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उत्तराखंड में ऐसे बुझेगी आग! 50 फीसदी कर्मचारियों के भरोसे अग्निशमन विभाग, वाहनों की हालत भी खस्ता

उत्तराखंड में अग्निशमन विभाग 50 फीसदी कर्मचारियों के साथ जूझ रहा है. इतना ही नहीं वाहन भी सालों पुराने हैं. जिनके रजिस्ट्रेशन करने से आरटीओ ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं. जबकि, मजबूरन फायरकर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर इन खस्ताहाल वाहनों को दौड़ा रहे हैं. जो 50 फीसदी कर्मचारी भी हैं, उन्हें कभी वीआईपी, वीआईआईपी और एलओ की ड्यूटी में तैनात किया जा रहा है. इसी बीच कहीं आग की घटना होती है तो इन्हीं कर्मियों को दौड़ाया जा रहा है. जानिए वर्तमान में किस हालत से गुजर रहा उत्तराखंड अग्निशमन विभाग, पढ़िए खास रिपोर्ट...

Uttarakhand Fire and Emergency Department
उत्तराखंड में अग्निशमन विभाग
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Published : Mar 17, 2023, 6:28 PM IST

Updated : Mar 17, 2023, 8:05 PM IST

50 फीसदी कर्मचारियों के भरोसे अग्निशमन विभाग

देहरादूनः उत्तराखंड में अग्निशमन विभाग में कर्मियों का टोटा है. इसके अलावा विभाग वाहनों की कमी से कमी से जूझ रहा है. इसकी तस्दीक आंकड़े दे रहे हैं. अग्निशमन विभाग सिर्फ 50 फीसदी कर्मचारियों के साथ ही काम कर रहा है. जिसकी वजह से आग की घटनाओं में काबू पाने में देरी हो जाती है. ऐसे में जान माल का भी काफी नुकसान हो जाता है.

उत्तराखंड में अग्निशमन विभाग में कर्मचारियों की संख्याः चीफ फायर ऑफिसर (सीएफओ) में 9 पद स्वीकृत हैं. जिसमें 4 उपलब्ध हैं. जबकि, 5 पद खाली है. फायर स्टेशन ऑफिसर (एफएसओ) में 35 पद स्वीकृत हैं. जिसमें 6 उपलब्ध हैं. जबकि, 29 रिक्त चल रहे हैं. वहीं, फायर स्टेशन ऑफिसर (एफएसएसओ) के 50 पद स्वीकृत हैं. 24 उपलब्ध हैं. जबकि, 26 पद खाली पड़े हैं.

लीडिंग फायर मैन (एलएफएम) के 162 पद स्वीकृत हैं. जिसमें 147 अधिकारी उपलब्ध हैं. जिसमें 15 पद खाली हैं. वहीं, फायर स्टेशन ड्राइवर (एफएसडीवीआर) के 205 स्वीकृत हैं. जिसमें 202 पद उपलब्ध हैं. जबकि, 3 रिक्त चल रहे हैं. इसके अलावा फायरमैन के 998 स्वीकृत हैं. जिसमें 543 कर्मचारी वर्तमान में तैनात हैं. जबकि, 455 पद अभी भी खाली हैं.वहीं, कर्मचारी के 1460 पद स्वीकृत हैं. जिसमें 927 अभी तैनात है तो वहीं 533 पद रिक्त चल रहे हैं.

वहीं, सीधी भर्ती में फायरमैन की 445 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है. जबकि, 24 एफएसएसओ की भर्ती प्रक्रिया चल रही है. साथ ही 3 सीएफओ की भर्ती वर्तमान में जारी है. अगर पूरे आंकड़ों पर गौर करें तो अग्निशमन विभाग सिर्फ 50 फीसदी कर्मचारियों के साथ ही काम कर रहा है. इन्हीं अग्निशमन कर्मचारियों के कंधे पर आग की घटना को काबू पाने की जिम्मेदारी है.

