मसूरी: इन दिनों जोशीमठ भू-धंसाव की खबर सिर्फ उत्तराखंड में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. जोशीमठ में लोग पल-पल डर के साए में जीने को मजबूर हैं. जोशीमठ भू-धंसाव की वजह से 700 से अधिक क्षतिग्रस्त मकानों का चिन्हिकरण किया गया है, जिन्हे खाली कराया गया है, लेकिन उत्तराखंड में भू धंसाव की समस्या सिर्फ जोशीमठ तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मसूरी का लंढौर क्षेत्र भी भू-धंसाव की जद में है.
मसूरी के लंढौर क्षेत्र में भी भू-धंसाव की समस्या देखने को मिल रही है. जिससे यहां के लोग खौफजदा हैं. पिछले कुछ सालों से लगातार लंढौर बाजार का एक भाग धंस रहा है. जिस कारण यहां के मकानों और दुकानों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं. लोग डर के साए में जीने को मजबूर हैं. कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने संबंधित विभागों को स्थलीय निरीक्षण कर मसूरी में हो रहे भू-धंसाव के कारणों का पता लगाने के निर्देश दिए हैं. वहीं, लंढौर क्षेत्र के साउथ रोड के निचले इलाकों में हो रहे अवैध निर्माण और खुदान पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं.
स्थानीयों का कहना है कि पिछले काफी समय से लंढौर बाजार क्षेत्र के एक भाग में भू-धंसाव हो रहा है. पानी की निकासी न होने के कारण भी लोगों के घरों में पानी घुस रहा है. वहीं निचले हिस्से में हो रहे अवैध खनन और निर्माण के कारण लगातार घरों और दुकानों में दरारें आ रही हैं. लोगों का आरोप है कि कई बार संबंधित अधिकारियों को लंढौर क्षेत्र में हो रहे भू धंसाव को लेकर शिकायत की गई है, लेकिन धरातल पर आज तक कुछ भी नजर नहीं आया.
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वहीं, लंढौर क्षेत्र के निचले हिस्से में साउथ रोड पर हो रहे अवैध खनन और निर्माण को लेकर भी आज तक मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिससे अनियोजित विकास क्षेत्र के लिए खतरे का सबब बन गया है. लोगों का कहना है कि अगर समय रहते भू-धंसाव क्षेत्र के बारे में नहीं सोचा गया तो एक बड़ी आपदा इस क्षेत्र में आ सकती है. जिससे बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है.
स्थानीय निवासी पंकज अग्रवाल ने कहा 1980 के समय लंढौर बाजार के लगातार क्षेत्र को लेकर आईआईटी रुड़की और वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों से जांच कराई गई थी. जिसमें उन्होंने बताया था कि लंढौर क्षेत्र भू-धंसाव और भूकंप की दृष्टि से खतरनाक है. इस क्षेत्र में बड़े वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाने को भी कहा गया था, लेकिन लंढौर क्षेत्र का एकमात्र रास्ता होने की वजह से बड़े वाहनों को रोका नहीं जा सका.
पंकज ने कहा लंढौर क्षेत्र में बाईपास रोड निर्माण के लिए ब्लास्ट किया गया था. जिस वजह से कई पहाड़ हिल गए थे और कई बार इस क्षेत्र में भूस्खलन की बड़ी घटनाएं सामने आई. उन्होंने सरकार से साउथ रोड के नीचले क्षेत्र में किसी प्रकार का खुदान और निर्माण नहीं करने की मांग की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. संबंधित विभाग आंख बंद करके बैठे रहा और लोग अनियोजित तरीके से खुदान और निर्माण करते रहे. जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. लगातार लंढौर बाजार के क्षेत्र में दरारे बढ़ रही हैं, जो एक बड़े खतरे का संकेत दे रही है.