देहरादून: जम्मू कश्मीर से लापता हुए देहरादून के हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी को सेना की ओर से शहीद घोषित कर दिया गया है. इसपर राजेंद्र सिंह नेगी के परिजनों ने विरोध जताया है. परिवार के लोग इस बात को मानने से इंकार कर रहे हैं.
बता दें कि 11वीं गढ़वाल राइफल के हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी मूल रूप से उत्तराखंड के चमोली जिले के रहने वाले हैं. कुछ सालों से वह देहरादून के अंबीवाला ग्रामीण क्षेत्र में अपने परिवार के साथ रहते थे. छह महीने से लापता हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी के भाई ने इस बात की जानकारी दी. बीते 8 जनवरी 2020 को जम्मू कश्मीर में ड्यूटी के दौरान बर्फ में पैर फिसलने से हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी लापता हो गए थे. छह महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी उनका कोई सुराग न लगने के कारण सेना ने उन्हें बैटल कैजुअल्टी में शहीद घोषित कर दिया है.
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हालांकि देहरादून के अंबीवाला क्षेत्र में रहने वाले हवलदार नेगी की पत्नी और बच्चों सहित परिजनों ने उन्हें शहीद मानने से इंकार कर दिया है. वो राजेंद्र को जिंदा मान रहे हैं. परिजनों के मुताबिक जब तक हवलदार राजेंद्र नेगी को लेकर किसी प्रकार का कोई सबूत सामने नहीं आता तब तक उन्हें शहीद कहना मंजूर नहीं है. वहीं लापता हवलदार नेगी के परिजनों का आरोप है कि जम्मू कश्मीर के बॉर्डर क्षेत्र से ड्यूटी के दौरान लापता होने के बावजूद अभी तक सेना किसी तरह का सुराग नहीं लगा पाई है.
परिजनों के मुताबिक शुरुआती दिनों में हवालदार नेगी के यूनिट से लगातार फोन के जरिए परिजनों को आश्वासन दिया जाता था. लेकिन अब किसी भी तरह का कोई संपर्क या खैर खबर नहीं ली जाती है. ऐसे में हवलदार राजेंद्र नेगी को अब आर्मी हेड से शहीद का दर्जा देने की बात सामने आई है. परिवार के कोई भी लोग इस बात को मानने से इंकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब तक कोई ठोस सबूत लापता हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी के बारे में सामने नहीं आता, तब तक उन्हें शहीद घोषित करना ठीक नहीं है.