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देहरादून में मेट्रो नियो चलाने पर बनी सहमति, जल्द प्रस्ताव भेजेगा यूकेएमआरसी - Chief Secretary Omprakash's meeting

मुख्य सचिव ओम प्रकाश की अध्यक्षता में हुई उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की बोर्ड बैठक में देहरादून में मेट्रो नियो चलाने पर सहमति बन गयी है. जिसका प्रस्ताव तैयार कर उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन, उत्तराखंड शासन को भेजेगा.

देहरादून में मेट्रो नियो चलाने पर बनी सहमति
देहरादून में मेट्रो नियो चलाने पर बनी सहमति
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Published : Apr 14, 2021, 9:51 PM IST

देहरादून: राजधानी में लंबे समय से मेट्रो चलाने की रणनीति तैयार की जा रही थी, लेकिन अभी तक दून में मेट्रो चलाने की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई, जिसके बाद मुख्य सचिव ओम प्रकाश की अध्यक्षता में हुई उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की बोर्ड बैठक में देहरादून में मेट्रो नियो चलाने पर सहमति बन गयी है. जिसका प्रस्ताव तैयार कर उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन, उत्तराखंड शासन को भेजेगा. ऐसे में अब सरकार को इसके लिए बजट की व्यवस्था करनी है.

केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने दिल्ली मेट्रो की मदद से कम लागत वाली मेट्रो नियो का प्रोजेक्ट भी तैयार किया था. लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के दस्तक के बाद यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया था. मेट्रो की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने को लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में मेट्रो नियो को लेकर तैयार की गई डीपीआर को आंशिक संशोधन के साथ पास कर दिया गया.

सामान्य मेट्रो के मुकाबले मेट्रो नियो को बनाने में काफी कम खर्च आता है. एक एलिवेटेड मेट्रो को बनाने में 300 से 350 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर का खर्च आता है और अंडरग्राउंड में यही लागत 600 से 800 करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है. जबकि मेट्रो नियो या मेट्रो लाइट के लिए 200 करोड़ तक का ही खर्च आता है. इसमें कम लागत आएगी, इसलिए इसमें यात्रियों को सस्ते सफर की सौगात भी मिलेगी. इसमें यात्रियों की क्षमता सामान्य मेट्रो से कम होगी, इसके लिए सड़क से अलग एक डेडिकेटेड कॉरिडोर तैयार किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: CBSE: 10वीं की परीक्षा रद्द और 12वीं की परीक्षा स्थगित, जानें अभिभावकों और विशेषज्ञों की राय

बैठक में मेट्रो नियो के साथ ही हरिद्वार-ऋषिकेश के बीच लोकल ट्रेन संचालित किए जाने पर भी चर्चा की गई. हालांकि, मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने सरकार के निर्देश पर हरिद्वार और ऋषिकेश के बीच मुंबई की तर्ज पर लोकल ट्रेन चलाने पर काम शुरू किया है. जिसके फायदे और नुकसान को लेकर चर्चा किया गया, इसके साथ ही भविष्य की स्थितियों के मद्देनजर भी संभावनाओं पर विचार किया गया. क्योंकि हरिद्वार से ऋषिकेश के बीच लोकल ट्रेन चलाने की संभावनाओं के संबंध में रेल मंत्रालय ने सारी जानकारी मांगी है.

आपको बता दे कि साल 1966 में सबसे पहले कनाडा के मांट्रियल में दुनिया की पहली रबड़ टायर वाली मेट्रो यानी मेट्रो नियो शुरू हुई थी. इसके बाद सेंटियागो मेट्रो और मैक्सिको सिटी मेट्रो भी शुरू हुई और फिर साल 1983 में कई शहरों में बिना ड्राइवर की रबड़ मेट्रो शुरू हुई, जिसका संचालन सफल रहा.

जिसको देखते हुए राजधानी देहरादून में भी मेट्रो नियो के संचालन के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है. मुख्य सचिव ओम प्रकाश के अनुसार पूर्व में तैयार की गई डीपीआर में कुछ संशोधन किया गया है. जिसका उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन प्रस्ताव तैयार कर जल्द ही शासन को भेजेगा, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

देहरादून: राजधानी में लंबे समय से मेट्रो चलाने की रणनीति तैयार की जा रही थी, लेकिन अभी तक दून में मेट्रो चलाने की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई, जिसके बाद मुख्य सचिव ओम प्रकाश की अध्यक्षता में हुई उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की बोर्ड बैठक में देहरादून में मेट्रो नियो चलाने पर सहमति बन गयी है. जिसका प्रस्ताव तैयार कर उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन, उत्तराखंड शासन को भेजेगा. ऐसे में अब सरकार को इसके लिए बजट की व्यवस्था करनी है.

केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने दिल्ली मेट्रो की मदद से कम लागत वाली मेट्रो नियो का प्रोजेक्ट भी तैयार किया था. लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के दस्तक के बाद यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया था. मेट्रो की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने को लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में मेट्रो नियो को लेकर तैयार की गई डीपीआर को आंशिक संशोधन के साथ पास कर दिया गया.

सामान्य मेट्रो के मुकाबले मेट्रो नियो को बनाने में काफी कम खर्च आता है. एक एलिवेटेड मेट्रो को बनाने में 300 से 350 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर का खर्च आता है और अंडरग्राउंड में यही लागत 600 से 800 करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है. जबकि मेट्रो नियो या मेट्रो लाइट के लिए 200 करोड़ तक का ही खर्च आता है. इसमें कम लागत आएगी, इसलिए इसमें यात्रियों को सस्ते सफर की सौगात भी मिलेगी. इसमें यात्रियों की क्षमता सामान्य मेट्रो से कम होगी, इसके लिए सड़क से अलग एक डेडिकेटेड कॉरिडोर तैयार किया जाएगा.

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बैठक में मेट्रो नियो के साथ ही हरिद्वार-ऋषिकेश के बीच लोकल ट्रेन संचालित किए जाने पर भी चर्चा की गई. हालांकि, मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने सरकार के निर्देश पर हरिद्वार और ऋषिकेश के बीच मुंबई की तर्ज पर लोकल ट्रेन चलाने पर काम शुरू किया है. जिसके फायदे और नुकसान को लेकर चर्चा किया गया, इसके साथ ही भविष्य की स्थितियों के मद्देनजर भी संभावनाओं पर विचार किया गया. क्योंकि हरिद्वार से ऋषिकेश के बीच लोकल ट्रेन चलाने की संभावनाओं के संबंध में रेल मंत्रालय ने सारी जानकारी मांगी है.

आपको बता दे कि साल 1966 में सबसे पहले कनाडा के मांट्रियल में दुनिया की पहली रबड़ टायर वाली मेट्रो यानी मेट्रो नियो शुरू हुई थी. इसके बाद सेंटियागो मेट्रो और मैक्सिको सिटी मेट्रो भी शुरू हुई और फिर साल 1983 में कई शहरों में बिना ड्राइवर की रबड़ मेट्रो शुरू हुई, जिसका संचालन सफल रहा.

जिसको देखते हुए राजधानी देहरादून में भी मेट्रो नियो के संचालन के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है. मुख्य सचिव ओम प्रकाश के अनुसार पूर्व में तैयार की गई डीपीआर में कुछ संशोधन किया गया है. जिसका उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन प्रस्ताव तैयार कर जल्द ही शासन को भेजेगा, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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