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उत्तराखंड की इस जेल में कैद हैं आदमखोर गुलदार, काट रहे 'गुनाहों' की सजा

चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर में इस समय 7 आदमखोर गुलदार बंद है. यहां उत्तराखंड के रिहायशी इलाकों से पकड़े गए गुलदारों को रखा गया है, जो कई लोगों को अपना शिकार बना चुके है.

आदमखोर गुलदार
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Published : Jul 29, 2019, 8:39 PM IST

देहरादूनः समाज में सभी को शांति और सुरक्षा का एहसास हो इसी के लिए विधि निर्माताओं ने कानून बनाया. कानून के तहत ही सजा का प्रावधान भी रखा गया. जहां कानून का पालन न हो उस जगह को जंगलराज की संज्ञा दी जाती है. क्योंकि जंगल ही एक जगह है, जहां जानवरों के लिए कोई कायदे-कानून नहीं होते. लेकिन उत्तराखंड में एक जगह ऐसी भी है जहां गुनाह करने पर सजा दी जाती है और जेल भी जाना पड़ता है.

आप सोच रहे होंगे भला ये कैसे हो सकता है, लेकिन ये सच है. उत्तराखंड के चिड़ियापुर रेंज में सालों से बंद है 7 आदमखोर गुलदार. उत्तराखंड में करीब 35 हेक्टेयर में फैला वन विभाग का चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर घायल जानवरों के उपचार के लिए बनाया गया था. लेकिन अब इसमें पिछले कई सालों से 7 आदमखोर गुलदार कैद हैं.

'गुनाहों' की सजा काट रहे आदमखोर गुलदार

पढ़ें- 2 वर्षों से नहीं मिली एससी-एसटी छात्रों को छात्रवृत्ति, कैसे करें पढ़ाई, सता रही चिंता

नजीबाबाद रोड पर बना चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर इस समय 7 आदमखोर गुलदारों के लिए जेल बना हुआ है, जहां ये गुलदार सालों से बंद है. क्योंकि ये इंसानों के कतल के दोषी है. इसलिए ये जंगल में नहीं पिंजरों में कैद हैं. यही इनका अब स्थायी निवास है. यहां से ये कभी जंगल नहीं जा सकते हैं.

इन गुलदारों का एक समय में उत्तराखंड में आंतक हुआ करता था. इस वक्त यहा नंदू, बाबू, ममता और हिना जैसे खूंखार आदमखोर कैद हैं.

मंगलवार को रहता है उपवास
खास बात ये है कि मंगलवार को यहां कैद गुलदारों का उपवास रहता है. ये दिन में 3 किलो मीट खाते हैं. इनकी देख रेख में 7 लोग हमेशा तैनात रहते हैं. गुलदारों को लिए पहले मीट यूपी के सहारनपुर जिले से लाया जाता था, लेकिन अब इनका खाना आसपास के इलाकों से ही आता है.

पढ़ें- कांग्रेस ने हिमालयन कॉन्क्लेव को बताया फेल, कहा- हिमालयी राज्यों को नहीं होगा कोई फायदा

इस बाड़े में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र है पौड़ी से लायी गई मादा गुलदार. जिसने ना जाने कितने लोगों को अपना शिकार बनाया होगा, लेकिन अब इसके व्यवहार में काफी बदलाव आ गया है. अब ये मादा गुलदार पुरे स्टाफ के साथ बहुत खुश रहती है. उनके बुलाने पर उनके पास जाती है.

पढ़ें- मुस्लिम दोस्तों के साथ कांवड़ लेने बाइक से निकला था युवक, हादसे में हुई मौत

हरिद्वार के डीएफओ आकाश खुद इन खूंखार कैदियों का पूरा ब्योरा रखते हैं. कौन किस हालत में है इस पर हमेशा निगाह रखी जाती है. गुलदारों को किसी चीज की कमी न हो इस बात का भी ध्यान रखा जाता है. डीएफओ ने बताया कि इन गुलदारों को बहार छोड़ना संभव नहीं है. हालांकि कुछ के दांत भी गिर गए हैं और वो बाहर शिकार नहीं कर सकते हैं. बावजूद उन्हें बाहर नहीं छोड़ा जा सकता है. 7 में से चार आदमखोर जो कभी भी इंसानों पर हमला कर सकते हैं. इसलिए इनकों यहीं देख रेख में रखा गया है.

