देहरादून: उत्तराखंड ही नहीं देश भर के ऐसे कई राज्य हैं, जहां इस बार डेयरी सेक्टर बेहद खराब हालातों से गुजर रहा है. स्थिति यह है कि पिछले 2 सालों के दौरान कई डेयरियां बंद होने की कगार पर आई हैं. कई डेयरी संचालकों ने अपने काम को सीमित किया है. जानिए वो कौन सी चुनौतियां हैं जिनके कारण ये सेक्टर बेहद प्रभावित हो रहा है.
उत्तराखंड में दुग्ध उत्पादन बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है. यही स्थिति देश के दूसरे राज्यों में भी दिखाई दी है. इसकी वजह डेयरी सेक्टर पर आई वह परेशानियां हैं जिनके कारण डेयरी संचालकों के लिए इस व्यवसाय को आगे बढ़ाना बेहद मुश्किल होता जा रहा है. दरअसल, डेयरी सेक्टर दूसरे व्यवसायियों की तरह ही सबसे पहले कोरोना काल के दौरान प्रभावित हुआ. इस दौरान संचालकों के लिए डेयरी संचालित करना काफी मुश्किल हो गया था. हालांकि, लॉकडाउन खत्म होने और कोरोना का प्रभाव कम होने के बाद एक बार फिर डेयरी संचालकों को नई उम्मीद जगी, लेकिन इसके बाद एक नई चुनौती ने इन संचालकों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी.
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बता दें कि डेयरी संचालक लंपी वायरस की दस्तक के साथ ही बेहद ज्यादा प्रभावित हुए. इसका ज्यादा प्रभाव उत्तराखंड के हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिलों पर ही पड़ा. बाकी जिलों में एहतियात के चलते नुकसान होने से बचाया जा सका. इस दौरान भी डेयरी सेक्टर काफी हद तक प्रभावित हुआ. इस सेक्टर के लिए तीसरी मुसीबत भूसा और चारे के महंगा होने के रूप में आई. शायद यही कारण है कि देहरादून जिले में ही ऐसी कई डेयरी हैं, जिन्हें महंगाई के चलते संचालकों को बंद करना पड़ा. डेयरी संचालक पैकेट वाले दूध के बेहद सस्ता होने और दूध के दाम न बढ़ने के कारण भी चुनौती का सामना कर रहे हैं. इस सीजन में भूसे के दाम करीब दोगुने होने से भी दिक्कतें बढ़ी हैं. इसके अलावा दुधारू पशुओं के रखरखाव और खाने पीने से जुड़ी दूसरी चीजों के भी महंगा होने से इस कारोबार को करना काफी मुश्किल हुआ है.
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डेयरी संचालकों की इस परेशानी को दुग्ध विकास विभाग भी जानता है. हालांकि, यह व्यवसाय केवल उत्तराखंड में ही करना मुश्किल नहीं हुआ है, बल्कि महंगाई की मार देश के तमाम राज्यों पर पड़ी है. जिसके कारण उन राज्यों में भी डेयरी चलाना मुश्किल हुआ है. इन स्थितियों को समझते हुए राज्य सरकार की तरफ से भूसा खरीद में सब्सिडी देने समेत डेयरी संचालकों को रियायत देने की कोशिश की गई. जिससे डेयरी संचालकों को भविष्य में कितना फायदा मिलेगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.