देहरादूनः उत्तराखंड परिवहन निगम सैकड़ों करोड़ के घाटे से उबरने की जद्दोजहद में जुटा है. इस बीच परिवहन मंत्री चंदन राम दास ने ऐसा खुलासा किया है जो परिवहन निगम के अधिकारियों से लेकर पूर्व के परिवहन मंत्रियों पर सवाल खड़े करता है. दरअसल, परिवहन मंत्री ने प्रदेश में रोडवेज की परिसंपत्तियों को खुर्द-बुर्द किए जाने का बड़ा दावा किया है. यही नहीं, निगम को घाटे से बाहर लाने के लिए उन्होंने कुछ प्लान भी बताए हैं.
उत्तराखंड में परिवहन निगम की करोड़ों की परिसंपत्तियों होने के बावजूद निगम अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने तक के लिए मोहताज दिखता है. ऐसा परिवहन निगम की कार्यप्रणाली के कारण हुआ है, जिसको खुद परिवहन मंत्री चंदन राम दास ने सबके सामने लाया है. परिवहन मंत्री चंदन राम दास ने ईटीवी भारत से कहा कि राज्य में रोडवेज की परिसंपत्तियों को लगातार खुर्द-बुर्द किया जा रहा था. इस स्थिति को देखकर उन्होंने अधिकारियों को कड़े निर्देश देते हुए इन परिसंपत्तियों को सुरक्षित करने के निर्देश दिए हैं.
परिवहन मंत्री ने कहा कि सभी संपत्तियों को रोडवेज के नाम करने के साथ ही इन पर बाउंड्री वॉल बनाने के लिए कहा गया है. उधर इन परिसंपत्तियों को पीपीपी मोड पर या भारत सरकार की योजनाओं से जोड़ने की कोशिश की जा रही है. परिवहन मंत्री ने कहा कि राज्य में कई नए आईएसबीटी के निर्धारण को लेकर काम चल रहा है. इसके अलावा चंपावत में आरटीओ कार्यालय की घोषणा पहले ही मुख्यमंत्री कर चुके हैं. बागेश्वर में पहाड़ का सबसे बड़ा डिपो बनाने का काम किया जाएगा. यहां पहले ही 5 करोड़ का स्टेशन तैयार किया जा चुका है. टनकपुर क्षेत्र में केंद्रीय कार्यशाला बनाने का भी प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है.
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परिवहन मंत्री ने कहा कि काठगोदाम से पहाड़ के पहले आईएसबीटी के रूप में शुरुआत की जाएगी. जबकि, रुद्रपुर, काशीपुर, हरिद्वार और रुड़की जैसे बड़े डिपो को आधुनिक बनाने का प्रस्ताव भी किया जा रहा है. इसे भारत सरकार को दिया जाएगा. परिवहन मंत्री चंदन राम दास ने चारधाम यात्रा के दौरान रोडवेज को 4.5 करोड़ तक की आमदनी होने की बात कही है.
निगम को हुए प्रॉफिट के चलते एक तरफ जहां जून तक की सैलरी सभी कर्मचारियों को दे दी गई है. वहीं 2022 तक सभी कर्मचारियों को रिटायरमेंट का भुगतान कर दिया गया है. परिवहन मंत्री ने कहा कि मार्च में 103 करोड़ का जो बजट उत्तर प्रदेश से परिसंपत्तियों के बंटवारे के बाद मिला है. उससे घाटे से उबरने में मदद मिली है. उन्होंने कहा कि कुल 147 इलेक्ट्रिक और सीएनजी बसों का बेड़ा बनाए जाने की तैयारी की जा रही है. साथ ही पुरानी बसों को आधुनिक करने के साथ ही वर्कशॉप के आधुनिकरण पर भी काम किया जा रहा है, ताकि घाटे को फायदे में बदला जा सके.