देहरादून: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा पर हैं. कांग्रेस के तमाम बड़े नेता इस यात्रा में शामिल हो रहे हैं. भारत जोड़ो यात्रा से प्रभावित होकर उत्तराखंड कांग्रेस के नेता भी यात्रा निकाल रहे हैं. इस यात्रा के बहाने भले ही कांग्रेस एकजुट होने का संदेश जनता को दे रही हो, लेकिन उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी के भीतर गुटबाजी से जूझ रही है. आलम यह है कि भारत जोड़ो यात्रा के नाम पर कभी उत्तराखंड कांग्रेस का एक धड़ा यात्रा निकाल रहा है तो, कभी दूसरा नेता यात्रा का आयोजन कर रहा है. वहीं, जो नेता पीछे रह गए हैं, वह आने वाले समय में यात्रा करने की रूपरेखा बना रहे हैं. मतलब साफ है कि कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. मौजूदा समय में भी कांग्रेस इन यात्राओं से कुछ सुधार ला पाएगी, ऐसा मुश्किल ही लगता है ?
करन माहरा की यात्रा से हरीश रावत गायब: बात सबसे पहले उत्तराखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा की करते हैं. करण माहरा ने बीते दिनों उत्तराखंड सीमा पर स्थित देश के अंतिम गांव माणा से अपनी यात्रा का शुभारंभ किया. करन माहरा की यह भारत जोड़ो यात्रा माणा से चलकर देहरादून तक पहुंची. खास बात यह रही कि इस यात्रा से कांग्रेस का एक धड़ा बिल्कुल गायब रहा, उत्तराखंड की राजनीति में अपना अलग मुकाम रखने वाले हरीश रावत ना तो इस यात्रा में दिखाई दिए और ना ही उनके द्वारा यात्रा को लेकर कोई भी चर्चा सार्वजनिक तौर पर की गई.
वहीं, लगभग 1 हफ्ते से अधिक चली इस यात्रा का समापन भी हो गया, लेकिन हरीश रावत खामोश रहे. हालांकि, यात्रा गढ़वाल और कुमाऊं दोनों जगह होनी थी, लेकिन अचानक से यात्रा को क्यों रोका गया है. इसका जवाब किसी के पास नहीं है. लिहाजा, करण माहरा को चर्चाओं में देख कांग्रेस का दूसरा धड़ा भी सक्रिय हो गया. आनन-फानन में हरीश रावत ने भी भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर ही हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में एक यात्रा करने का ऐलान कर दिया गया.
हरीश रावत दिखा रहे अपना दम: हरिद्वार में हरीश रावत की यात्रा का नाम भी भारत जोड़ो यात्रा था, लेकिन हरीश रावत ने अपनी इस यात्रा के नाम के आगे हरिद्वार जिंदाबाद यात्रा भी जोड़ दिया. यानी पूरी यात्रा का नाम भारत जोड़ो यात्रा, हरिद्वार जिंदाबाद यात्रा नाम प्रतीत होता है. हरीश रावत अभी भी हरिद्वार को लेकर अपने मन में सपने लिए बैठे हैं. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि हरीश रावत एक बार फिर से 2024 में हरिद्वार लोकसभा सीट से अपनी ताल ठोक सकते हैं. यह वजह है कि हरदा उसी दिशा को मजबूत करने के लिए अपनी इस यात्रा का प्लान तैयार किया है. यह यात्रा हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्रों से होती हुई पूरे हरिद्वार लोकसभा सीट का भ्रमण करेगी.
बेटी की जीत से हरदा की बढ़ी उम्मीदें: जानकार यह भी मान रहे हैं कि अपनी बेटी अनुपमा रावत के विधायक बनने के बाद से हरीश रावत हरिद्वार को लेकर काफी कॉन्फिडेंस में है, लेकिन इस यात्रा से भले ही हरदा कोई भी गणित बैठा रहे हो, लेकिन संदेश यही गया कि उत्तराखंड में कांग्रेसी अलग-थलग काम कर रहे हैं. हालांकि, उनकी इस यात्रा का समर्थन करने के लिए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य भी पहुंचे, लेकिन फिर सवाल खड़े होने लगे कि प्रदेश के इतने बड़े नेता एक यात्रा का आयोजन कर रहे हैं तो, पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और विधायक नेता प्रीतम सिंह भला इस यात्रा से दूर क्यों हैं?
