देहरादून: हर साल 17 सितंबर को विश्व रोगी सुरक्षा दिवस (world patient safety day) मनाया जाता है. विश्व रोगी सुरक्षा दिवस मानने का उद्देश्य रोगियों की सुरक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाना और इसके साथ ही समन्वय व वैश्विक समझ बढ़ाना है. विश्व रोगी सुरक्षा दिवस पर ईटीवी भारत आपको आज बतौर मरीज और तीमारदार आपके अधिकारों के बारे में बताने जा रहा है. साथ ही एक हॉस्पिटल की रोगी के प्रति क्या जिम्मेदारी होती है, इसकी भी आपको जानकारी दी जाएगी.
WHO यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन हर साल 17 सितंबर को मरीजों के प्रति हॉस्पिटलों की जवाबदेही और मरीजों के हितों को संरक्षित करने के लिए विश्व रोगी सुरक्षा दिवस मनाता है. इसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाना है, ताकि मरीजों का किसी भी तरह अहित न हो.
भारत में NABH (National Accreditation Board for Hospitals) यानी नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स ने हॉस्पिटलों और हेल्थ केयर सेटरों में मरीजों व तीमरदारों के अधिकारियों को लेकर कुछ मानक निर्धारित किये हैं. आज हम आपको इसकी जानकारी देते हैं.
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जानने का हक: मरीज और उसके रिश्तेदारों को उपचार के सभी विकल्पों और उनके जुड़े जोखिमों व लाभ के बारे में जानने का पूरा अधिकार है. अस्पताल को यह जानकारी रोगी और उसके परिजनों को उसकी भाषा में देनी होगी, जिसमें रोग समझ सकें.
सहमति का अधिकार: अस्पताल में किसी भी प्रकार के इलाज से पहले मरीज को अपनी सहमति का अधिकार है. यानी कि मरीज या उसके तीमारदार को ट्रीटमेंट की प्रक्रिया, प्रकृति, रिस्क और फायदे के साथ-साथ उपलब्ध वैकल्पिक उपचारों के बारे में जानने का अधिकार है.
गोपनीयता का अधिकार: NABH के तहत रोगी को मिले अधिकारों में यह भी है कि हर अस्पताल, डॉक्टर या फिर स्वास्थ्य कर्मी रोगी की बीमारी और उपचार के बारे में सभी जानकारियों को गोपनीय रखने के लिए बाध्य हैं. इसके अलावा कानूनी रूप से जरूरी न होने तक मरीज को अपनी मेडिकल इन्फॉर्मेशन को गोपनीय रखने और इसे केवल डॉक्टर या स्वास्थ्य कर्मी के साथ साझा करने का अधिकार है.
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गरिमा और सम्मान का अधिकार: मरीज की गरिमा का सम्मान करना अस्पतालों की सर्वोच्च जिम्मेदारी है. चिकित्सा उपचार के दौरान एक महिला रोगी के पास हमेशा एक महिला स्वास्थ्य कर्मी होनी चाहिए. इसमें किसी भी प्रकार का जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति का भेदभाव नहीं होना चाहिए.
चुनने का अधिकार: मरीजों को अपना अस्पताल, डॉक्टर और उपचार चुनने का पूरा अधिकार है. मरीज़ कभी भी अपनी बीमारी और उसके उपचार के लिए अपनी मर्जी के डॉक्टर से सलाह लेकर कोई भी फैसला ले सकता है. अस्पताल के लिए यह भी जरूरी है कि वो मरीज को उपचार से जुड़े सभी जोखिमों और फायदों के बारे में सूचित करे और उनके लिए अंतिम निर्णय लेने दे.
अच्छी देखभाल का अधिकार: सभी रोगियों को सुरक्षित, प्रभावी और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने का अधिकार है. NABH के दिशा निर्देशों के अनुसार, जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर किसी भी भेदभाव के बिना सर्वोत्तम संभव हेल्थ केयर देना हर रोगी के अधिकारों में से एक है.
शिकायत का अधिकार: NABH से निर्धारित रोगी के अधिकारों में सभी रोगियों को बिना किसी डर के अपने हेल्थ केयर और देखभाल के अनुभव के बारे में शिकायत करने और प्रतिक्रिया देने का अधिकार है. रोगी या तीमारदार आधिकारिक तौर पर हेल्थ केयर या अस्पताल में अधिकृत अधिकारी के पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं और गलत होने पर कार्रवाई कर सकते हैं.