इन्हीं कर्मचारियों से ही इन्हें प्रदेशभर में आग पर काबू पाना है तो वहीं इन्हीं कर्मचारियों को किसी भी तरह की वीआईपी या फिर वीआईआईपी ड्यूटी भी देनी है. अगर साल 2022 की बात करें तो इन कर्मियों ने सालभर में 1172 वीआईपी, 201 वीआईआईपी और 814 एलओ की ड्यूटी की है. कुल मिलाकर 2187 ड्यूटी इन्होंने की है.

वहीं, अग्निशमन के काम पर गौर करें तो वो उससे कम है. अग्निशमन के पास 2022 में कुल 1824 कॉल्स आई थी. जिसमें 464 रेस्क्यू किए है. साथ ही अग्निशमन की कर्मचारियों ने इस दौरान 58 लोगों को बचाया है तो वहीं 12 पशुओं का रेस्क्यू भी किया है. साथ ही फायरमैन ने भी रेस्क्यू करके प्रदेशभर में 184 लोगों की जान और और 18 पशुओं की जान बचाई है. ऐसे में अग्निशमन के 50 फीसदी कर्मचारी अपनी जान पर खेल कर काम कर रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः Uttarakhand Forest Fire: अभी से ही धधक रहे जंगल, वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट में 200 करोड़ की व्यवस्था

टेक्निकल फायर सर्विस उप निदेशक एसके राणा ने बताया कि अग्निशमन सिर्फ फायर की कॉल को अटेंड नहीं करती है, बल्कि इसके अलावा वीवीआईपी ड्यूटी, वीआईपी ड्यूटी, धरना प्रदर्शन और एलओ ड्यूटी भी करनी पड़ती है. मैन पावर को इसमें मैनेज किया जाता है. अगर एक समय में अग्निशमन कर्मचारी वीआईपी ड्यूटी पर खड़ा है तो उसी दौरान आग लगने की कोई कॉल आती है तो ऐसे में थोड़ा सोचना पड़ता है. क्योंकि उनके पास सीमित मैन पावर है. उसी में से ही कर्मचारियों को भेजा जाता है.

उन्होंने कहा कि मैन पावर की कमी की वजह से इसमें कहीं न कहीं समय लग जाता है, जिस कारण विभाग को कहीं कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. वर्तमान में सीधी भर्ती के लिए 445 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है. अगर इस भर्ती से कर्मचारी मिल जाते हैं तो काफी हद तक हमारी समस्याओं का समाधान हो सकता है.

अग्निशमन विभाग के पास वाहनों और संसाधनों की कमीः अग्निशमन विभाग को वाहनों और संसाधनों की कमी के कारण काम करने के लिए मजबूर हो रही है. अभी होमटेंडर 28 और वाटर टैंक 70 उपलब्ध हैं, लेकिन 45 वाहन 15 साल से ज्यादा हो गए है. साथ ही पोर्टेबल पंप केयरिंग व्हीकल 22 है, लेकिन यह भी 15 साल की अवधि पूरी कर चुके है. वहीं, फोम और पानी वाले फायर टैंकर की 98 गाड़ियां हैं. इनमे से करीब 50 गाड़ियां ऐसी हैं, जो 18 साल से ऊपर यानी अपनी उम्र पार कर चुकी है.

15 साल पुराने वाहनों को दौड़ा रहे फायरकर्मीः केंद्र सरकार के नियमानुसार 15 साल की मियाद पूरी कर चुके ऐसे वाहन सड़कों पर नहीं चल सकते, लेकिन विभाग में वाहनों की कमी के चलते फायरकर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर इन्हीं वाहनों को दौड़ा रहे हैं. वाहनों की स्थिति को देखते हुए आरटीओ ने भी आगे रजिस्ट्रेशन करने से हाथ खड़े कर दिए हैं.

