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ग्रेड-पे मामलाः 10 पुलिसकर्मियों ने VRS के लिए किया आवेदन, महकमे का दावा फर्जी नाम आ रहे सामने

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Published : Jan 10, 2022, 4:18 PM IST

उत्तराखंड में पुलिसकर्मियों की 4600 ग्रेड-पे नहीं बढ़ाए जाने पर पुलिस परिजनों में भारी नाराजगी है. बताया जा रहा है कि अभी तक 10 पुलिसकर्मी वीआरएस के लिए आवेदन कर चुके हैं, लेकिन पुलिस महकमे का दावा है कि ज्यादातर आवेदन फर्जी हैं. उधर, अल्मोड़ा से वीआरएस के लिए आवेदन करने वाला पुलिसकर्मी भी बैकफुट पर आ गया है.

uttarakhand police grade pay
उत्तराखंड पुलिस ग्रेड- पे मामला

देहरादूनः उत्तराखंड में पुलिसकर्मियों की 4600 ग्रेड-पे की मांग (uttarakhand police grade pay) को लेकर विरोध जारी है. मामला आचार संहिता लागू होने के बाद अधर में लटक गया है. ऐसे में पुलिस परिजनों में सरकार के खिलाफ भारी नाराजगी है. बीजेपी सरकार को खुली चुनौती देने के बाद अब कई पुलिसकर्मी समय से पहले वीआरएस के लिए आवेदन कर रहे हैं.

जानकारी के मुताबिक, चंपावत जिले से 7, अल्मोड़ा जिले से 2 और देहरादून से 1 पुलिसकर्मी ग्रेड-पे लागू न होने से आहत होकर नौकरी छोड़ने की धमकी दे चुके हैं. हालांकि, पुलिस विभाग की मानें तो इसमें अधिकांश वीआरएफ के आवेदन फर्जी हैं. क्योंकि, आवेदन पत्रों में हस्ताक्षर उन लोगों के नहीं है, जिनके नाम पर वीआरएस (voluntary retirement scheme) के आवेदन आए हैं.

ये भी पढ़ेंः ग्रेड-पे मामलाः पुलिसकर्मी ने VRS के लिए लिखा पत्र, BJP को चुनाव में सबक सिखाने की दी चेतावनी

VRS के लिए आ रहे फर्जी जवानों के नामः इतना ही नहीं सत्यापन करने पर पता चला कि देहरादून में अजय सौरियाल नाम से जिस पुलिसकर्मी का वीआरएस के लिए आवेदन पत्र आया है. इस नाम से पुलिस विभाग में कोई जवान ही नहीं है. ऐसे में वीआरएस के लिए आ रहे आवेदन में फर्जी नाम और फर्जी हस्ताक्षर सत्यापन करने पर सामने आ रहे हैं.

VRS के लिए सबसे पहले आवेदन पत्र देने वाला जवान बैकफुट में आयाः उधर, पुलिस महकमे का यह दावा भी सामने आया है कि ग्रेड- पे पर नाराजगी जताते हुए सबसे पहले अल्मोड़ा में तैनात जिस जवान ने वीआरएस का आवेदन पत्र दिया था. वो अब उसे विड्रोल करने जा रहा है. क्योंकि, इस मामले पर जब संबंधित जवान से विभागीय पूछताछ हुई तो जवान ने बताया कि यह फैसला उसने किन्हीं कारणों से दबाव में आकर लिया था. ऐसे में अब उसे विड्रोल कर रहा है.

ये भी पढ़ेंः 4600 ग्रेड-पे को लेकर पुलिसकर्मियों के परिजनों ने DGP से की मुलाकात, आचार संहिता से लग सकता 'ग्रहण'

सोशल मीडिया पर विरोध करने वाले पुलिसकर्मियों पर होगी कड़ी कार्रवाईः ईटीवी भारत को मिली जानकारी के मुताबिक, ग्रेड-पे की मांग (Policemen demand 4600 grade pay) पूरी न होने पर जो कोई आक्रोशित जवान सोशल मीडिया समेत अन्य माध्यमों से अनुशासनहीनता दिखाकर विरोध जता रहे हैं, उसके खिलाफ विभाग, जांच पड़ताल कर कड़ी कार्रवाई का मन बना रहा है.

इसके लिए राज्य के सभी 13 जनपद एसपी-एसएसपी को कड़े निर्देश दिए गए हैं कि उनके जिले में अगर अनुशासनहीनता में इस तरह के मामले आ रहे हैं तो उनके खिलाफ तत्काल जांचकर विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित की जाए. ताकि पुलिस विभाग में अनुशासन को कायम रखा जा सके.

