देहरादून: उत्तराखंड में जनता ने फिर से बीजेपी को चुना है. हालांकि, इस दफा प्रचंड जीत को नहीं मिली लेकिन पूर्ण बहुमत के साथ उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी को 70 में 47 सीटें मिली हैं. वहीं, पिछले चुनाव के मुकाबले 8 सीटों की बढ़त दर्ज कर कांग्रेस 19 सीटों पर सिमट कर रह गई है. कुल मिलाकर देखा जाए तो इस बार का चुनाव काफी रोचक रहा है. इस चुनाव में जहां कई दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा तो कुछ ने रिकॉर्ड तोड़ वोटों से जीत हासिल की. इसके अलावा कुछ सीटों पर जीत-हार का अंतर नाममात्र का रहा. ऐसे ही कुछ दिलचस्प सीटों और प्रत्याशियों के बारे में आपको बताते हैं.
विधानसभा चुनाव 2022 की मतगणना के दिन कुछ विधानसभा सीटें ऐसी रहीं जहां वोटों की गिनती शुरू होते ही एकतरफा परिणाम दिखाई देने लगे. कुछ सीटें ऐसी भी थीं, जहां प्रत्याशियों को बीच जोरदार टक्कर देखने को मिली. इन सीटों पर अंतिम समय तक भी प्रत्याशियों की सांसें अटकी हुई थीं. सबसे पहले बात करते हैं, उत्तराखंड चुनाव 2022 में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले प्रत्याशियों की.
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उमेश शर्मा काऊ: उत्तराखंड चुनाव 2022 में देहरादून जिले की रायपुर विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी उमेश शर्मा काऊ 30,052 वोट से जीते हैं. उन्होंने कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट को हराया है. ये प्रदेशभर में सबसे अधिक मार्जिन से जीत है. बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भी उमेश शर्मा काऊ से सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले प्रत्याशी रहे थे.
वहीं, लगातार दूसरे चुनाव में अपनी रिकॉर्ड जीत पर रायपुर विधानसभा सीट से निर्वाचित भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि अब अगले 5 साल का उनका रोड मैप उनकी विधानसभा क्षेत्र में पर्यटक स्थलों को विकासकारी योजनाओं से बेहतर कर बेरोजगारों को रोजगार से जोड़ने का है, क्योंकि हर किसी को सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती लेकिन बेहतर अवसर पैदा कर स्वरोजगार से जरूर जोड़ा जा सकता है.
काऊ ने कहा कि उत्तराखंड में पहली बार ऐसा हुआ जब दूसरी बार कोई पार्टी भारी बहुमत से सत्ता में वापस आए. अब सरकार का बहुत बड़ा ध्यान राज्य के सीमांत इलाकों से होने वाला पलायन को रोकना है, ताकि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं में सुरक्षा प्रहरी के रूप में सिमटने वाले गांवों विकास कारी योजनाओं और मूलभूत सुविधाओं से लैस कर रोका जा सके. इतना ही नहीं, दुर्गम और अति दुर्गम इलाकों से पलायन होने वाले गांव को रोजगार और शिक्षा स्वास्थ्य जैसी अन्य मूलभूत सुविधाओं से जोड़कर बेहतर करना उनकी सरकार का महत्वपूर्ण कदम रहेगा. विधायक शर्मा के मुताबिक, पहाड़ों पर सड़कें व यातायात के संसाधन को बेहतर करना भी उनकी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है, ताकि आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके.
बीजेपी ने बनाया जीत का रिकॉर्ड: प्रदेश में दूसरे नंबर पर सबसे बड़ी जीत देहरादून जिले की डोईवाला सीट से बीजेपी प्रत्याशी बृज भूषण गैरोला में हासिल की है. उन्होंने कांग्रेस के गौरव चौधरी को 29,021 वोटों से पराजित किया. बड़े अंतर के जीत हासिल करने वालों में तीसरे नंबर पर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत है. बंशीधर भगत ने कांग्रेस प्रत्याशी महेश शर्मा को 23,931 वोटों से हराया है. बंशीधर भगत नैनीताल जिले की कालाढूंगी विधानसभा सीट से प्रत्याशी थे.
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यहां आखिरी समय तक हुई फाइट: इसके साथ ही हम आपको उन सीटों के बारे में भी जानकारी देते हैं, जहां मतगणना के दिन आखिर समय तक प्रतिद्वंदी प्रत्याशियों की सांसें अटकी रहीं, क्योंकि यहां पर मुकालब नेक-टू-नेक था. इन सीटों पर हार-जीत का फैसला 500 वोट के अंदर ही हुआ है. सबसे कम मार्जिन से जीतने वाले प्रत्याशियों में पहला नंबर है, कांग्रेस के प्रत्याशी मनोज तिवारी का. अल्मोड़ा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी मनोज तिवारी का सीधा मुकाबला बीजेपी के कैलाश शर्मा से था. कांग्रेस के मनोज तिवारी मात्र 127 वोटों से जीते है. इसी तरह के दूसरे प्रत्याशी की बात करें तो वह है कांग्रेस के मदन बिष्ट की. अल्मोड़ा जिले की द्वाराहाट विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मदन बिष्ट ने बीजेपी को अनिल सिंह शाही को महज 182 वोटों से हराया है.
तीसरे नंबर पर बहुत कम अंतरों से जीतने वाले प्रत्याशी में बीजेपी के कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत का नाम आता है. धन सिंह रावत ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को केवल 587 वोट से हराया है. धन सिंह रावत पौड़ी जिले की श्रीनगर विधानसभा सीट से मैदान में थे. बहुत कम अंतरों से जीत दर्ज कराने वालों में हरिद्वार जिले की मंगलौर सीट से बसपा के सरवत करीम अंसारी का भी नाम है. सरवत करीम अंसारी ने कांग्रेस के बड़े नेता काजी निजामुद्दीन को 598 वोटों से हराया है.
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जीत और हार का आकलन करें तो यह साफ है कि सबसे बड़े अंतर से चुनाव हराने वाले प्रत्याशी भाजपा के ही रहे. हालांकि जिन सीटों पर कड़ा मुकाबला रहा उनमें कुछ सीटें भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई वाली थी तो कहीं पर बसपा और कांग्रेस की टक्कर दिखाई दी.