विकासनगर: कोरोना काल में एक तरफ आयुष विभाग लोगों से अपील कर रहा है कि आप अदरक युक्त पेय का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें. जिससे लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बेहतर बनी रहे. आयुष विभाग की इस अपील से किसानों को उम्मीद थी कि उन्हें अदरक की फसल के अच्छे दाम मिलेंगे. लेकिन कुदरत को ये मंजूर नहीं था, जौनसार बावर के साहिया क्षेत्र में कई हेक्टेयर क्षेत्र में अदरक की फसल में सड़न-गलन रोग लग गया. जिससे किसान खासे परेशान हैं.
जौनसार बावर क्षेत्र के किसान सदियों से अदरक की खेती करते आ रहे हैं. लेकिन पिछले कई वर्षों से अदरक का उन्हें उचित दर नहीं मिल रहा था मगर इस बार उम्मीद थी कि उन्हें अच्छी कीमत मिलेगी. ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार ने ग्रामीण क्षेत्र कोठा तारली गांव में जाकर अदरक के खेतों का भौतिक निरीक्षण किया. साथ ही उन्होंने किसानों से बातचीत कर अदरक सड़ने के कारणों की जानकारी जुटा रहे हैं.
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ग्राम पंचायत कोटा ताली के किसानों के खेतों का निरीक्षण करते हुए उन्होंने पाया कि कुछ किसानों के खेतों में अदरक में प्रारंभिक लक्षण सड़न-गलन रोग के दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने नैनो टेक्नोलॉजी के माध्यम से अदरक में लगने वाले सड़न-गलन रोग के बारे में किसानों को बताया. उन्होंने कहा कि जिससे किसानों को अदरक में प्रारंभिक लक्षण दिखाई देने पर तुरंत उपचार करना चाहिए. वहीं, किसान शमशेर सिंह ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र के डॉक्टर द्वारा सभी किसानों को खेती को लेकर कई सारी जानकारियां दी.
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि विकासनगर क्षेत्र अदरक उत्पादन के लिए काफी मशहूर है. यहां किसान काफी क्षेत्र में अदरक का उत्पादन करते हैं, लेकिन कुछ वर्षों से अदरक में रोग लगने के लक्षण देखने को मिल रहे हैं. जिसे सड़न-गलन रोग कहा जाता है. ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा इफको कंपनी की नैनो कॉपर टेक्नोलॉजी विधि से अदरक में लगने वाले प्रारंभिक लक्षण सड़न-गलन रोग का उपचार किया जा सकता है. जिससे इफको नैनो कॉपर दवाई से छिड़काव करने के बाद अदरक में उसकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और संक्रमण का खतरा भी कम से कम होगा.