देहरादूनः समाज में सभी को शांति और सुरक्षा का एहसास हो इसी के लिए विधि निर्माताओं ने कानून बनाया. कानून के तहत ही सजा का प्रावधान भी रखा गया. जहां कानून का पालन न हो उस जगह को जंगलराज की संज्ञा दी जाती है. क्योंकि जंगल ही एक जगह है, जहां जानवरों के लिए कोई कायदे-कानून नहीं होते. लेकिन उत्तराखंड में एक जगह ऐसी भी है जहां गुनाह करने पर सजा दी जाती है और जेल भी जाना पड़ता है.

आप सोच रहे होंगे भला ये कैसे हो सकता है, लेकिन ये सच है. उत्तराखंड के चिड़ियापुर रेंज में सालों से बंद है 7 आदमखोर गुलदार. उत्तराखंड में करीब 35 हेक्टेयर में फैला वन विभाग का चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर घायल जानवरों के उपचार के लिए बनाया गया था. लेकिन अब इसमें पिछले कई सालों से 7 आदमखोर गुलदार कैद हैं.

'गुनाहों' की सजा काट रहे आदमखोर गुलदार

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नजीबाबाद रोड पर बना चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर इस समय 7 आदमखोर गुलदारों के लिए जेल बना हुआ है, जहां ये गुलदार सालों से बंद है. क्योंकि ये इंसानों के कतल के दोषी है. इसलिए ये जंगल में नहीं पिंजरों में कैद हैं. यही इनका अब स्थायी निवास है. यहां से ये कभी जंगल नहीं जा सकते हैं.

इन गुलदारों का एक समय में उत्तराखंड में आंतक हुआ करता था. इस वक्त यहा नंदू, बाबू, ममता और हिना जैसे खूंखार आदमखोर कैद हैं.

मंगलवार को रहता है उपवास
खास बात ये है कि मंगलवार को यहां कैद गुलदारों का उपवास रहता है. ये दिन में 3 किलो मीट खाते हैं. इनकी देख रेख में 7 लोग हमेशा तैनात रहते हैं. गुलदारों को लिए पहले मीट यूपी के सहारनपुर जिले से लाया जाता था, लेकिन अब इनका खाना आसपास के इलाकों से ही आता है.

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इस बाड़े में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र है पौड़ी से लायी गई मादा गुलदार. जिसने ना जाने कितने लोगों को अपना शिकार बनाया होगा, लेकिन अब इसके व्यवहार में काफी बदलाव आ गया है. अब ये मादा गुलदार पुरे स्टाफ के साथ बहुत खुश रहती है. उनके बुलाने पर उनके पास जाती है.

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हरिद्वार के डीएफओ आकाश खुद इन खूंखार कैदियों का पूरा ब्योरा रखते हैं. कौन किस हालत में है इस पर हमेशा निगाह रखी जाती है. गुलदारों को किसी चीज की कमी न हो इस बात का भी ध्यान रखा जाता है. डीएफओ ने बताया कि इन गुलदारों को बहार छोड़ना संभव नहीं है. हालांकि कुछ के दांत भी गिर गए हैं और वो बाहर शिकार नहीं कर सकते हैं. बावजूद उन्हें बाहर नहीं छोड़ा जा सकता है. 7 में से चार आदमखोर जो कभी भी इंसानों पर हमला कर सकते हैं. इसलिए इनकों यहीं देख रेख में रखा गया है.

