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पलायन आयोग की रिपोर्ट, 10 सालों में बागेश्वर से 29 हजार लोगों ने किया पलायन

देहरादून: ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक एवं आर्थिक विकास को सुदृढ़ करने और पलायन को कम करने को लेकर ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग ने बागेश्वर जिले से संबंधित रिपोर्ट जारी की है.

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बागेश्वर जिले से संबंधित पलायन आयोग की रिपोर्ट.
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Published : Dec 15, 2020, 9:21 PM IST

देहरादून: ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक एवं आर्थिक विकास को सुदृढ़ करने और पलायन को कम करने को लेकर ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग ने बागेश्वर जिले से संबंधित रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के अनुसार बागेश्वर जिले से पलायन होने की मुख्य वजह शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था की कमी के साथ ही रोजगार भी है.

मंगलवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग की बैठक आयोजित की गई. हालांकि आयोग में सदस्यों की नियुक्ति के बाद यह आयोग की पहली बैठक रही. जिसमें बागेश्वर जिले से संबंधित सिफारिशों के पुस्तिका का मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विमोचन किया.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पलायन आयोग द्वारा पलायन के मूल कारणों से संबंधित दी गई प्रारंभिक रिपोर्ट से ही स्पष्ट था कि राज्य से पलायन मुख्यतः शिक्षा एवं स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा और रोजगार की कमी रही है. ऐसे में आयोग के सुझावों पर राज्य सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय लिए जा रहे हैं. साथ ही कहा कि आयोग को वर्किंग एजेंसी के रूप में नहीं बल्कि राज्य से पलायन रोकने तथा ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिये थिंकटैंक के रूप में कार्य करना होगा. आयोग के सदस्यों को ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न स्तरों पर कार्य करने का अनुभव है. उनके अनुभव राज्य के समग्र विकास में उपयोगी साबित होंगे.

बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों पर आधारित रिपोर्ट के अनुसार जनपद बागेश्वर की जनसंख्या 2,59,898 है. इनमें 1,24,326 पुरूष तथा 1,35,572 महिलाएं हैं. लेकिन पिछले 10 वर्षों में जिले के 346 ग्राम पंचायतों से कुल 23,388 व्यक्तियों ने अस्थायी रूप से पलायन किया है. वहीं, 195 ग्राम पंचायतों से 5912 व्यक्तियों ने पूर्णरूप से स्थायी पलायन किया है. कुल मिलाकर देखें तो बागेश्वर जिले के सभी विकास खंडों में हुए स्थायी पलायन की तुलना में अस्थायी पलायन अधिक हुआ है. हालांकि रिपोर्ट के अनुसार, जनपद की प्रति व्यक्ति आय साल 2016-17 के लिए अनन्तिम रूप से 1,00,117 रूपये है.

इसे भी पढ़ेंः सचिवालय में जनता की NO Entry पर हरदा नाराज, कल रखेंगे मौन व्रत

वहीं, बैठक में दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कोविड-19 से पूर्व ही मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, सोलर स्वरोजगार योजना तथा ग्रोथ सेंटरों की स्थापना, एलईडी योजना का कार्य गतिमान रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक विकास एवं स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार के साधन उपलब्ध करना इसका उद्देश्य था. सीमान्त क्षेत्रों के समग्र विकास के लिये मुख्यमंत्री सीमान्त सुरक्षा निधि की व्यवस्था की गई है. स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की सरकारी खरीद के लिए 5 लाख तक की सीमा निर्धारित की गई है.

वहीं, बैठक के दौरान ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ एसएस नेगी ने बताया कि आयोग द्वारा अब तक राज्य के पर्वतीय जनपदों, ईको टूरिज्म, ग्राम्य विकास एवं कोविड-19 के प्रकोप के दौरान राज्य में लौटे प्रवासियों एवं उनके पुनर्वास पर आधारित 11 सिफारिशें प्रस्तुत की जा चुकी है. मौजूदा समय मे आयोग ने जो बागेश्वर जनपद के लिए सिफारिशें रखी हैं. उनमें प्रमुख रूप से पशुधन की गुणवत्ता में सुधार लाने एवं कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों की संख्या बढ़ाना, दुग्ध उत्पादन एवं दुग्ध उत्पादकों की उपज हेतु पनीर, घी आदि बनाने का प्रशिक्षण दिये जाने, दुग्ध समितियों की सक्रियता बढ़ाने एवं दुग्ध प्रसंस्करण केन्द्र खोले जाना शामिल है.

