देहरादूनः कश्मीर के लेह-लद्दाख में ग्लेशियर में फंसने के कारण बीते 5 मार्च को शहीद हुए सूर्यकांत पंवार शुकवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. रुद्रप्रयाग के जखोली बड़मा गांव के रहने वाले सूर्यकांत पंवार को तिलवाड़ा के घाट पर आईटीबीपी सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. शहीद को उनके 11 साल के बेटे अंतरिक्ष पंवार ने मुखाग्नि दी. इस दौरान सैकड़ों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए अंतिम विदाई दी.
गौर हो कि बीते 5 मार्च को जम्मू कश्मीर के लेह-लद्दाख में फंसने के कारण उनकी मौत हो गई थी. सूर्यकांत पंवार मूल रूप से रुद्रप्रयाग के जखोली बड़मा गांव के रहने वाले थे. उनके परिवार में उनकी पत्नी और एक 11 साल का बेटा है. शुक्रवार को सुबह उनका पार्थिव शरीर ऋषिकेश से उनके पैतृक गांव जखोली बड़मा में पहुंचाया गया. जहां पर ग्रामीणों ने शहीद के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए तिलवाड़ा घाट लाया गया. इस दौरान स्थानीय विधायक भरत चौधरी, जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल, एसपी अजय सिंह समेत सेना के जवानों और सैकड़ों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए अंतिम विदाई दी. जिसके बाद आईटीबीपी जवान का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.
आईटीबीपी सैन्य अधिकारी संजय प्रसाद ने जानकारी देते हुए बताया कि शहीद सूर्यकांत पंवार ने 5 मार्च को सुबह साढ़े छह बजे के करीब लेह में आर्मी अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनके पार्थिव शरीर को लेह से दिल्ली पहुंचाया गया. सड़क मार्ग से ऋषिकेश होते हुए उनके पैतृक गांव लाया गया.
शहीद के भाई शशि कुमार पंवार ने कहा कि उन्हें अपने भाई पर गर्व है. उनका भाई देश के काम आया. साथ ही कहा कि सरकार को अब सीमा पर आर-पार का फैसला लेना चाहिए जिससे और माताओं की गोद सूनी ना हो.