Intro:कहा जेल में कैद है उत्तराखंड के कई शहरो की नींद उड़ाने वाले 6 आदमखोर गुलदार-- स्पेशल रिपोर्ट




समाज में सभी को शांति और सुरक्षा का एहसास हो इसी के लिए विधि निर्माताओ ने कानून बनाया| कानून के तहत ही सजा का प्राविधान भी रखा गया जिसमे माफ़ी से लेकर जेल तक की व्यवस्था है| जहाँ कानून का पालन न हो उस जगह को जंगलराज की संज्ञा दी जाती है, क्योकि जंगल ही एक जगह है जिसमे जानवरों के कायदे-कानून नहीं होते | लेकिन एक जगह ऐसी भी है जंहा जानवरो ने कायदे कानून तोड़े तो उन्हें जेल में जिंदगी बितानी पड़ रही है आप सोच रहे होंगे भला की ये कैसे हो सकता है तो हम आपको बताते है की ये जेल है उत्तराखंड के चिड़ियापुर रेंज में जहा सालो से बंद है आदमखोर गुलदार Body:


उत्तराखंड में करीबन 35 हेक्टेयर में फेला वन विभाग का चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर बना तो घायल जानवरो के उपचार के लिए था| लेकिन अब इसमें पिछले कई सालो से कई आदमखोर बंद है.नजीबाबाद रोड पर बना ये सेंटर 7 आदमखोर तेन्दुओ की जेल बन गयी है जहाँ ये सलाखों के पीछे बंद है| क्योकि ये इंसानों के कतल के दोषी है इस लिए ये जंगल में नहीं, पिंजरों में केद है यहीइनका अब स्थायी निवास है जहाँ से ये कभी जंगल में नहीं जा सकते वैसे चिड़ियापुर का ये रेस्क्यू सेंटर घायल जानवरो के लिए बनाया गया था लेकिन समय बिता और अब ये रेस्क्यू सेंटर 7 गुलदारों का का आशियाना बन गया है उन गुलदारों का जिनका एक समय में उत्तराखंड के कई इलाको में आतंक रहता था इस वक्त यहाँ नंदू बाबू ममता और हिना जैसे खूंखार आदमखोर कैद है



खास बात ये है की मंगलवार को यहाँ कैद गुलदारों का उपवास रहता है ये दिन में 3 किलो मीट खाते है.इनकी देख रेख में 7 लोग हमेसा तैनात रहते है.खास मिट इनके लिए पहले सहारनपुर से लाया जाता था लेकिन हरिद्वार डीएफओ आकाश ने हमें बताया की अब इनका खाना आसपास ही इनकी डाइट के हिसाब से आता है .6 बाड़े में कैद ये गुलदार इतने खतरनाक है की हमारे कैमरे और हमे देख कर ही अपनी मौजदगी का एहसास करा रहे थे इस बाड़े में सबसे ज्यदा अकर्षणका केंद्र है पौड़ी से यहाँ लायी गयी एक मादा गुलदार .जिसने ना जाने कितने लोगो को अपना शिकार बनाया लेकिन अब इसके अंदर काफी बदलाव आये है अब ये ये पौड़ी की मादा पुरे स्टाफ के साथ बहुत खुस रहती है.उनके बुलाने पर उनके पास आती है Conclusion:
हरिद्वार के डीएफओ खुद इन खूंखार कैदियों का पूरा ब्यौरा रखते है कौन कैसे क्या हालात में है इस पर सरकार हमेसा निगह रखती है.गुलदारों को किसी बात की कमी ना हो इस बात का भी धयन रखा जाता है आकाश ने हमें बताया की इन गुलदारों को बहार छोड़ना संभव नहीं है हलाकि कुछ के दन्त भी गिर गए है और वो बहार शिकार नहीं कर सकते है ऐसे में उनको बहार नहीं छोड़ा जा सकता है इतना ही नहीं 7 में से चार आदमखोर है इस लिए कभी भी ये इंसानो पर हमला कर सकते है इस लिए इनको यही देख रेख में रखा गया है आपको बता दें की गुलदारों का कसूर इतना भर है की उसने उन लोगो को अपना निशाना बनाया है जो उसके घर में दाखिल हो रहे है बरहाल इन सभी गुलदार की बाकी की जिंदगी अब इन बाड़ों में ही गुजरेगी..
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