ये भी पढ़ेंः ग्रेड-पे को लेकर बवाल जारी, पुलिसकर्मियों के परिजनों ने हरदा और प्रीतम सिंह से की मुलाकात, AAP ने भी साधा निशाना

ग्रेड-पे आंदोलन गुटों में दो फाड़ः उधर, जानकारी है कि 4600 ग्रेड-पे पर मांग को लेकर अब पुलिस परिजनों के गुटों में भी दो फाड़ हुआ है. बताया जा रहा है कि अलग-अलग जनपदों से संबंधित पुलिसकर्मियों के आंदोलनकारी परिजनों में दो राय बन रही है. एक गुट ग्रेड-पे की मांग पूरी न होने को फिलहाल चुनाव आचार संहिता के दृष्टिगत आगे नहीं बढ़ाना चाहता है, क्योंकि उनको विभागीय अनुशासनहीनता में कार्रवाई का डर सता रहा है.

वहीं, दूसरा धड़ा बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनाव में सबक सिखाने की चेतावनी दे रहा है. साथ ही कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक पार्टियों को समर्थन देते हुए अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपता जा रहा है. ऐसे में पुलिस परिजनों में दो फाड़ की बातें भी सामने आ रही हैं.

पुलिसकर्मियों के ग्रेड-पे को मिली थी मुख्यमंत्री की मंजूरीः बता दें कि साल 2001 और 2002 में भर्ती हुए पुलिस जवानों के 4600 ग्रेड-पे का (uttarakhand police grade pay) मामला शासन स्तर पर लंबित है. राज्य सरकार से इस मामले में 20 वर्ष से अधिक सेवाकाल पूरा कर चुके संबंधित पुलिसकर्मियों को 4600 ग्रेड-पे की जगह 2800 ग्रेड-पे देने की बात सामने आई थी. शासन के इस निर्णय के खिलाफ करीब 3000 से ज्यादा संबंधित पुलिसकर्मी के परिजन सड़कों पर उतरे और धरना-प्रदर्शन किया.

ये भी पढ़ेंः CM की घोषणा के बाद भी पूरी नहीं हुई पुलिसकर्मियों की ग्रेड-पे की मांग, मिलेगा दो-दो लाख एकमुश्त रकम

हालांकि, इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 21 अक्टूबर को देहरादून पुलिस लाइन में आयोजित 'पुलिस स्मृति दिवस' कार्यक्रम मंच से पुलिसकर्मियों की 4600 ग्रेड-पे की मांग को मंजूरी देते हुए इसकी घोषणा सार्वजनिक तौर पर की थी, लेकिन घोषणा के बावजूद अभी तक 4600 ग्रेड-पे पर शासनादेश जारी नहीं हुआ. अब आचार संहिता भी लग गई.

चुनाव आचार संहिता से ठीक पहले दो-दो लाख रुपए देने का शासनादेश जारीः उत्तराखंड पुलिस ग्रेड-पे का मामला मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद आखिरकार धड़ाम हो गया. सरकार की ओर से इस मामले में तमाम जद्दोजहद के बाद 8 जनवरी को चुनाव आचार संहिता से ठीक पहले ग्रेड-पे से संबंधित पुलिसकर्मियों को झुनझुना पकड़ाते हुए मात्र एकमुश्त दो-दो लाख रुपए देने का शासनादेश जारी कर दिया है. यानी अब पुलिसकर्मियों को 4600 ग्रेड-पे नहीं मिलेगा.

देहरादूनः उत्तराखंड में पुलिसकर्मियों की 4600 ग्रेड-पे की मांग (uttarakhand police grade pay) को लेकर विरोध जारी है. मामला आचार संहिता लागू होने के बाद अधर में लटक गया है. ऐसे में पुलिस परिजनों में सरकार के खिलाफ भारी नाराजगी है. बीजेपी सरकार को खुली चुनौती देने के बाद अब कई पुलिसकर्मी समय से पहले वीआरएस के लिए आवेदन कर रहे हैं.

जानकारी के मुताबिक, चंपावत जिले से 7, अल्मोड़ा जिले से 2 और देहरादून से 1 पुलिसकर्मी ग्रेड-पे लागू न होने से आहत होकर नौकरी छोड़ने की धमकी दे चुके हैं. हालांकि, पुलिस विभाग की मानें तो इसमें अधिकांश वीआरएफ के आवेदन फर्जी हैं. क्योंकि, आवेदन पत्रों में हस्ताक्षर उन लोगों के नहीं है, जिनके नाम पर वीआरएस (voluntary retirement scheme) के आवेदन आए हैं.

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VRS के लिए आ रहे फर्जी जवानों के नामः इतना ही नहीं सत्यापन करने पर पता चला कि देहरादून में अजय सौरियाल नाम से जिस पुलिसकर्मी का वीआरएस के लिए आवेदन पत्र आया है. इस नाम से पुलिस विभाग में कोई जवान ही नहीं है. ऐसे में वीआरएस के लिए आ रहे आवेदन में फर्जी नाम और फर्जी हस्ताक्षर सत्यापन करने पर सामने आ रहे हैं.