देहरादून: ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक एवं आर्थिक विकास को सुदृढ़ करने और पलायन को कम करने को लेकर ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग ने बागेश्वर जिले से संबंधित रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के अनुसार बागेश्वर जिले से पलायन होने की मुख्य वजह शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था की कमी के साथ ही रोजगार भी है.

मंगलवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग की बैठक आयोजित की गई. हालांकि आयोग में सदस्यों की नियुक्ति के बाद यह आयोग की पहली बैठक रही. जिसमें बागेश्वर जिले से संबंधित सिफारिशों के पुस्तिका का मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विमोचन किया.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पलायन आयोग द्वारा पलायन के मूल कारणों से संबंधित दी गई प्रारंभिक रिपोर्ट से ही स्पष्ट था कि राज्य से पलायन मुख्यतः शिक्षा एवं स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा और रोजगार की कमी रही है. ऐसे में आयोग के सुझावों पर राज्य सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय लिए जा रहे हैं. साथ ही कहा कि आयोग को वर्किंग एजेंसी के रूप में नहीं बल्कि राज्य से पलायन रोकने तथा ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिये थिंकटैंक के रूप में कार्य करना होगा. आयोग के सदस्यों को ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न स्तरों पर कार्य करने का अनुभव है. उनके अनुभव राज्य के समग्र विकास में उपयोगी साबित होंगे.

बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों पर आधारित रिपोर्ट के अनुसार जनपद बागेश्वर की जनसंख्या 2,59,898 है. इनमें 1,24,326 पुरूष तथा 1,35,572 महिलाएं हैं. लेकिन पिछले 10 वर्षों में जिले के 346 ग्राम पंचायतों से कुल 23,388 व्यक्तियों ने अस्थायी रूप से पलायन किया है. वहीं, 195 ग्राम पंचायतों से 5912 व्यक्तियों ने पूर्णरूप से स्थायी पलायन किया है. कुल मिलाकर देखें तो बागेश्वर जिले के सभी विकास खंडों में हुए स्थायी पलायन की तुलना में अस्थायी पलायन अधिक हुआ है. हालांकि रिपोर्ट के अनुसार, जनपद की प्रति व्यक्ति आय साल 2016-17 के लिए अनन्तिम रूप से 1,00,117 रूपये है.

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वहीं, बैठक में दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कोविड-19 से पूर्व ही मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, सोलर स्वरोजगार योजना तथा ग्रोथ सेंटरों की स्थापना, एलईडी योजना का कार्य गतिमान रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक विकास एवं स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार के साधन उपलब्ध करना इसका उद्देश्य था. सीमान्त क्षेत्रों के समग्र विकास के लिये मुख्यमंत्री सीमान्त सुरक्षा निधि की व्यवस्था की गई है. स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की सरकारी खरीद के लिए 5 लाख तक की सीमा निर्धारित की गई है.

वहीं, बैठक के दौरान ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ एसएस नेगी ने बताया कि आयोग द्वारा अब तक राज्य के पर्वतीय जनपदों, ईको टूरिज्म, ग्राम्य विकास एवं कोविड-19 के प्रकोप के दौरान राज्य में लौटे प्रवासियों एवं उनके पुनर्वास पर आधारित 11 सिफारिशें प्रस्तुत की जा चुकी है. मौजूदा समय मे आयोग ने जो बागेश्वर जनपद के लिए सिफारिशें रखी हैं. उनमें प्रमुख रूप से पशुधन की गुणवत्ता में सुधार लाने एवं कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों की संख्या बढ़ाना, दुग्ध उत्पादन एवं दुग्ध उत्पादकों की उपज हेतु पनीर, घी आदि बनाने का प्रशिक्षण दिये जाने, दुग्ध समितियों की सक्रियता बढ़ाने एवं दुग्ध प्रसंस्करण केन्द्र खोले जाना शामिल है.

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