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राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पहुंचे सवॉय होटल, जानिए इस होटल का इतिहास

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी मसूरी के सवॉय होटल पहुंचे. जहां होटल के मालिक किशोर कुमार काया ने उन्हें सवॉय होटल पर बनी डॉक्यूमेंट्री दिखाई और एक किताब भी भेंट की.

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पहुंचे सवॉय होटल
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पहुंचे सवॉय होटल
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Published : Feb 12, 2021, 10:58 PM IST

Updated : Feb 13, 2021, 12:21 PM IST

मसूरी: ऐतिहासिक सवॉय होटल के स्वामी किशोर कुमार काया ने बताया कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी उनके होटल में अपने निजी दौरे पर आए थे. जहां पर उन्होंने होटल के इतिहास को लेकर उनको एक किताब भेंट की. वहीं, होटल के इतिहास पर बनी डॉक्यूमेंट्री भी उनको दिखाई गई.

मसूरी सवॉय होटल.

उन्होंने कहा कि सवॉय होटल का अपना इतिहास है. सवॉय होटल 1902 में बनकर तैयार हुआ था. यह देश के हिल स्टेशन का सबसे पहला होटल हुआ करता था, जहां पर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री सहित कई बड़े नेता आ चुके हैं. आज भी उत्तराखंड के साथ देश-विदेश के बड़े नेता, अधिकारी, रजवाड़े सहित कई लोग इस होटल में आते हैं.

ये भी पढ़ें: चमोली आपदा: मदद को आगे आया पतंजलि योगपीठ, अनाथ बच्चों का उठाएगा जिम्मा

किशोर कुमार ने कहा कि जब उनके द्वारा इस होटल को खरीदा गया तो होटल की हालत काफी खराब थी. इसको ठीक करने के लिए उनको 10 साल से भी ज्यादा का समय लग गया. उन्होंने कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य होटल के मूल स्वरूप को संरक्षित करने के साथ ही आधुनिक रूप से विकसित करना था. जिसमें वह कामयाब भी हुए. वहीं इसके रिनोवेशन में काफी पैसा खर्च हुआ. आज होटल को पुराने स्वरूप में देखा जा सकता है.

सवॉय होटल के इतिहास पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बनवायी गई है. वहीं, एक किताब सवॉय सागा ऑफ एन आइकन भी तैयार की गई है. जिसको किशोर कुमार ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भी भेंट किया. किशोर कुमार काया ने बताया कि राज्यपाल द्वारा महाराष्ट्र जाने के बाद सवॉय होटल को राजभवन से एक प्रशस्ति पत्र भी देंगे.

सवॉय होटल का इतिहास

सवॉय दरअसल 19वीं शताब्दी का एक स्कूल था. जिसका नाम बदलकर मेडॉक स्कूल रख दिया गया था. जिसके बाद 1902 में जर्जर हो चुकी स्कूल की इमारत को लंदन के मशहूर होटल सवॉय की तर्ज पर बनाया गया. इस होटल में 121 कमरे, बॉल रूम, आलीशान पार्क, गार्डन, टेनिस कोर्ट मौजूद था.

अंग्रेज बड़ी संख्या में यहां पहुंचकर प्रकृति का आनंद लेते थे. इतिहास की मानें तो दूसरे विश्व युद्ध के वक्त सेवॉय अमेरिका और ब्रिटिश फौजियों का ठिकाना था. लेकिन बदलते समय के साथ-साथ इस होटल की लोकप्रियता भी कम होती गई. रही सही कसर इस होटल में हुई एक ब्रिटिश महिला की हत्या ने पूरी कर दी. जिसके बाद से सवॉय एक हॉन्टेड होटल के रूप में जाना जाने लगा.

