देहरादून: उत्तराखंड के अस्पताल राज्य स्थापना के 21 साल बाद भी रेफरल सेंटर ही बने हुए हैं. पहाड़ी जनपदों में मुख्यालयों के अस्पताल मामूली बीमारियों पर भी हल्द्वानी या देहरादून के ही भरोसे हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि पहाड़ों पर कोरोना जांच के लिए मैदानों में ही सैंपल भेजे जा रहे हैं. बस अब स्वास्थ्य विभाग के यही हालात सरकार और विपक्ष के बीच लड़ाई की वजह बन गई है.
उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग पहाड़ी जनपदों पर सुविधाओं को जुटाने में नाकाम रहा है. यह बात समय-समय पर तमाम तस्वीरों और पहाड़ में रहने वाले लोगों की जुबान से सुनाई देती रही हैं. कोरोना संक्रमण के दौरान भी अव्यवस्थाओं की कमी फिर महसूस हुई. खुद कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने भी यह माना है कि कोरोना टेस्ट के लिए आरटी पीसीआर की पहाड़ी जनपद ऊपर कोई व्यवस्था नहीं है.
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पिथौरागढ़, बागेश्वर जैसे जनपदों से हल्द्वानी या हरिद्वार तक टेस्ट के सैंपल भेजे जाते हैं. जिसमें कई दिन लग जाते हैं. इस दौरान संक्रमण ऐसे लोगों से बाकी लोगों को भी फैल जाता है. बिशन सिंह चुफाल कहते हैं कि पहाड़ों में जिला मुख्यालय के अस्पताल रेफरल सेंटर बनकर रह गए हैं. इस बार चिकित्सकों और स्टाफ की नियुक्ति हो पाई है लेकिन सिटी स्कैन जैसी मशीनें आज तक अस्पतालों में नहीं हैं.
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सरकार के मंत्री का स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर कुबूलनामा विपक्ष के सवालों की वजह भी बन रहा है. कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट कहते हैं कि केवल स्वास्थ्य सुविधाओं को मानना ही काफी नहीं है, सरकार को इसे लेकर काम भी करना होगा.