देहरादून: उत्तराखंड की मानसिक स्वास्थ्य नियमावली को केंद्र सरकार की हरी झंडी मिलने के बाद गुरुवार को हुई मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है. दरअसल, मानसिक स्वास्थ्य नियमावली का ड्राफ्ट तैयार किए जाने को लेकर सरकारी और गैरसरकारी, बुद्वजीवी वर्ग, समाजिक कार्यों से जुड़े लोगों की राय ली गई थी. जिसके बाद इसकी नियमावली का अंतिम ड्राफ्ट तैयार किया गया. मानसिक स्वास्थ्य नियमावली पर कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने स्वास्थ्य विभाग को टीम को बधाई दी है.
बता दें कि भारत सरकार ने साल 2017 में मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम को लागू किया था. इसके साथ ही सभी राज्यों को इस अधिनियम के तहत नीति और नियमावली बनाने के निर्देश दिए थे. इसी क्रम में साल 2019 में राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया. लेकिन इसकी नियमावली न होने के चलते प्राधिकरण काम नहीं कर पा रहा था. लिहाजा, स्वास्थ्य विभाग ने मानसिक स्वास्थ्य नियमावली का ड्राफ्ट तैयार किया और इसकी अनुमति के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव को भेजा गया.
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जिसके बाद केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी और अब धामी मंत्रिमंडल ने भी इस नियमावली को मंजूरी दे दी है. वही, स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य नियमावली को मंजूरी मिलने के बाद अब राज्य में अब नशा मुक्ति केंद्र, मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के साथ मानसिक रोग विशेषज्ञ, नर्सों, मनोचिकित्सक, सामाजिक कार्यकर्ताओं को रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होगा. हालांकि, मानसिक रोग विशेषज्ञों का निशुल्क रजिस्ट्रेशन किया जाएगा. लेकिन प्रदेश में संचालित नशा मुक्ति केंद्र या मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों को अनिवार्य रूप से प्राधिकरण में शुल्क देकर रजिस्ट्रेशन करना होगा. नियमावली के तहत एक साल के टेंपरेरी लाइसेंस के लिए दो हजार रुपए, जबकि परमानेंट रजिस्ट्रेशन के लिए 20 हजार का शुल्क देना होगा.
स्वास्थ्य संस्थाओं में इन नियमों का करना होगा पालन
- नशा मुक्ति केंद्र मानसिक रोगी को कमरे में बंधक बना कर नहीं रख सकते.
- डॉक्टर के परामर्श पर नशा मुक्ति केंद्रों में मरीज को रखा जाएगा.
- डॉक्टर के परामर्श पर मरीजों को डिस्चार्ज किया जाएगा.
- केंद्र में फीस, ठहरने, खाने का मेन्यू प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा.
- मरीजों के इलाज के लिए मनोचिकित्सक, डॉक्टर को रखना जरूरी होगा.
- केंद्र में मानसिक रोगियों के लिए खुली जगह का होना अनिवार्य होगा.
- मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड के माध्यम से जिला स्तर पर निगरानी की जाएगी.
- मानसिक रोगी को परिजनों से बात करने के लिए फोन की सुविधा.
- कमरों में एक बेड से दूसरे बेड की दूरी भी निर्धारित की गई है.
नियमों के उल्लंघन पर जेल और जुर्माने का प्रावधान - मानसिक स्वास्थ्य नियमावली के नियमों का उल्लंघन करने पर होगी कार्रवाई.
- पहली बार उल्लंघन पर 5 हजार से 50 हजार तक का जुर्माना का प्रावधान.
- दूसरी बार उल्लंघन पर दो लाख रुपए तक के जुर्माना का प्रावधान.
- बार- बार उल्लंघन पर पांच लाख रुपए तक के जुर्माना का प्रावधान.
- बिना रजिस्ट्रेशन संचालित संस्थानों पर लगेगा, 25 हजार रुपए का जुर्माना.
- अधिनियम के अधीन बनाये गये नियम के उल्लंघन पर व्यक्ति पर भी कार्रवाई का प्रावधान.
- पहली बार उल्लंघन पर छह माह की जेल या 10 हजार रुपए का जुर्माना, या फिर दोनों दंड.
- बार-बार उल्लंघन पर दो साल की जेल या 50 हजार से 5 लाख रुपए का जुर्माना, या फिर दोनों दंड.