उत्तराखंड में 47 फायर स्टेशन, 11 की हालत खराबः फायर ब्रिगेड में प्रदेशभर में 47 फायर स्टेशन हैं. इनमें से 11 जीर्णशीर्ण स्थिति में हैं. इसके अलावा नौ यूनिट ऐसे हैं, जो किराए की बिल्डिंग में चल रहे हैं. विभाग की ओर से शासन को 20 फायर स्टेशनों के नवनिर्माण के लिए वर्ल्ड बैंक से फंड की मांग की गई है, लेकिन अभी तक अग्निशमन को फंड नहीं मिल पाया है. प्रदेश के 13 जिलों में 47 फायर स्टेशन हैं. इनमे काम करने वाले कर्मचारी भी 50 फीसदी की कमी चल रही है. साथ ही अग्निशमन के ज्यादातर वाहन 15 साल से ज्यादा हो गए हैं.

50 फीसदी कर्मचारियों के भरोसे अग्निशमन विभाग

देहरादूनः उत्तराखंड में अग्निशमन विभाग में कर्मियों का टोटा है. इसके अलावा विभाग वाहनों की कमी से कमी से जूझ रहा है. इसकी तस्दीक आंकड़े दे रहे हैं. अग्निशमन विभाग सिर्फ 50 फीसदी कर्मचारियों के साथ ही काम कर रहा है. जिसकी वजह से आग की घटनाओं में काबू पाने में देरी हो जाती है. ऐसे में जान माल का भी काफी नुकसान हो जाता है.

उत्तराखंड में अग्निशमन विभाग में कर्मचारियों की संख्याः चीफ फायर ऑफिसर (सीएफओ) में 9 पद स्वीकृत हैं. जिसमें 4 उपलब्ध हैं. जबकि, 5 पद खाली है. फायर स्टेशन ऑफिसर (एफएसओ) में 35 पद स्वीकृत हैं. जिसमें 6 उपलब्ध हैं. जबकि, 29 रिक्त चल रहे हैं. वहीं, फायर स्टेशन ऑफिसर (एफएसएसओ) के 50 पद स्वीकृत हैं. 24 उपलब्ध हैं. जबकि, 26 पद खाली पड़े हैं.

लीडिंग फायर मैन (एलएफएम) के 162 पद स्वीकृत हैं. जिसमें 147 अधिकारी उपलब्ध हैं. जिसमें 15 पद खाली हैं. वहीं, फायर स्टेशन ड्राइवर (एफएसडीवीआर) के 205 स्वीकृत हैं. जिसमें 202 पद उपलब्ध हैं. जबकि, 3 रिक्त चल रहे हैं. इसके अलावा फायरमैन के 998 स्वीकृत हैं. जिसमें 543 कर्मचारी वर्तमान में तैनात हैं. जबकि, 455 पद अभी भी खाली हैं.वहीं, कर्मचारी के 1460 पद स्वीकृत हैं. जिसमें 927 अभी तैनात है तो वहीं 533 पद रिक्त चल रहे हैं.

वहीं, सीधी भर्ती में फायरमैन की 445 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है. जबकि, 24 एफएसएसओ की भर्ती प्रक्रिया चल रही है. साथ ही 3 सीएफओ की भर्ती वर्तमान में जारी है. अगर पूरे आंकड़ों पर गौर करें तो अग्निशमन विभाग सिर्फ 50 फीसदी कर्मचारियों के साथ ही काम कर रहा है. इन्हीं अग्निशमन कर्मचारियों के कंधे पर आग की घटना को काबू पाने की जिम्मेदारी है.

इन्हीं कर्मचारियों से ही इन्हें प्रदेशभर में आग पर काबू पाना है तो वहीं इन्हीं कर्मचारियों को किसी भी तरह की वीआईपी या फिर वीआईआईपी ड्यूटी भी देनी है. अगर साल 2022 की बात करें तो इन कर्मियों ने सालभर में 1172 वीआईपी, 201 वीआईआईपी और 814 एलओ की ड्यूटी की है. कुल मिलाकर 2187 ड्यूटी इन्होंने की है.