लेकिन कहते हैं न कि वर्षों आबाद रहने वाली इमारत को वीरानी की आदत एकदम से नहीं होती. लिहाजा आज भी सवॉय में पर्यटकों की हलचल देखी जा सकती है. तथाकथित तौर पर हॉन्टेड होने के बावजूद भी सवॉय की कशिश होटल प्रेमियों को अपनी और खींचती है. जिसके कारण आज भी ये होटल मसूरी में एक अलग पहचान रखता है.

मसूरी: ऐतिहासिक सवॉय होटल के स्वामी किशोर कुमार काया ने बताया कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी उनके होटल में अपने निजी दौरे पर आए थे. जहां पर उन्होंने होटल के इतिहास को लेकर उनको एक किताब भेंट की. वहीं, होटल के इतिहास पर बनी डॉक्यूमेंट्री भी उनको दिखाई गई.

मसूरी सवॉय होटल.

उन्होंने कहा कि सवॉय होटल का अपना इतिहास है. सवॉय होटल 1902 में बनकर तैयार हुआ था. यह देश के हिल स्टेशन का सबसे पहला होटल हुआ करता था, जहां पर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री सहित कई बड़े नेता आ चुके हैं. आज भी उत्तराखंड के साथ देश-विदेश के बड़े नेता, अधिकारी, रजवाड़े सहित कई लोग इस होटल में आते हैं.

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किशोर कुमार ने कहा कि जब उनके द्वारा इस होटल को खरीदा गया तो होटल की हालत काफी खराब थी. इसको ठीक करने के लिए उनको 10 साल से भी ज्यादा का समय लग गया. उन्होंने कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य होटल के मूल स्वरूप को संरक्षित करने के साथ ही आधुनिक रूप से विकसित करना था. जिसमें वह कामयाब भी हुए. वहीं इसके रिनोवेशन में काफी पैसा खर्च हुआ. आज होटल को पुराने स्वरूप में देखा जा सकता है.

सवॉय होटल के इतिहास पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बनवायी गई है. वहीं, एक किताब सवॉय सागा ऑफ एन आइकन भी तैयार की गई है. जिसको किशोर कुमार ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भी भेंट किया. किशोर कुमार काया ने बताया कि राज्यपाल द्वारा महाराष्ट्र जाने के बाद सवॉय होटल को राजभवन से एक प्रशस्ति पत्र भी देंगे.

सवॉय होटल का इतिहास

सवॉय दरअसल 19वीं शताब्दी का एक स्कूल था. जिसका नाम बदलकर मेडॉक स्कूल रख दिया गया था. जिसके बाद 1902 में जर्जर हो चुकी स्कूल की इमारत को लंदन के मशहूर होटल सवॉय की तर्ज पर बनाया गया. इस होटल में 121 कमरे, बॉल रूम, आलीशान पार्क, गार्डन, टेनिस कोर्ट मौजूद था.

अंग्रेज बड़ी संख्या में यहां पहुंचकर प्रकृति का आनंद लेते थे. इतिहास की मानें तो दूसरे विश्व युद्ध के वक्त सेवॉय अमेरिका और ब्रिटिश फौजियों का ठिकाना था. लेकिन बदलते समय के साथ-साथ इस होटल की लोकप्रियता भी कम होती गई. रही सही कसर इस होटल में हुई एक ब्रिटिश महिला की हत्या ने पूरी कर दी. जिसके बाद से सवॉय एक हॉन्टेड होटल के रूप में जाना जाने लगा.

लेकिन कहते हैं न कि वर्षों आबाद रहने वाली इमारत को वीरानी की आदत एकदम से नहीं होती. लिहाजा आज भी सवॉय में पर्यटकों की हलचल देखी जा सकती है. तथाकथित तौर पर हॉन्टेड होने के बावजूद भी सवॉय की कशिश होटल प्रेमियों को अपनी और खींचती है. जिसके कारण आज भी ये होटल मसूरी में एक अलग पहचान रखता है.

Last Updated : Feb 13, 2021, 12:21 PM IST
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