देहरादून: करवा चौथ हिंदुओं का विशेष त्योहार माना जाता है. इस साल करवा चौथ का व्रत 24 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. करवा चौथ का व्रत निर्जल रखा जाता है. इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं. इसके अलावा भगवान गणेश और कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा भी की जाती है. करवा चौथ का पावन व्रत हर साल कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है.
खास होगा इस बार का करवाचौथ: इस साल का करवा चौथ कई मायनों में खास होने वाला है. इस बार करवा चौथ रोहिणी नक्षत्र में होने की वजह से व्रती महिलाओं को सूर्यदेव का असीम आशीर्वाद प्राप्त होगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस व्रत में खास संयोग बन रहा है. रविवार को सूर्य का प्रभाव ज्यादा होता है. सूर्य देव आरोग्य और दीर्घायु के प्रतीक हैं.
सूर्यदेव की रहेगी विशेष कृपा: रविवार के दिन करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा. इससे व्रती को भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होगी. धार्मिक मान्यता है कि सूर्य की कृपा से भक्त को दीर्घायु की प्रति होती है और वह आरोग्यता को प्राप्त करता है. करवा चौथ व्रत भी दीर्घायु के लिए रखा जाता है. ऐसे में रविवार के दिन करवा चौथ व्रत का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है.
करवाचौथ पर सुहागिन महिलाएं अपनी पति की दीर्घायु की कामना करती हैं. करवाचौथ के इस व्रत को करक चतुर्थी, दशरथ चतुर्थी, संकष्टि चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन करवा माता के साथ मां पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करने का भी विधान है. इस दिन सुहागिन स्त्रियों को इस व्रत का वर्ष भर इंतजार रहता है. इस दिन सुहाग से जुड़ी चीजों का काफी महत्व होता है. इसलिए सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पर सोलह श्रृंगार करती हैं. पूजा और करवा चौथ व्रत की कथा सुनने के बाद रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत व्रत का पारण करती हैं. अपने पति की समृद्धि और लंबी आयु की कामना करते हुए आशीर्वाद प्राप्त करती हैं.
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करवाचौथ पूजन का शुभ मुहूर्त: करवाचौथ पर पूजन का मुहूर्त कृष्ण पक्ष की चतुर्थी आरंभ, 24 अक्टूबर सुबह 3:01 मिनट से कृष्ण पक्ष की चतुर्थी समाप्ति 25 अक्टूबर सुबह 5:43 मिनट तक है.
करवाचौथ चंद्रोदय का समय: 24 अक्टूबर को रात 8:12 मिनट पर चंद्रोदय होगा. अलग-अलग जगहों पर चांद के निकलने का समय थोड़ा आगे पीछे हो सकता है.
करवाचौथ व्रत पूजा सामग्री लिस्ट: करवाचौथ व्रत की पूजा के लिए इन सामग्री का प्रयोग करना चाहिए. चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, अक्षत (चावल), सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, मिट्टी का करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, जल का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलवा और दक्षिणा (दान) के लिए पैसे आदि.
व्रत पूजा विधि: करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से पहले शुरू होता है. इसलिए सुबह सूर्य निकलने से पहले सास द्वारा भेजी गई सरगी का सेवन कर लें. इसके बाद स्नानादि करने के पश्चात संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें. पूरे दिन निर्जल रहें. आठ पूरियों की अठावरी और हलुवा बनाएं. पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेश जी बनाकर बिठाएं.
गौरी को चुनरी ओढ़ाएं. बिंदी आदि सुहाग सामग्री से गौरी का श्रृंगार करें. इसके बाद करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें. उसके ऊपर दक्षिणा रखें. रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं. गौरी-गणेश की परंपरानुसार पूजा करें. पति की दीर्घायु की कामना करें. करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें. कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सांस के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें. रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्ध्य दें. इसके बाद पति से आशीर्वाद लें. उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें.
ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस रोहिणी नक्षत्र रात्रि 11:30 बजे तक रहेगा. इस बार करवाचौथ महिलाओं के लिए विशेष योग लेकर आ रहा है. रोहिणी नक्षत्र और उच्च राशि के चंद्रमा में उत्तम योग बन रहा है. इस दिन पूजा का विशेष योग शाम 7 बजे से शुरू होकर रात 10 बजे तक रहेगा. जबकि व्रत परायण और चंद्रोदय 7:52 से 8:30 तक रहेगा.