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प्रीतम सिंह ने अपना सजाया अलग मंच: उधर हरीश रावत अपनी यात्रा की जब रूपरेखा बना रहे थे, तभी प्रीतम सिंह ने भी अपना एक अलग ही मंच सजा लिया. सरकार को घेरने के लिए बेरोजगारी और अन्य मुद्दों को लेकर देहरादून में प्रीतम सिंह ने भी अपना शक्ति प्रदर्शन दिखाया. यहां पर भी कांग्रेस की गुटबाजी साफ देखी गई. प्रीतम सिंह के साथ कांग्रेस का कोई बड़ा नेता मौजूद नहीं था. कहा तो यह भी जा रहा है कि यह प्रीतम सिंह की अपनी रैली थी. उन्होंने न तो किसी बड़े नेता को इनवाइट किया गया और ना ही किसी तरह का कोई वार्तालाप बड़े नेताओं से किया गया. विधानसभा घेराव के लिए सैकड़ों समर्थकों के साथ प्रीतम सिंह ने भी अपना शक्ति प्रदर्शन दिखाया.
खबर है कि करण माहरा और हरीश रावत की भारत जोड़ो यात्रा के बाद अब प्रीतम सिंह गढ़वाल और कुमाऊं में भ्रमण कार्यक्रम बना रहे हैं. जानकारी यह भी है कि प्रीतम सिंह को पार्टी के बड़े नेताओं ने गढ़वाल और कुमाऊं में भ्रमण के लिए कहा है. ऐसे में कांग्रेस के अंदर यह कौन सी खिचड़ी पक रही है. इसका जवाब किसी के पास नहीं है. खुद कांग्रेस के प्रवक्ता भी इन तमाम बातों को देखकर अपना माथा पकड़ रहे हैं.
गुटबाजी पर कांग्रेस प्रवक्ता की दलील: कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि प्रीतम सिंह द्वारा बुलाई गई रैली के बारे में किसी नेता को कोई जानकारी नहीं दी गई थी. यह आम कार्यकर्ता के साथ सही बर्ताव नहीं है. प्रीतम सिंह कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. उन्हें सभी को साथ लेकर चलना चाहिए. गरिमा ने यह भी कहा कि कांग्रेस का कोई भी सिपाही अगर सरकार के खिलाफ हल्ला बोल कर रहा है तो उससे न केवल पार्टी मजबूत हो रही है, बल्कि जनता की आवाज सत्ता के कानों तक भी पहुंच रही है. कांग्रेस पार्टी के हर एक नेता का बस यही मकसद है कि किसी तरह से आम जनता की आवाज सरकार तक पहुंचाई जाए. जो कांग्रेस के तमाम नेता इस काम को बखूबी कर रहे हैं.
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कांग्रेस गुटबाजी पर बीजेपी का तंज: वहीं, कांग्रेस वरिष्ठ नेताओं में मतभेद, अलग-अलग रैलियां और अलग-अलग बयान आ रहे हैं तो भला बीजेपी विपक्ष पर हमला करने में कैसे पीछे रहे ? बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता और मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह कहते हैं कि कांग्रेस की यह यात्रा भारत जोड़ो यात्रा नहीं, बल्कि अपने वजूद को बचाने वाली यात्रा है. हर नेता इधर-उधर दौड़ने का काम कर रहा है. कांग्रेस ने हमेशा से देश को तोड़ने की बात की है. अब यह यात्रा मात्र दिखावा और छलावा के अलावा कुछ नहीं है. कांग्रेस को चाहिए कि पहले वह खुद एकजुट हो जाए, उसके बाद भारत की फिक्र करें.
कांग्रेस में गुटबाजी खत्म करना बड़ी चुनौती: इसमें कोई दो राय नहीं कि कांग्रेस के अंदर पूरे देश में गुटबाजी चल रही है. देश हो उत्तराखंड, सभी जगह जो चल रहा है, वह सही नहीं है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से लेकर पूर्व अध्यक्ष तक, पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर तमाम बड़े नेता एक मंच पर दिखाई नहीं दे रहे हैं. ऐसे में पार्टी कार्यकर्ता के मन में बड़ी सुविधा है, जो पार्टी के लिए डंडा और झंडा उठाकर इन नेताओं को बनाने का काम करते हैं.
वहीं, साल 2024 की तैयारियों में लगी कांग्रेस इन यात्राओं से प्रदेश में अपनी कितनी छाप छोड़ पाएगी, यह तो अभी बहुत दूर की बात है, लेकिन कांग्रेस के अंदर क्या कुछ चल रहा है और नेताओं के मन में एक दूसरे के लिए कितनी खटास है ? यह जगजाहिर जरूर हो रहा है. ऐसे में पार्टी आलाकमान को ही उत्तराखंड कांग्रेस में हो रही गुटबाजी और राजनीति पर विराम लगाना पड़ेगा.