VRS के लिए सबसे पहले आवेदन पत्र देने वाला जवान बैकफुट में आयाः उधर, पुलिस महकमे का यह दावा भी सामने आया है कि ग्रेड- पे पर नाराजगी जताते हुए सबसे पहले अल्मोड़ा में तैनात जिस जवान ने वीआरएस का आवेदन पत्र दिया था. वो अब उसे विड्रोल करने जा रहा है. क्योंकि, इस मामले पर जब संबंधित जवान से विभागीय पूछताछ हुई तो जवान ने बताया कि यह फैसला उसने किन्हीं कारणों से दबाव में आकर लिया था. ऐसे में अब उसे विड्रोल कर रहा है.

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सोशल मीडिया पर विरोध करने वाले पुलिसकर्मियों पर होगी कड़ी कार्रवाईः ईटीवी भारत को मिली जानकारी के मुताबिक, ग्रेड-पे की मांग (Policemen demand 4600 grade pay) पूरी न होने पर जो कोई आक्रोशित जवान सोशल मीडिया समेत अन्य माध्यमों से अनुशासनहीनता दिखाकर विरोध जता रहे हैं, उसके खिलाफ विभाग, जांच पड़ताल कर कड़ी कार्रवाई का मन बना रहा है.

इसके लिए राज्य के सभी 13 जनपद एसपी-एसएसपी को कड़े निर्देश दिए गए हैं कि उनके जिले में अगर अनुशासनहीनता में इस तरह के मामले आ रहे हैं तो उनके खिलाफ तत्काल जांचकर विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित की जाए. ताकि पुलिस विभाग में अनुशासन को कायम रखा जा सके.

ये भी पढ़ेंः ग्रेड-पे को लेकर बवाल जारी, पुलिसकर्मियों के परिजनों ने हरदा और प्रीतम सिंह से की मुलाकात, AAP ने भी साधा निशाना

ग्रेड-पे आंदोलन गुटों में दो फाड़ः उधर, जानकारी है कि 4600 ग्रेड-पे पर मांग को लेकर अब पुलिस परिजनों के गुटों में भी दो फाड़ हुआ है. बताया जा रहा है कि अलग-अलग जनपदों से संबंधित पुलिसकर्मियों के आंदोलनकारी परिजनों में दो राय बन रही है. एक गुट ग्रेड-पे की मांग पूरी न होने को फिलहाल चुनाव आचार संहिता के दृष्टिगत आगे नहीं बढ़ाना चाहता है, क्योंकि उनको विभागीय अनुशासनहीनता में कार्रवाई का डर सता रहा है.

वहीं, दूसरा धड़ा बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनाव में सबक सिखाने की चेतावनी दे रहा है. साथ ही कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक पार्टियों को समर्थन देते हुए अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपता जा रहा है. ऐसे में पुलिस परिजनों में दो फाड़ की बातें भी सामने आ रही हैं.

पुलिसकर्मियों के ग्रेड-पे को मिली थी मुख्यमंत्री की मंजूरीः बता दें कि साल 2001 और 2002 में भर्ती हुए पुलिस जवानों के 4600 ग्रेड-पे का (uttarakhand police grade pay) मामला शासन स्तर पर लंबित है. राज्य सरकार से इस मामले में 20 वर्ष से अधिक सेवाकाल पूरा कर चुके संबंधित पुलिसकर्मियों को 4600 ग्रेड-पे की जगह 2800 ग्रेड-पे देने की बात सामने आई थी. शासन के इस निर्णय के खिलाफ करीब 3000 से ज्यादा संबंधित पुलिसकर्मी के परिजन सड़कों पर उतरे और धरना-प्रदर्शन किया.

ये भी पढ़ेंः CM की घोषणा के बाद भी पूरी नहीं हुई पुलिसकर्मियों की ग्रेड-पे की मांग, मिलेगा दो-दो लाख एकमुश्त रकम

हालांकि, इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 21 अक्टूबर को देहरादून पुलिस लाइन में आयोजित 'पुलिस स्मृति दिवस' कार्यक्रम मंच से पुलिसकर्मियों की 4600 ग्रेड-पे की मांग को मंजूरी देते हुए इसकी घोषणा सार्वजनिक तौर पर की थी, लेकिन घोषणा के बावजूद अभी तक 4600 ग्रेड-पे पर शासनादेश जारी नहीं हुआ. अब आचार संहिता भी लग गई.

चुनाव आचार संहिता से ठीक पहले दो-दो लाख रुपए देने का शासनादेश जारीः उत्तराखंड पुलिस ग्रेड-पे का मामला मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद आखिरकार धड़ाम हो गया. सरकार की ओर से इस मामले में तमाम जद्दोजहद के बाद 8 जनवरी को चुनाव आचार संहिता से ठीक पहले ग्रेड-पे से संबंधित पुलिसकर्मियों को झुनझुना पकड़ाते हुए मात्र एकमुश्त दो-दो लाख रुपए देने का शासनादेश जारी कर दिया है. यानी अब पुलिसकर्मियों को 4600 ग्रेड-पे नहीं मिलेगा.

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