर्चाओं में चल रहे बीजेपी विधायक पूरन फर्त्याल को आज पार्टी ने नोटिस थमाकर एक हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने को कहा था. लंबे समय से बगावती तेवरों से चर्चा में चल रहे विधायक की नाराजगी किसी से छिपी नहीं है. वो कई जगहों पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. विधानसभा सत्र में सरकार के खिलाफ कार्य स्थगन प्रस्ताव लाने के बाद से इस मामले ने और ज्यादा तूल पकड़ा था. जिस पर प्रदेश संगठन ने अब एक्शन लेते हुए उन्हें नोटिस थमाया है.