हैदराबाद: हिंदू सनातन धर्म में सभी देवी-देवताओं का अपना विशेष महत्व है. बात अगर देवियों की करें तो सबसे पहले मां दुर्गा का नाम आता है. मां दुर्गा को शक्ति के रूप में जाना जाता है. साल में चार बार ऐसे मौके आते हैं, जब इनकी विशेष रूप से आराधना की जाती है. हम बात कर रहे हैं नवरात्रि की. दो नवरात्रि तो सभी लोग जानते हैं. चैत्र यानी अप्रैल और दूसरा वासंतिक यानी अक्टूबर में पड़ते हैं. इनके अलावा दो बार और भी नवरात्रि आती हैं, जिन्हें गुप्त नवरात्रि कहते हैं. आइये इस खबर के माध्यम से जानते हैं कब से हो रही है शुरुआत.
लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र के मुताबिक माघ और आषाढ़ में भी नवरात्रि आती है, जिन्हें हम गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है. इन दिनों मां की आराधना गुप्त तरीके से की जाती है. इस बार माघ के गुप्त नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार 30 जनवरी से हो रही है, जो 7 फरवरी तक चलेंगे.
इस समय लगेगी प्रतिप्रदा
ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि पंचांग के मुताबिक माघ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा तिथि की शुरुआत 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर हो रही है, लेकिन उदयातिथि के चलते इसे 30 जनवरी से माना जाएगा, जो शाम 4 बजकर 10 मिनट तक जारी रहेगी. वहीं, इसका समापन 7 फरवरी 2025 को होगा.
जानिए क्या है अंतर
उन्होंने बताया कि सामान्यत: दोनों नवरात्रि की पूजा-विधि समान होती है, लेकिन गुप्त नवरात्रि में केवल तांत्रिक पूजा की जाती है. इसका बखान नहीं किया जाता. इसे गुप्त तरीके से किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि पूजा जितनी गुप्त रखी जाएगी उसके परिणाम उतने ही सफल होंगे.
जानें पूजा विधि
डॉ. उमाशंकर मिश्र ने जानकारी दी कि गुप्त नवरात्रि 2025 में भी कलश स्थापना की जाती है. दोनों समय मां के समक्ष दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है. सबसे पहले घी का एक दीपक प्रज्जवलित किया जाना चाहिए, उसके बाद विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस दौरान सात्विकता बरतनी चाहिए. मां को इलायची, लौंग और लाल फूल अर्पित करने चाहिए, पूरे नौ दिन मांस, मदिरा और सात्विक भोजन बनाना चाहिए.
शत्रुओं को परास्त करने के लिए ये करें
गुप्त नवरात्रि 2025 में शुभ संकल्पों को पोषित करने, रक्षित करने, मनोवांछित सिद्धियां प्राप्त करने के लिए और शत्रुओं को मित्र बनाने वाले मंत्र की सिद्धि का योग होता है. नवरात्रि में स्नानादि से निवृत्त हो तिलक लगाके एवं दीपक जलाकर यदि कोई बीज मंत्र 'हूं' अथवा 'अं रां अं' (Am Raam Am) मंत्र की इक्कीस माला जप करे एवं 'श्री गुरुगीता' का पाठ करे तो शत्रु भी उसके मित्र बन जायेंगे.
माताओं बहनों के लिए विशेष कष्ट निवारण के लिए यह करें
- जिन माताओं बहनों को दुःख और कष्ट ज्यादा सताते हैं, वे नवरात्रि के प्रथम दिन (देवी-स्थापना के दिन) दिया जलायें और कुम-कुम से अशोक वृक्ष की पूजा करें और यह मंत्र बोलें -'अशोक शोक शमनो भव सर्वत्र नः कुले'. भविष्योत्तर पुराण के अनुसार नवरात्रि के प्रथम दिन इस तरह पूजा करने से माताओ-बहनों के कष्टों का जल्दी निवारण होता है.
- दूसरा प्रयोग
माघ मास शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन में सिर्फ बिना नमक मिर्च का भोजन करें. (जैसे दूध, रोटी या खीर खा सकते हैं.) - ॐ ह्रीं गौरये नमः का जाप करें
मंत्र का जप करते हुए उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्वयं को कुमकुम का तिलक करें. गाय को चन्दन का तिलक करके गुड़ ओर रोटी खिलाएं. - श्रेष्ठ अर्थ (धन) की प्राप्ति के लिए
नवरात्रि में देवी के एक विशेष मंत्र का जप करने से श्रेष्ठ अर्थ कि प्राप्ति होती है.
'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमल-वासिन्ये स्वाह्' - विद्यार्थियों के लिए
प्रथम नवरात्रि के दिन विद्यार्थी अपनी पुस्तकों को ईशान कोण में रख कर पूजन करें और नवरात्रि के तीसरे तीन दिन विद्यार्थी सारस्वत्य मंत्र का जप करें. इससे उन्हें विद्या प्राप्ति में अपार सफलता मिलती है. बुद्धि व ज्ञान का विकास करना हो तो सूर्यदेवता का भ्रूमध्य में ध्यान करें. जिनको गुरुमंत्र मिला है वे गुरुमंत्र का, गुरुदेव का, सूर्यनारायण का ध्यान करें. इस सरल मंत्र की एक-दो माला नवरात्रि में अवश्य करें और लाभ लें.