वहीं, अग्निशमन के काम पर गौर करें तो वो उससे कम है. अग्निशमन के पास 2022 में कुल 1824 कॉल्स आई थी. जिसमें 464 रेस्क्यू किए है. साथ ही अग्निशमन की कर्मचारियों ने इस दौरान 58 लोगों को बचाया है तो वहीं 12 पशुओं का रेस्क्यू भी किया है. साथ ही फायरमैन ने भी रेस्क्यू करके प्रदेशभर में 184 लोगों की जान और और 18 पशुओं की जान बचाई है. ऐसे में अग्निशमन के 50 फीसदी कर्मचारी अपनी जान पर खेल कर काम कर रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः Uttarakhand Forest Fire: अभी से ही धधक रहे जंगल, वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट में 200 करोड़ की व्यवस्था

टेक्निकल फायर सर्विस उप निदेशक एसके राणा ने बताया कि अग्निशमन सिर्फ फायर की कॉल को अटेंड नहीं करती है, बल्कि इसके अलावा वीवीआईपी ड्यूटी, वीआईपी ड्यूटी, धरना प्रदर्शन और एलओ ड्यूटी भी करनी पड़ती है. मैन पावर को इसमें मैनेज किया जाता है. अगर एक समय में अग्निशमन कर्मचारी वीआईपी ड्यूटी पर खड़ा है तो उसी दौरान आग लगने की कोई कॉल आती है तो ऐसे में थोड़ा सोचना पड़ता है. क्योंकि उनके पास सीमित मैन पावर है. उसी में से ही कर्मचारियों को भेजा जाता है.

उन्होंने कहा कि मैन पावर की कमी की वजह से इसमें कहीं न कहीं समय लग जाता है, जिस कारण विभाग को कहीं कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. वर्तमान में सीधी भर्ती के लिए 445 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है. अगर इस भर्ती से कर्मचारी मिल जाते हैं तो काफी हद तक हमारी समस्याओं का समाधान हो सकता है.

अग्निशमन विभाग के पास वाहनों और संसाधनों की कमीः अग्निशमन विभाग को वाहनों और संसाधनों की कमी के कारण काम करने के लिए मजबूर हो रही है. अभी होमटेंडर 28 और वाटर टैंक 70 उपलब्ध हैं, लेकिन 45 वाहन 15 साल से ज्यादा हो गए है. साथ ही पोर्टेबल पंप केयरिंग व्हीकल 22 है, लेकिन यह भी 15 साल की अवधि पूरी कर चुके है. वहीं, फोम और पानी वाले फायर टैंकर की 98 गाड़ियां हैं. इनमे से करीब 50 गाड़ियां ऐसी हैं, जो 18 साल से ऊपर यानी अपनी उम्र पार कर चुकी है.

15 साल पुराने वाहनों को दौड़ा रहे फायरकर्मीः केंद्र सरकार के नियमानुसार 15 साल की मियाद पूरी कर चुके ऐसे वाहन सड़कों पर नहीं चल सकते, लेकिन विभाग में वाहनों की कमी के चलते फायरकर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर इन्हीं वाहनों को दौड़ा रहे हैं. वाहनों की स्थिति को देखते हुए आरटीओ ने भी आगे रजिस्ट्रेशन करने से हाथ खड़े कर दिए हैं.

उत्तराखंड में 47 फायर स्टेशन, 11 की हालत खराबः फायर ब्रिगेड में प्रदेशभर में 47 फायर स्टेशन हैं. इनमें से 11 जीर्णशीर्ण स्थिति में हैं. इसके अलावा नौ यूनिट ऐसे हैं, जो किराए की बिल्डिंग में चल रहे हैं. विभाग की ओर से शासन को 20 फायर स्टेशनों के नवनिर्माण के लिए वर्ल्ड बैंक से फंड की मांग की गई है, लेकिन अभी तक अग्निशमन को फंड नहीं मिल पाया है. प्रदेश के 13 जिलों में 47 फायर स्टेशन हैं. इनमे काम करने वाले कर्मचारी भी 50 फीसदी की कमी चल रही है. साथ ही अग्निशमन के ज्यादातर वाहन 15 साल से ज्यादा हो गए हैं.

Last Updated : Mar 17, 2023, 8:05 PM IST
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