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फाइनेंशियल पारदर्शिता का अधिकार: अस्पताल में मरीजों को सभी प्रकार की स्वास्थ्य योजनाओं और बीमा से जुड़े नियमों व कुल खर्चों की जानकारी इलाज से पहले लेने का अधिकार है. मरीज के पास अधिकार है कि वह आने वाले खर्च और उपचार के लिए किए गए भुगतान की लिखित रसीद प्राप्त कर सकता है.
दर्द से निजात पाने का अधिकार: एक मरीज को दर्द कम करने और उसके निवारण की विधियों के बारे में जानने का पूरा अधिकार है. सभी अस्पताल और हेल्थ केयर ऐसे होने चाहिए जो समस्या का शीघ्र और प्रभावी ढंग से समाधान कर सकें और त्वरित राहत के लिए दवा शुरू कर सकें.
अस्पताल बदलने या फिर उसी में रहने का अधिकार: जब तक मरीज को स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया जाता कि उन्हें दूसरे वार्ड या अस्पताल में क्यों स्थानांतरित किया जा रहा है, उन्हें वहीं रहने का अधिकार है जहां वे हैं. उन्हें अपने चिकित्सक से सवाल करने और सर्वोत्तम स्वास्थ्य देखभाल विकल्पों के बारे में पूछने का अधिकार है.
मरीज और उसके तीमारदार की भी कुछ जिम्मेदारियां होती हैं:
सटीक जानकारी देना: मरीज की जिम्मेदारी है कि वह अपने डॉक्टर को अपनी मेडिकल हिस्ट्री और वर्तमान स्थिति के साथ साथ ली जा रही दवाइयों के बारे में सटीक और पूरी जानकारी दे.
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डॉक्टर के निर्देशों का पालन: मरीजों की जिम्मेदारी है कि वो डॉक्टर या अस्पताल द्वारा दिए गए निर्देशों का सही से पालन करें, जैसे कि बताई गई दवाओं को लेना, बुलाने पर आना, बताए गए परहेज या लाइफ स्टाइल का पालन करना. किसी भी तरह के बदलाव के बारे में बताना.
डॉक्टर और हॉस्पिटल स्टाफ का सम्मान करना: मरीज़ को डॉक्टर के साथ-साथ सभी स्वास्थ्य कर्मी और अस्पताल स्टाफ के साथ सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार रखने के लिए ज़िम्मेदार हैं. हर मरीज की ज़िम्मेदारी है कि उसके व्यवहार से किसी अन्य मरीज को परेशानी हो साथ ही हॉस्पिटल का माहौल भी खराब न हो.
अपने सामान की देखभाल: मरीज और तीमारदार अपने सामान के खुद जिम्मेदार होते हैं. कई बार देखने में आता है कि जब मरीज आपातकालीन स्थिति में हॉस्पिटल में पहुंचता है तो कुछ सामान गायब हो जाता है, जिसको लेकर मरीज अक्सर हॉस्पिटल के स्टाफ पर आरोप लगाता है, लेकिन इसके लिए हॉस्पिटल की कोई जिम्मेदारी नहीं होती है.
सर्विस के लिए भुगतान जरूरी: मरीज को सभी स्वास्थ्य सेवाओं के भुगतान करना होगा, जाहे वो डायरेक्ट पेमेंट के जरिए हो या फिर योजना या बीमा के तहत. अस्पताल में मरीज़ की ज़िम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि कोई देरी और बकाया लंबित न रहे.
WHO का निर्धारित 6 रोगी सुरक्षा लक्ष्य:
- मरीजों की सही पहचान
- प्रभावी संचार में सुधार
- हाई-अलर्ट दवाओं की सुरक्षा में सुधार करना.
- गलत-साइट, गलत-रोगी, गलत-प्रक्रिया सर्जरी को हटा दें.
- अस्पताल और रोगियों से मिलने वाले संक्रमणों को कम करना.
- गिरने से रोगी को होने वाले नुकसान के जोखिम को कम करें.
विश्व रोगी सुरक्षा दिवस पर ईटीवी भारत को ये सभी जानकारियां देहरादून में मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की तरफ से मिली हैं. इसके साथ ही मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल देहरादून के वाइस प्रेसिडेंट डॉ संदीप तंवर ने बताया कि उनके यहां उनके यहां मरीजों के अधिकारों और उनके सुरक्षा गोल पर लगातार काम किया जा रहा है. साथ ही मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल सभी मानकों को पूरा करता है.